नई दिल्ली

महाराष्ट्र के अधिकारी को बचा रही राजस्‍थान पुलिस? सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी को दिया कड़ा आदेश

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि तथ्यों से लगता है कि राजस्‍थान पुलिस महाराष्ट्र के पुलिस अधिकारी को बचा रही है। कोर्ट ने कहा "हम राजस्‍थान पुलिस के अधिकारियों के इस आचरण से चिंतित और स्तब्ध हैं।"

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राजस्‍थान पुलिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची महिला।

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना मामले में राजस्‍थान के डीजीपी को कड़ा आदेश दिया है। सुप्रीम आदेश में कहा गया है कि डीजीपी स्वयं एक विशेष जांच दल (SIT) गठित कर मामले की जांच कराएं और इसकी रिपोर्ट प्रेषित करें। इस एसआईटी जांच की जिम्मेदारी राजस्‍थान के डीजीपी की होगी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को जस्टिस अहसानुद्दीन और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ एक महिला शिकायतकर्ता के मामले पर सुनवाई कर रही थी। महिला ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने साल 2017 में राजस्‍थान हाईकोर्ट में याचिका देकर आरोप लगाया था कि एक व्यक्ति उसका पीछा कर रहा है। इसमें महाराष्ट्र का एक पुलिस अधिकारी उसका सहयोग कर रहा है। महिला ने इस मामले में हाईकोर्ट से सुरक्षा मांगी थी।

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राजस्‍थान हाईकोर्ट ने भी दी थी चेतावनी

साल 2018 में राजस्‍थान हाईकोर्ट ने पुलिस की उस रिपोर्ट को देखकर मामला निपटा दिया, जिसमें पुलिस ने संबंधित आरोपियों के खिलाफ प्रतिकूल प्रविष्टि दर्ज करने की बात कही थी। इस दौरान राजस्‍थान हाईकोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया था कि महिला की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाए और किसी भी हाल में उसे परेशान न किया जाए। इसके अलावा महिला याचिकाकर्ता को भी आदेश का उल्लंघन होने पर पुनः हाईकोर्ट आने की स्वतंत्रता दी। इसके कुछ समय बाद ही महिला ने दोबारा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें राजस्‍थान पुलिस पर हाईकोर्ट के आदेशों के उल्लंघन का आरोप था।

मामले को ट्रांसफर कराने सुप्रीम कोर्ट पहुंची महिला

लाइव लॉ के अनुसार, राजस्‍थान हाईकोर्ट में चल रहे अवमानना के मामले को दिल्‍ली ट्रांसफर कराने के लिए साल 2024 में महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसी मामले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि पुलिस ने शिकायतकर्ता के मामले में अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी थी, लेकिन मजिस्ट्रेट ने उसपर असहमति जताई और दोबारा जांच का आदेश दिया था। दोबारा जांच के बाद यह रिपोर्ट 29 नवंबर तक प्रस्तुत की जानी थी, लेकिन महिला के अनुसार, जांच अधिकारियों ने इसपर कोई प्रतिक्रिया ही नहीं दी।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने कहा "संबंधित न्यायालय को एक अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी। न्यायालय ने उस रिपोर्ट पर असहमति जताई और पुनः जांच का निर्देश दिया। इसका अर्थ है कि अदालत अपने न्यायिक विवेक का प्रयोग करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची कि पुलिस द्वारा प्रस्तुत अंतिम समापन रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता।"

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा "हमें लगता है कि यह एक ऐसा मामला है, जहां राजस्थान पुलिस ने पुलिस बल के अनुरूप कार्य नहीं किया है। इस बात के पुख्ता संकेत हैं कि संबंधित प्रतिवादी जो महाराष्ट्र पुलिस का अधिकारी है। उसे राजस्‍थान पुलिस बचा रही है। हम अधिकारियों के इस आचरण से न केवल चिंतित हैं, बल्कि स्तब्ध भी हैं।"

24 नवंबर तक दाखिल करनी होगी अनुपालन रिपोर्ट

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राजस्‍थान के पुलिस महानिदेशक (DGP) को दो दिनों के भीतर एक विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि एसआईटी की रिपोर्ट की जिम्मेदारी डीजीपी की होगी और किसी भी तरह की ढिलाई या मिलीभगत उन पर सीधी टिप्पणी होगी। न्यायालय ने यह भी कहा कि आदेश की किसी भी तरह की अवज्ञा पर गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डीजीपी को 24 नवंबर तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करनी होगी, अन्यथा उन्हें अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित रहना होगा।

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