Delhi High Court: सौतेली बेटी से दुष्कर्म के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की है, कोर्ट ने कहा है कि अगर पीड़िता किसी मजबूरी में अपने बयान से पलट भी जाए तो आरोपी पर लगे पॉक्सो एक्ट को खत्म नहीं किया जा सकता है।
Delhi High Court: 12 साल की नाबालिग सौतेली बेटी से दुष्कर्म के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने उसकी 20 साल की सजा को बरकरार रखने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने टिप्पणी की है कि अगर पीड़िता किसी मजबूरी में अपने बयान से पलट भी जाए तो आरोपी पर लगे पॉक्सो एक्ट को खत्म नहीं किया जा सकता है।
मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस अमित महाजन की बेंच ने इस तरह के मामलों में पीड़ित बच्चों की संवेदनशील स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है। अदालत ने कहा कि बच्चे कई बार पारिवारिक दबाव में आकर खुद को असहाय महसूस करते हैं। कोर्ट के अनुसार, किसी भी बच्चे पर यह जिम्मेदारी नहीं डाली जा सकती कि वह अपने सगे या रिश्तेदार को बचाने के लिए सच छिपाए या मानसिक बोझ उठाए। बेंच ने कहा कि कई बार बच्ची को डर होता है कि अगर उसने सच बोला तो उसे घर, आर्थिक सहारे और परिवार से हाथ धोना पड़ सकता है। ऐसा खासकर तब होता है जब आरोपी ही घर का कमाने वाला या देखभाल करने वाला व्यक्ति हो। ऐसे में बच्ची का सच से मुकर जाना अस्वाभाविक नहीं है।
आपको बता दें सौतेली बेटी से दुष्कर्म करने वाला पिता 20 साल की सजा काट रहा है। दिल्ली हाईकोर्ट में अपनी जमानत के लिए याचिका दायर किया था, लेकिन कोर्ट ने उसकी अपील को खारिज करते हुए कहा कि ट्रायल के दौरान पीड़िता, उसकी मां और बहन के बयान बदलने को अलग-थलग करके नहीं देखा जा सकता। वैज्ञानिक साक्ष्यों की मौजूदगी में पीड़िता के मुकर जाने से अभियोजन का मामला कमजोर नहीं होता।
गौरतलब है कि यह मामला साल 2016 का है। जहां एक 12 साल की मासूम बच्ची ने अपने सौतेले पिता पर आरोप लगाया था कि रात को सोते समय उन्होंने यौन उत्पीड़न किया। बच्ची ने यह घटना अपनी मां से बताई, जिसके बाद पिता के खिलाफ शिकायत दर्ज हुई थी। कोर्ट ने आरोपी को दोषी मानते हुए 20 की सजा सुना दी थी, जिसे कोर्ट ने अभी भी बरकरार रखा है।