Punjab Haryana High Court : 5 साल की मासूम बच्ची से रेप कर उसकी हत्या करने वाले आरोपी को मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन कोर्ट ने सजा कम करते हुए तब तक जेल में रखने का आदेश दिया है जब तक उसकी पौरुषता न ढल जाए।
Punjab Haryana High Court : पंजाब और हरियाणा की हाईकोर्ट ने एक रेप केस मामले में आरोपी की मौत की सजा कम की है और आदेश दिया है कि जब तक उसका पौरुषता न ढल जाए तब तक उसे जेल में रखा जाए। कोर्ट का मानना है कि आजीवन कारावास में रखने से सड़क पर रहने वाली अन्य लड़कियों को दोषी की विकृत मानसिकता से बचाया जा सकता है।
वहीं, न्यायमूर्ति अनूप चिटकारा की पीठ ने दोषी की मां को बरी कर दिया, जिसे निचली अदालत ने सात साल की सजा सुनाई थी। दुष्कर्म के आरोपी की मां को बरी करते हुए न्यायमूर्ति अनूप चिटकारा की पीठ ने कहा कि 'महिला अपने बेटे की रक्षा करने की कोशिश कर रही थी', जिसके लिए उसे भारतीय दंड संहिता के तहत दंडित नहीं किया जा सकता। यह मानते हुए कि बिना किसी छूट के आजीवन कारावास अपराध के अनुपात में है, पीठ ने कहा कि हत्या साजिश के तहत नहीं हुई है बल्कि बलात्कार के सबूतों को नष्ट करने की घबराहट में की गई थी।
आपको बता दें कि यह दुष्कर्म का मामला 2018 का है। 31 मई को मालिक की 5 साल सात महीने और 14 दिन की बच्ची के साथ आरोपी ने पहले दुष्कर्म किया था और सबूत मिटाने के लिए उसकी हत्या कर दी थी। दरअसल, बच्ची के पिता का टेंट का कारोबार था, आरोपी उनके यहां ही काम करता था। अपराधी अपने मालिक के यहां से बच्ची के पिता के लिए दोपहर का भोजन लेने गया। लौटते समय बच्ची भी उसके साथ गई। दोपहर के भोजन के बाद जब बच्ची के पिता झपकी ले रहे थे, तब अपराधी बच्ची को अपने घर ले गया, जहां उसने उसके साथ बलात्कार किया और फिर रसोई के चाकू से उस पर कई बार वार किया फिर उसके शव को उस डिब्बे में छिपा दिया,जिसमें उसकी मां आटा रखती थी। उस समय उसकी मां घर पर नहीं थी। मामले में छानबीन की गई तो ग्रामीणों ने बताया कि दोषी को लड़की का हाथ पकड़कर अपने घर ले जाते देखा था, उसने पिता को झूठा बहाना दिया कि उसने उसे प्लांट पर छोड़ दिया था, लेकिन बच्ची का शव उसके घर के परिसर में रखे एक ड्रम से बरामद किया गया। ड्रम और पास के एक पत्थर पर मिले खून के धब्बे पीड़िता के डीएनए से मेल खाते थे।
मामला जब कोर्ट में पहुंचा तो जजों ने पाया कि बच्ची की उम्र, बलात्कार और हत्या की घटना निर्विवाद थी, जिसका प्रमाण उसके जन्म प्रमाण पत्र और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मिलता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्लिटोरिस और हाइमन में घाव और कई चाकू के घाव दर्ज किए गए, जिनमें से एक घाव उसके लीवर को भी भेद गया था। जांच करने वाले डॉक्टर ने शपथ लेकर कहा कि 'मृतक के साथ बलात्कार या यौन उत्पीड़न की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उसके कौमार्य पर चोट के निशान मौजूद थे'। हालांकि दोषी वीरेंद्र के कपड़ों पर पीड़िता का डीएनए नहीं मिला और उसके कपड़ों या स्वैब पर वीर्य का पता नहीं चल सका, फिर भी पीठ ने माना कि अन्य सबूतों की मजबूती को देखते हुए ये कमियां निर्णायक नहीं हैं।
आरोपी को दोषी मानते हुए कोर्ट ने उसे मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन पीठ ने कहा कि दोषी का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और जेल में उसका आचरण उल्लंघनकारी नहीं है, जिससे सुधार संभव है। 'अन्य बच्चों और महिलाओं को बचाने के लिए, दोषी को तब तक जेल की चारदीवारी के भीतर रहना होगा जब तक कि उसकी पौरुषता ढलने के करीब न आ जाए… कोर्ट ने फैसले में कहा कि 'हम बिना किसी छूट के 30 साल की सजा देने के लिए आश्वस्त हैं, जो विशेष तथ्यों और परिस्थितियों में उचित होगी और सड़क पर रहने वाली अन्य लड़कियों को भी दोषी की विकृत मानसिकता से बचाएगी।