Red Fort Blast: लखनऊ से डॉ. शाहीन की गिरफ्तारी के बाद इस संगठन का खुलासा हुआ। जांच एजेंसियों का कहना है कि ब्लास्ट से करीब एक हफ्ते पहले ही अफीरा बीबी इस ब्रिगेड से औपचारिक रूप से जुड़ी थीं।
Red Fort Blast: दिल्ली के लाल किले के पास हुई आई-20 कार ब्लास्ट की जांच में अब बड़ा मोड़ सामने आया है। सुरक्षा एजेंसियों को इस धमाके के तार आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े होने के पुख्ता सबूत मिले हैं। इस मामले में गिरफ्तार की गई डॉ. शाहीन सईद से पूछताछ के दौरान कई अहम खुलासे हुए हैं। जांच में जैश की महिला कमांडर अफीरा बीबी का नाम भी सामने आया है, जो फिलहाल फरार बताई जा रही हैं। उनकी तलाश में देशभर में अभियान चलाया जा रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अब जांच की बागडोर संभाल ली है।
जांच में सामने आया है कि जैश-ए-मोहम्मद लंबे समय से महिलाओं को आतंकी नेटवर्क से जोड़ने की कोशिश कर रहा था। इसके तहत संगठन ने ‘जमात-उन-मोमिनात’ नाम की एक महिला ब्रिगेड तैयार की है। इस ब्रिगेड का उद्देश्य महिलाओं को कट्टरपंथी विचारधारा से जोड़ना और आतंकी गतिविधियों में उनकी भूमिका तय करना है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में इस महिला विंग की जिम्मेदारी डॉ. शाहीन सईद के पास थी। शाहीन की गिरफ्तारी के बाद इस संगठन का खुलासा हुआ। जांच एजेंसियों का कहना है कि ब्लास्ट से करीब एक हफ्ते पहले ही अफीरा बीबी इस ब्रिगेड से औपचारिक रूप से जुड़ी थी।
मूलरूप से पाकिस्तान की रहने वाली अफीरा बीबी कुख्यात आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के शीर्ष कमांडर उमर फारूक की पत्नी है। उमर फारूक वही आतंकी था, जो साल 2019 के पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड्स था। उसी ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमले की योजना बनाई थी, जिसमें 40 जवान शहीद हुए थे। कुछ महीने बाद उमर फारूक कश्मीर के दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान में एनकाउंटर में मारा गया। उमर की मौत के बाद अफीरा ने संगठन में सक्रिय भूमिका निभानी शुरू कर दी और अब उसे जैश के महिला नेटवर्क का अहम चेहरा माना जा रहा है।
अफीरा बीबी को जमात-उन-मोमिनात की सलाहकार टीम में शामिल किया गया है। वह जैश के सरगना मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर के साथ काम करती है। दोनों को महिला सदस्यों की भर्ती, ब्रिगेड से जुड़े रणनीतिक फैसले लेने और भारत सहित अन्य देशों में महिला नेटवर्क बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। संगठन ने हाल ही में एक ऑनलाइन कोर्स भी शुरू किया है, जिसमें महिलाओं को ‘जिहाद में उनकी भूमिका’ के बारे में सिखाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस कोर्स के जरिए जैश न केवल विचारधारा फैलाने का काम कर रहा है, बल्कि फंडिंग भी जुटा रहा है। इस पूरी प्रक्रिया में अफीरा बीबी की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
पाकिस्तानी पासपोर्ट के अनुसार, अफीरा बीबी की उम्र 28 साल है और उनका जन्म 21 दिसंबर 1997 को हुआ था। उनके पति उमर फारूक, मसूद अजहर के भतीजे थे। उमर की मौत के बाद अफीरा को जैश में एक मुख्य जिम्मेदारी दी गई। सूत्रों के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश कमजोर पड़ गया था और मसूद अजहर ने संगठन को पुनर्जीवित करने के लिए महिला ब्रिगेड बनाने का फैसला लिया। जांच में पता चला है कि शाहीन सईद की मुलाकात पहले जैश के सदस्य मुजम्मिल और उमर नबी से हुई थी। शाहीन मुजम्मिल की घनिष्ठ मित्र थी और उसी के माध्यम से वह संगठन के संपर्क में आई।
मुजम्मिल और उमर फारूक दोनों ने संगठन की संरचना को नए सिरे से खड़ा करने की योजना बनाई थी। दोनों के तुर्की जाने और वहां जैश के हैंडलरों से मुलाकात करने की भी बात सामने आई है। दोनों टेलीग्राम जैसे एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म पर एक्टिव थे और वहीं से महिला विंग से जुड़े आदेश जारी करते थे। लखनऊ से कुछ दिन पहले शाहीन की गिरफ्तारी के बाद एजेंसियों को कई डिजिटल सबूत मिले हैं, जो दिल्ली ब्लास्ट और जैश की महिला विंग के बीच के रिश्ते की पुष्टि करते हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस केस की जांच अपने हाथ में ले ली है। एजेंसी अफीरा बीबी, सादिया अजहर और अन्य संदिग्ध सदस्यों की तलाश में कई राज्यों में छापेमारी कर रही है।