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संपादकीय : बाल श्रम रोकने के लिए बड़ी पहल की जरूरत

आज भारत दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। यह भी सच है कि हम हर दिशा में तेजी से विकास कर रहे हैं। इसके बावजूद आज भी देश में बड़ी संख्या में बाल श्रमिक जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं से कोसों दूर हैं। बाल श्रम निषेध कानून होने के बावजूद बच्चों को बंधुआ मजदूरी […]

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Jun 11, 2025

आज भारत दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। यह भी सच है कि हम हर दिशा में तेजी से विकास कर रहे हैं। इसके बावजूद आज भी देश में बड़ी संख्या में बाल श्रमिक जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं से कोसों दूर हैं। बाल श्रम निषेध कानून होने के बावजूद बच्चों को बंधुआ मजदूरी से लेकर कालीन बनाने, बीड़ी बनाने, ईंट भट्टों पर मजदूरी करने व आतिशबाजी निर्माण जैसे खतरनाक काम में लगाया जा रहा है। बड़ी चिंता इस बात की भी है कि बच्चों के न तो काम करने के घंटे तय हैं और न ही उनका कोई पारिश्रमिक। पेट पालने की मजबूरी इन बच्चों को कई तरह के शोषण का शिकार भी बना देती है। बाल श्रम की समस्या केवल भारत की ही नहीं, समूची दुनिया की समस्या है। हर साल 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाने का मकसद भी यही होता है कि बच्चों को मजदूरी से हटाकर शिक्षा के लिए प्रेरित किया जाए।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1979 में बालश्रम के विरोध में प्रस्ताव पारित किया था। इसके बाद भारत सरकार ने भी 1986 में बालश्रम निषेध एवं विनियमन कानून बनाया। कानून के मुताबिक 14 वर्ष एवं उससे कम उम्र के बच्चों से श्रम नहीं कराया जा सकता। लेकिन कानून की पालना में सख्ती नहीं होने के कारण बड़ी संख्या में यहां-वहां बाल श्रमिक नजर आते हैं। बालश्रम के पीछे सबसे बड़ा कारण आर्थिक परेशानी है। बच्चे अपने परिवार की मदद के लिए काम करते हैं और उनकी कमाई से ही घर भी चलता है। जाहिर तौर पर गरीबी सबसे बड़ी वजह है जिसके कारण बच्चों को कम उम्र में ही काम में जोत दिया जाता है। इससे न केवल बच्चों का स्वाभाविक विकास बाधित होता है बल्कि उनसे शिक्षा, स्वतंत्रता, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकताएं भी छीन ली जाती हैं।
यह बात सही है कि पिछले कुछ सालों में सरकार ने बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में काफी काम किया है। इससे बाल श्रमिकों की दर में कमी देखी गई है। हाल में जारी वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार देश के 27 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी की श्रेणी से बाहर निकले हैं। लेकिन इस पर अभी और काम करने की जरूरत है। शिक्षा की प्रासंगिकता को भी रोजगार के रूप में सुनिश्चित करना होगा। बाल श्रम से निपटने के मौजूदा कानूनों में एकरूपता लाने की भी जरूरत है। साथ ही नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा को और प्रभावी बनाना होगा। सार्वजनिक हित और बच्चों के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। वस्तुत: बाल श्रम- गरीबी, बेरोजगारी और कम मजदूरी का एक दुष्चक्र है, जिसमें एक बार फंसने के बाद बाहर निकलना बच्चों के लिए बेहद मुश्किल हो जाता है। कम उम्र में ही उनके लिए सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक विकास के द्वार बंद हो जाते हैं। ऐसे में बाल श्रम के खिलाफ एक बड़ी पहल की जरूरत है, जिसमें सरकार और समाज दोनों का योगदान हो।

Published on:
11 Jun 2025 10:04 pm
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