
महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे (Photo: IANS)
मुंबई की एक विशेष अदालत ने महाराष्ट्र के पूर्व राजस्व मंत्री और एनसीपी नेता एकनाथ खडसे, उनकी पत्नी मंदाकिनी खडसे (Mandakini Khadse) और दामाद गिरिश चौधरी (Girish Chaudhari) की भोसरी जमीन घोटाला मामले में डिस्चार्ज (मामले से बरी) करने की आवेदन याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि उपलब्ध सबूतों से यह लगता है कि आरोप तय किए जा सकते हैं और ट्रायल चलाने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद है।
विशेष न्यायाधीश सत्यनारायण नवंदर ने यह भी कहा कि आरोपियों ने एनसीपी नेता के ‘पद और प्रभाव’ का रणनीतिक रूप से इस्तेमाल करने की कोशिश की। अदालत के इस फैसले के बाद अब तीनों के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए जाएंगे और मुकदमे की कार्यवाही शुरू होगी।
यह मामला पुणे के पास भोसरी एमआईडीसी क्षेत्र (Bhosari Land Scam Case) की सरकारी जमीन की खरीद से जुड़ा है। आरोप है कि एकनाथ खडसे ने मंत्री पद पर रहते हुए अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर अपनी पत्नी और दामाद को यह जमीन बाजार की कीमत से बहुत कम दाम पर दिलवाई।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आरोप लगाया है कि खडसे परिवार ने कथित तौर पर जमीन 3.75 करोड़ रुपये में खरीदी थी, जबकि उसकी असली कीमत 31.01 करोड़ रुपये थी। यानी जमीन लगभग दस गुना कम कीमत पर खडसे परिवार को मिली।
इस मामले में वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे और उनकी पत्नी को आरोपी बनाया गया है, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया। हालांकि उनके दामाद गिरिश चौधरी को जुलाई 2021 में गिरफ्तार किया गया था और दो साल से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी।
सुनवाई के दौरान अदालत ने यह भी पाया कि जमीन की खरीद में कई अनियमितताएं थीं। जमीन पहले ही सरकारी अधिग्रहण में शामिल थी और इसकी जानकारी सरकारी गैजेट और जमीन के रिकॉर्ड में भी दर्ज थी। इसके बावजूद सब-रजिस्ट्रार ने बिक्री की प्रक्रिया पूरी कर दी।
अदालत के फैसले के बाद अब एकनाथ खडसे, उनकी पत्नी और दामाद के खिलाफ आरोप तय किए जाएंगे और ट्रायल शुरू होगा। हालांकि अदालत ने कहा कि सब-रजिस्ट्रार को मामले में आरोपी बनाया जाए या नहीं, इसका फैसला ट्रायल के दौरान सामने आने वाले सबूतों पर निर्भर करेगा।
Updated on:
11 Dec 2025 07:57 pm
Published on:
11 Dec 2025 07:53 pm
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