UGC rules changed: दिल्ली हाईकोर्ट ने UGC के नियमों पर बड़ा फैसला देते हुए कहा कि सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति केवल इंटरव्यू के आधार पर नहीं की जा सकती, क्योंकि ऐसी प्रक्रिया मनमानी की संभावना पैदा करती है और इसे संविधान के अनुरूप सीमित करना जरूरी है।
UGC rules changed: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के प्रावधानों को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। दरअसल, सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति सिर्फ इंटरव्यू के आधार पर की जा सकती थी। कोर्ट ने माना कि केवल साक्षात्कार पर आधारित चयन प्रक्रिया मनमानी की आशंका पैदा करती है, इसलिए इसे संविधान के अनुरूप सीमित किया जाना आवश्यक है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने UGC दिशानिर्देशों की धारा 4.1.I.B को पूरी तरह रद्द नहीं किया, लेकिन यह स्पष्ट किया कि मौजूदा रूप में यह प्रावधान मनमानेपन की संभावना पैदा करता है और संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 के विपरीत है। इसी कारण अदालत ने कहा कि इस धारा की व्याख्या इस तरह की जानी चाहिए कि केवल साक्षात्कार के आधार पर चयन को वैध न माना जाए। अदालत ने कहा, “धारा 4.1.I.B को अपने आप में असंवैधानिक घोषित नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे इस रूप में नहीं समझा जा सकता कि यह पूरी तरह असंरचित, बिना किसी दिशा-निर्देश के और केवल इंटरव्यू आधारित चयन प्रक्रिया को वैध ठहराती है। ऐसा कोई भी अर्थ चयन को मनमानी के दायरे में ले जाएगा और संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन करेगा।” कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि दिव्यांग व्यक्तियों (PwBD) के लिए आरक्षित किसी पद को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए परिवर्तित नहीं किया जा सकता।
यह फैसला राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान (NIEPA) द्वारा अपनाई गई भर्ती प्रक्रिया को रद्द करते हुए दिया गया, जो एक दिव्यांग उम्मीदवार से जुड़ा मामला था। अदालत ने डॉ. सचिन कुमार की याचिका स्वीकार की, जिन्हें 75 प्रतिशत लोकोमोटर डिसेबिलिटी है। उन्होंने NIEPA द्वारा सहायक प्रोफेसर के आरक्षित पद पर किसी भी दिव्यांग उम्मीदवार की नियुक्ति से इनकार किए जाने को चुनौती दी थी। कोर्ट ने NIEPA को निर्देश दिया कि वह आठ सप्ताह के भीतर दिव्यांगों के लिए आरक्षित सहायक प्रोफेसर पद का दोबारा विज्ञापन जारी करे, मूल आरक्षण की स्थिति बनाए रखते हुए और एक वैध चयन प्रक्रिया अपनाए।
प्रतिवादी संख्या 3 की ओर से केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता (CGSC) राज कुमार ने अधिवक्ता वंदना सचदेवा, अंकित चौधरी और सुमित चौधरी के साथ पक्ष रखा याचिकाकर्ता डॉ. सचिन कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता स्वाति सुकुमार ने अधिवक्ता ऋषभ शर्मा, अंबिका सूद और ऋतिक रघुवंशी के साथ पैरवी की। NIEPA की ओर से अधिवक्ता अमितेश कुमार, प्रीति कुमारी और पंकज कुमार राय उपस्थित हुए, जबकि UGC की ओर से अधिवक्ता परमानंद गौर, विभव मिश्रा और मेघा गौर ने पक्ष रखा।