सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यद्यपि सामान्य तौर पर न्यायिक आदेशों के लिए किसी जज के खिलाफ प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए, लेकिन अवैध मंशा वाले फैसलों पर ऐसा हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने जजों द्वारा अपनी सेवानिवृत्ति (Retirement) के ठीक पहले दनादन संदेहास्पद न्यायिक आदेश पारित करने के बढ़ते चलन पर कड़ी नाराजगी जताई है। देश की शीर्ष कोर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि कोई फैसला बाहरी या गुप्त उद्देश्यों से प्रेरित पाया जाता है, तो संबंधित जज के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जोयमालया बागची की पीठ ने मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजाराम भारतीय के निलंबन में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए ये अहम टिप्पणियां कीं।
सुनवाई के दौरान CJI सूर्यकांत ने कहा, "यह एक दुर्भाग्यपूर्ण चलन बन गया है कि कुछ जज रिटायरमेंट के करीब आने पर अचानक 'सिक्सर' मारना शुरू कर देते हैं।" राजाराम भारतीय के मामले का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि वे अपनी सेवानिवृत्ति से महज दो हफ्ते दूर थे, जब उन्होंने ऐसे आदेश पारित किए जो अब जांच के घेरे में हैं।
पन्ना के जिला जज राजाराम भारतीय को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पिछले महीने 19 नवंबर को निलंबित कर दिया था। जबकि वह मूल रूप से 30 नवंबर को रिटायर होने वाले थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, उनके निलंबन का मुख्य कारण अवैध खनन से जुड़ा एक मामला था। पन्ना कलेक्टर ने जांच के बाद एक राजनीतिक नेता और स्टोन क्रशर फर्म के मालिक पर 100 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया था। जिला जज ने अपने रिटायरमेंट से ठीक पहले कलेक्टर के इस भारी-भरकम जुर्माने वाले आदेश को रद्द कर दिया था, जिसे हाईकोर्ट ने संदेहास्पद माना। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सीधे कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से यह स्वीकार किया गया कि निलंबन का संबंध उसी आदेश से है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा, "हम मानते हैं कि सिर्फ़ न्यायिक आदेश जारी करने के लिए आमतौर पर कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। लेकिन अगर कोई आदेश बाहरी या गलत इरादों से पास किया जाता है, तो क्यों नहीं? क्या होगा अगर कोई जज रिटायरमेंट से पहले जानबूझकर गलत आदेश पास कर दे?"
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि यदि सक्षम अधिकारियों को लगता है कि फैसला कानून के बजाय अन्य कारणों से लिया गया है, तो अनुशासनात्मक कार्रवाई जायज है। सुनवाई के दौरान बेंच ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि निलंबित जज सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों आए, जबकि वे हाईकोर्ट जा सकते थे।
सुप्रीम कोर्ट ने राजाराम भारतीय के निलंबन पर रोक लगाने से मना कर दिया है। हालांकि, उन्हें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखने की छूट दी गई है और हाईकोर्ट को 4 सप्ताह के भीतर इस पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।