CG News: महिलाओं और थर्ड जेंडर को कौशल प्रशिक्षण के बाद शत प्रतिशत प्लेसमेंट और मार्केट लिंकेज कराएगी। फिलहाल इसकी शुरुआत अक्टूबर से रायपुर, बलरामपुर और जशपुर जिले से होगी।
CG News: छत्तीसगढ़ के युवाओं के लिए अच्छी खबर है कि अब आईआईटी बॉम्बे के पूर्व छात्र उनका कौशल निखार कर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएंगे। इसके लिए राज्य सरकार ने एक गैर लाभकारी संयुक्त उद्यम कंपनी बनाई है। यह कंपनी जनजाति समूह और अन्य वंचित वर्ग के गरीब, युवा, महिलाओं और थर्ड जेंडर को कौशल प्रशिक्षण के बाद शत प्रतिशत प्लेसमेंट और मार्केट लिंकेज कराएगी। फिलहाल इसकी शुरुआत अक्टूबर से रायपुर, बलरामपुर और जशपुर जिले से होगी।
कंपनी तीन जिलों के आईटीआई भवनों से प्रशिक्षण देने की शुरुआत करेगी। उनके इस काम में तकनीकी शिक्षा विभाग मदद करेगा। दूसरे चरण में आईआरटी में या अन्य भूमि पर भवन निर्माण का काम राज्य सरकार करेगी। इन भवनों में मशीन, औजार, उपकरण एवं फर्नीचर लगाने और प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी कंपनी की रहेगी। इसके अलावा कंपनी लाइवलीहुड कॉलेजों के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर अभ्यार्थियों को श्रेष्ठ व्यावसायिक शिक्षा देगी।
इस कंपनी का कार्यकाल 5 साल तक के लिए रहेगा। यदि कंपनी का कार्यकाल संतोषजनक रहा तो उसमें वृद्धि की जाएगी। इस कंपनी के संचालन के लिए बोर्ड ऑफ गवर्नस का भी गठन किया गया है।
कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के तहत यह एक गैर लाभकारी कंपनी होगी। इसकी देय पूंजी 10 लाख रुपए होगी। ऐसे में पैन आईआईटी के साथ-साथ आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग, राज्य अन्तयावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम, पंचायत विभाग, तकनीकी शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग के भी शेयर रहेंगे। इस कंपनी की निगरानी मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी करेगी।
देशभर में हर दिन करीब 50 करोड़ पानी की खाली बोतलों को यूं ही फेंक दिया जाता है। इसमें से आधी बोतलों को कुछ कंपनियां रिसाइकिल कर दोबारा कोई नया प्रोडक्ट बना देती है, वहीं आधी बोतलें कचरे में डंप हो जाती है। रिसाइकल के बाद बना नया प्रोडक्ट जहां लोगों की सेहत बिगाड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रकृति भी बर्बाद हो रही है।
इस समस्या को समाधान खोजते हुए आईआईटी भिलाई ने एक खास नैनो कैटेलिस्ट (पाउडर) तैयार किया है। जिसे नैनो जीरो वैलेंट आयरन नाम दिया है। जब प्लास्टिक को इस केटेलिस्ट के संपर्क में लाया जाता है तो केमिकल रिएक्शन के जरिए यह उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है।
यह टुकड़े पॉलीएथेनेल टेरेपैथलेट (पीईटी) का मूल रसायन भेट होते हैं, जो बहुत कीमती है, क्योंकि इससे फिर से नया प्लास्टिक तैयार किया जा सकता है। मतलब, पुरानी बोतलों या पैकेजिंग को दोबारा बिल्कुल नई बोतल या फिर पैकेजिंग में बिना क्वालिटी खोए बदला जा सकता है।