Delhi Humayun Tomb Accident: दिल्ली में शुक्रवार को हुमायूं के मकबरे के पास एक दरगाह की दीवार गिरने से कई लोग मलबे में दब गए। दमकलकर्मियों और स्थानीय निवासियों ने लगभग एक दर्जन लोगों को निकालकर अस्पताल पहुंचाया। इनमें से करीब आधा दर्जन लोगों की मौत हो गई। हादसे में कई परिवार तो पूरी तरह बिखर गए।
Delhi Humayun Tomb Accident: दोपहर के समय, निजामुद्दीन में हुमायूं के मकबरे के पास स्थित दरगाह शरीफ पट्टे शाह पर हमेशा की तरह नमाजियों और दुआ के तलबगारों का जमावड़ा लगा था, कुछ दुआएं मांग रहे थे तो कुछ लोग शांति की कामना कर रहे थे। उनमें एक सेवानिवृत्त स्कूल शिक्षिका भी थीं जो अपने घायल बेटे के लिए दुआ मांगने आई थीं। एक युवा दर्जी अपने दोस्त के साथ शाम बिताने से पहले इमाम से मिलने की उम्मीद में आया था।
इसके अलावा एक चार बच्चों की एक मां अपने पति के साथ आई थी। किसी को अंदाजा नहीं था कि कुछ ही मिनटों में ही उनके हंसी-खुशी एक मातम में तब्दील हो जाएगी। पर कुछ ही मिनटों में यह सब चीख-पुकार और मलबे के ढेर में बदल गया। दरअसल, दरगाह शरीफ पट्टे शाह के दो कमरों वाले ढांचे की दीवार और छत अचानक भरभराकर गिर पड़ी। बारिश से भीगे पत्थरों और ईंटों के बीच 12 लोग दब गए। स्थानीय लोग और दमकलकर्मी घंटों तक मलबा हटाते रहे। कुछ जिंदगियां बच गईं, लेकिन कई परिवार हमेशा के लिए टूट गए।
स्थानीय निवासियों ने बताया कि बारिश की वजह से मलबा लगभग चार फीट ऊंचा, गीला और कीचड़ भरा था। इसलिए उसे खोदना बहुत मुश्किल था। दिल्ली अग्निशमन सेवा के अधिकारी मुकेश वर्मा ने कहा कि मलबे की मात्रा और जगह की वजह से बचाव कार्य विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण था। मुकेश वर्मा ने TOI से कहा "दमकल की गाड़ियों के पहुंचने से पहले, स्थानीय लोगों ने पांच लोगों को बचा लिया था। बाकी लोगों को दमकलकर्मियों और अन्य लोगों ने बाहर निकाला।" उन्होंने आगे कहा "यह काम मुश्किल था, क्योंकि घटनास्थल जंगल जैसा था। जहां जेसीबी नहीं आ सकती थी। हमें मलबे को हाथ से हटाना पड़ा। ताकि मलबे में दबे किसी भी व्यक्ति को कोई नुकसान न पहुंचे।"
29 साल के नदीम शुक्रवार को अपने सबसे करीबी दोस्त 22 साल के मोइनुद्दीन के साथ स्कूटर से घूमने निकला था। दोनों ने सोचा कि दरगाह जाकर मौलवी से मिल लिया जाए। नदीम बाहर खड़ा रहा और मोइनुद्दीन अंदर चला गया। कुछ ही मिनटों बाद जब दीवार ढही तो नदीम ने घबराकर खिड़की से झांका और अपने दोस्त को पुकारा, लेकिन जवाब नहीं मिला। घंटों तक मलबा हटाने के बाद मोइनुद्दीन का शव निकाला गया।
नदीम ने भारी मन से कहा, "हम बचपन से साथ थे। आज भी फिल्म देखने की योजना थी। अब उसकी यादें ही रह गई हैं।" मोइनुद्दीन की 28 साल की पत्नी अफसाना ने बताया "मैं भी उनके साथ जा रही थी, लेकिन बारिश के कारण उन्होंने मुझे बच्चों के साथ रहने को कहा। मुझे समझ नहीं आ रहा कि उनके बिना क्या करूं। मेरे बच्चे बार-बार उन्हें बुला रहे हैं। मेरा पांच साल का बेटा एक सरकारी स्कूल में पढ़ता है। इसके अलावा तीन साल की बेटी भी है। हमारा परिवार पूरी तरह मोइनुद्दीन पर निर्भर था।"
नदीम ने बताया, "हम दोनों दोस्त कम से कम 15 मिनट तक दरगाह के बाहर इंतजार करते रहे। इसके बाद परिसर की सफाई का काम समाप्त होते ही प्रवेश द्वार पर एकत्र लोगों का एक छोटा समूह दरगाह के अंदर प्रवेश कर गया। इसमें मेरा दोस्त मोइनुद्दीन भी था। मैं पीछे थोड़ी दूरी पर था, लेकिन जैसे ही मोइनुद्दीन एक कमरे के अंदर पहुंचा। उसकी दीवार ढह गई। यह देख मेरे तो होश उड़ गए। मैंने जोर से अपने दोस्त को पुकारा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसपर मैंने ज़ाकिर नगर से अपने कुछ दोस्तों को मदद के लिए बुलाया। हमने मलबे में उसे खोजना शुरू किया, लेकिन जब हमें मोइनुद्दीन मिला तो एहसास हुआ कि हम उसके शरीर के ऊपर से कई बार गुजरे थे।"
हादसे में जंगपुरा निवासी 56 साल की सेवानिवृत्त शिक्षिका अनीता सैनी भी दब गईं। वे पहली बार दरगाह आई थीं, अपने बेटे ऋषभ के लिए प्रार्थना करने, क्योंकि ऋषभ हाल ही में एक दुर्घटना में घायल हुए थे। अनीता के बड़े बेटे शिवांग एम्स ट्रॉमा सेंटर के बाहर खड़े होकर मां के शव का इंतजार कर रहे थे। शिवांग ने कहा "मां पहले कभी दरगाह नहीं गई थीं। आज सिर्फ हमारे लिए गईं, लेकिन लौटकर नहीं आईं।" पास खड़ा ऋषभ कुछ बोल भी नहीं पा रहा था।
वहीं मुस्तफाबाद के बैग बनाने वाले 39 साल के मोहम्मद आशिक अपनी 33 साल की पत्नी रफत परवीन के साथ शुक्रवार को दरगाह आए थे। उन्हें फैक्ट्री से बड़ी मुश्किलों के बाद छुट्टी मिली थी। रफत को पानी चाहिए था तो आशिक दरवाजे की ओर गए। तभी तेज धमाका हुआ और दीवार गिर गई। आशिक ने बताया "मैं कुछ नहीं सोच पाया, बस मलबा खोदने लगा। मेरी पत्नी वहीं दब गई थी। शुक्र है कि हमारे चारों बच्चे साथ नहीं थे। रफत अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही है।"