Red Fort Blast: पुलिस सूत्रों का कहना है कि आरोपियों के बीच पैसों को लेकर विवाद भी उभर कर सामने आया है। अधिकारियों को शक है कि डॉ. उमर और डॉ. मुज्जमिल के आर्थिक मतभेदों का असर हमले की तैयारियों पर भी पड़ा।
Red Fort Blast: दिल्ली में लाल किले के पास हुए धमाके की जांच में लगातार चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। चार दिनों की जांच-पड़ताल में सुरक्षा एजेंसियों के एक बड़े आतंकी नेटवर्क का पता चला है, जो दिल्ली-एनसीआर में बड़े हमले की साजिश रच रहा था। इसके तार पाकिस्तान और तुर्की से भी जुड़ते नजर आ रहे हैं। हालांकि अभी इसकी जांच जारी है। इसी बीच पता चला है कि आतंकियों ने 32 पुरानी कारों में एक साथ चार जगह विस्फोट की योजना तैयार की थी। इसके लिए आठ लोगों को ट्रेंड किया जा रहा था। पुलिस ने इस मामले में अभी तक तीन कारें बरामद की हैं, जबकि अब 29 कारों की तलाश तेज कर दी गई है। दूसरी ओर दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम ने निष्पक्ष और न्यायपूर्ण कार्रवाई की अपील करते हुए आतंकी हमलों की निंदा की है।
जांच टीम ने गुरुवार को एक Brezza कार बरामद की, जो डॉ. शाहीन सईद के नाम पर रजिस्टर्ड है। यह गाड़ी फरीदाबाद में अल फलाह यूनिवर्सिटी के एक मेडिकल कॉलेज की पार्किंग में खड़ी मिली है। बम स्क्वॉड और तकनीकी टीमें मौके पर पहुंचकर कार की गहन जांच कर रही हैं। फरीदाबाद पुलिस के प्रवक्ता यशपाल सिंह ने बताया कि यूनिवर्सिटी के परिसर में खड़ी 30 गाड़ियों की जांच की जा चुकी है। पूरे कैंपस और आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा प्रबंध और ज्यादा सख्त कर दिया गया है। यह गाड़ी तब मिली जब यूनिवर्सिटी के मेडिकल और हॉस्पिटल एरिया में खड़ी गाड़ियों की जांच की जा रही थी। सभी गाड़ियों के ऑनरशिप डॉक्यूमेंट्स का सत्यापन चल रहा है। साथ ही सीसीटीवी फुटेज और एंट्री रिकॉर्ड्स भी देखे जा रहे हैं। यह मामला अब मल्टी एजेंसी जांच का रूप ले चुका है।
तीसरी कार मिलने से पहले जांच टीम दो गाड़ियों को बरामद कर चुकी है। इनमें पहली कार आई 20 है, जिसमें लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास ब्लास्ट हुआ था। दूसरी लाल रंग की ford ecosport बुधवार को हरियाणा में उमर नबी के दोस्त के फार्म हाउस में मिली थी। एजेंसियां इन गाड़ियों की रूट हिस्ट्री, पार्किंग लोकेशन, रजिस्ट्रेशन रिकॉर्ड आदि चीजों की बारीकी से जांच कर रही हैं। ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या इनके धमाके से जुड़े किसी काम के लिए उपयोग किया गया था।
जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना सैयद अहमद बुखारी ने गुरुवार को दिल्ली विस्फोट की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि सभ्य समाज में आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं है और इसे किसी भी रूप में स्वीकारा नहीं जा सकता है। उन्होंने इस मामले को "घृणित आतंकवादी हमला" बताया और जोर देते हुए कहा कि यह देश की एकता और अखंडता पर सीधा हमला है। शाही इमाम ने कहा कि न्याय आधारित कार्रवाई की जानी चाहिए और उन्होंने सरकार और जांच एजेंसियों से उम्मीद जताई कि दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। साथ ही घटना में जान गवाने वाले लोगों के परिवारों के लिए संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि उनका दर्द सामूहिक दर्द है।
सूत्रों के अनुसार, जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने हमले की योजना के तहत हुंडई आई-20 और फोर्ड इकोस्पोर्ट कारों को मॉडिफाई करना शुरू कर दिया था। इसी खुलासे के बाद जांच एजेंसियां अब उन 32 अन्य वाहनों की भी पड़ताल कर रही हैं, जिनमें विस्फोटक फिट किए जाने की आशंका है। जांच अधिकारियों के मुताबिक, आतंकी मॉड्यूल से जुड़े आठ संदिग्धों ने चार अलग-अलग स्थानों पर धमाकों की योजना बनाई थी और हर दो व्यक्तियों को एक-एक जगह हमले की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इनके लिए नियम तय था कि किसी भी समय दो से अधिक सदस्य आईईडी के साथ नहीं चलेंगे।
एजेंसियां गिरफ्तार डॉ. मुज्जमिल गनी, डॉ. अदील, डॉ. शाहीन और लालकिला धमाके में मारे गए डॉ. उमर नबी की भूमिकाओं की तह तक जाने में जुटी हैं। जांच में यह भी सामने आया कि फरीदाबाद मॉड्यूल के सदस्यों ने पहले 26 जनवरी को लालकिले पर हमला करने की कोशिश की थी और असफल होने पर 6 दिसंबर को मुंबई जैसे हमले की योजना बनाई थी। साजिश रचने के लिए डॉ. उमर ने सिग्नल ऐप पर चार लोगों का ग्रुप बनाया था, जिसमें सभी आतंकी गतिविधियों पर चर्चा होती थी, जबकि डॉ. मुज्जमिल की 2021–22 के बीच आईएसआईएस से जुड़े संगठन अंसार गजवत उल हिंद से नजदीकियां बढ़ी थीं।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि आरोपियों के बीच पैसों को लेकर विवाद भी उभर कर सामने आया है। अधिकारियों को शक है कि डॉ. उमर और डॉ. मुज्जमिल के आर्थिक मतभेदों का असर हमले की तैयारियों पर भी पड़ा। यही नहीं, मॉड्यूल के सदस्यों ने अलग-अलग शहरों में धमाकों को अंजाम देने के लिए मिलकर 26 लाख रुपये जुटाए थे, जिनमें से तीन लाख रुपये से नूह, गुरुग्राम और आसपास के क्षेत्रों से 26 कुंतल एनपीके खाद खरीदी गई थी, जबकि बाकी रकम योजनाओं को अंजाम देने वाले डॉ. उमर नबी को सौंपी गई। एजेंसियां अब इस पूरे नेटवर्क में पैसों की आवाजाही और संदिग्धों के बैंक खातों की बारीकी से जांच कर रही हैं।