Delhi Court: बहन के सुसाइड केस में मृतका के भाई ने अपने जीजा के पक्ष में गवाही दी। इसके बाद कोर्ट ने पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपों से जीजा को बा-इज्जत बरी कर दिया।
Delhi Court: रिश्ता कोई भी हो, उसमें भावना का होना जरूरी है। हालांकि कई बार रिश्तों में पड़ोसियों और रिश्तेदारों के हस्तक्षेप से दरारें आ जाती हैं। फिर चाहे वह भाई-बहन, पति-पत्नी और पिता-पुत्र का ही रिश्ता हो, अगर इन रिश्तों में किसी तीसरे की एंट्री होती है तो उसका ढहना लगभग तय हो जाता है। ऐसा ही एक मामला दिल्ली में सामने आया, जहां रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने मिलकर पति-पत्नी के बीच सिर्फ दरार ही नहीं डाली, बल्कि पत्नी को इतना उकसा दिया कि उसने सुसाइड कर लिया। बहन के सुसाइड करने के बाद पहले तो मृतका के भाई ने आवेश में आकर अपने बहनोई पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज करवा दिया, लेकिन जब उसे सच्चाई पता चली तो उसने अपने जीजा के पक्ष में गवाही देकर उन्हें अदालत से बा-इज्जत बरी करवा दिया।
मामला राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से जुड़ा है, जहां एक युवक की शादी साल 1998 में हुई थी। पति-पत्नी के बीच अच्छी समझ से सबकुछ ठीक चल रहा था। दंपति के दो बेटे हुए। इसके बाद इस रिश्ते को पड़ोसियों और रिश्तेदारों की नजर लग गई। लगातार कान भरे जाने से पति-पत्नी के बीच मनमुटाव हो गया। इसके बाद एक दिन पत्नी ने आवेश में आकर आत्महत्या कर ली। इसकी जानकारी पर महिला के भाई ने अपने बहनोई पर बहन को आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज करवा दिया। पुलिस ने अपनी जांच शुरू की और आरोपी को जेल भेज दिया। इसके बाद पड़ोसियों-रिश्तेदारों के बयान लेकर चार्जशीट कोर्ट में पेश कर दी। इसके बाद मामला दिल्ली के सत्र न्यायालय में चल रहा था।
दिल्ली के सत्र न्यायालय में मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी के साले ने अपना बयान बदल दिया। मृतका के भाई ने कहा कि उसने पड़ोसियों और रिश्तेदारों के बहकावे में आकर जीजा पर आरोप लगाया था। इसके बाद सत्र न्यायाधीश ने कहा "वादी के बयान के बयान और केस की स्थिति देखकर यह कहना बेतुका है कि पति ने अपनी पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाया या फिर पति का ऐसा कोई इरादा भी था। दोनों की शादी साल 1998 में हुई थी और दो बेटे भी हैं। मृतका के भाई का कहना है कि उसकी बहन और बहनोई के बीच अच्छे संबंध थे। कुछ पड़ोसियों ने भी यही बात कही है। दूसरी ओर मृतका के बच्चे पुलिस की जांच में शामिल ही नहीं किए गए, जबकि घटना के वक्त वो काफी समझदार थे।"
जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने आगे कहा "केस की जांच करने से ऐसा लगता है कि पूरा मामला पड़ोसियों और रिश्तेदारों के बयान के आधार तैयार किया गया है। इसमें ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं है, जिससे यह साबित हो सके कि पति-पत्नी के बीच अनबन थी या फिर पति का इरादा पत्नी की मौत था। जब आरोपी के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है तो उसे किस आधार पर सजा होनी चाहिए। ऐसे में आरोपी को बा-इज्जत बरी किया जाता है।