हिस्सेदार के अपना कुछ हिस्सा बेचने के मामलों में आ रही विसंगति -राजस्व सचिव आइटी अधिकारियों से आज करेंगे चर्चा ऑटो म्यूटेशन प्रक्रिया में पंजीकृत दस्तावेज खोलने के दौरान हिस्सेदारों के नाम नई जमाबंदी में नहीं आने से विसंगति हो रही है। ऐसे में किसी एक भू स्वामी ने अपने भाग का कुछ हिस्सा विक्रय […]
हिस्सेदार के अपना कुछ हिस्सा बेचने के मामलों में आ रही विसंगति
-राजस्व सचिव आइटी अधिकारियों से आज करेंगे चर्चा
ऑटो म्यूटेशन प्रक्रिया में पंजीकृत दस्तावेज खोलने के दौरान हिस्सेदारों के नाम नई जमाबंदी में नहीं आने से विसंगति हो रही है। ऐसे में किसी एक भू स्वामी ने अपने भाग का कुछ हिस्सा विक्रय कर दिया तो नई जमाबंदी में उसका नाम नहीं आता। वरन जो हिस्सा विक्रय किया गया है उसके नाम जमाबंदी बोल रही है। ऐसी कुछ और विसंगतियां सामने आई हैं। फिलहाल विभाग व आईटी इसका समाधान खोजने में जुटे हैं।
यह है ऑटो म्यूटेशन प्रक्रिया
स्वत: नामांतरकरण प्रक्रिया में किसी भी दस्तावेज के पंजीकरण के साथ ही उसका नामांतरकरण खुल जाता है। यानी क्रेता के पक्ष में म्यूटेशन खुलने के साथ जमाबंदी में उसका नाम दर्शित होने लगता है। पूर्व में अलग से रजिस्ट्री होने के बाद इसका दस्तावेज पटवारी को देने पर प्रोफोर्मा-21 जनरेट करने व दस्तावेजों की जांच के बाद म्यूटेशन खोला जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। बेचान का दस्तावेज पंजीयन होने के साथ उसका ऑटो म्यूटेशन भी खुल जाता है। इसके लिए पटवारी रिपोर्ट गिरदावर को न भेजकर तहसीलदार को भेजता है। तहसीलदार जियो मेपिंग के जरिए भूमि की वस्तुिस्थति की जानकारी लेने व दस्तावेजों की जांच के बाद म्यूटेशन खोल देता है।
इस तरह आ रही विसंगति
किसी भूमि के दो हिस्सेदारों में से एक ने अपने आधे हिस्से में से आधा बेच दिया तो उसके पास कुल जमीन का एक चौथाई ही रहा। नई जमाबंदी में नए क्रेता का नाम तो आ रहा है लेकिन जिसने हिस्सा बेचा उसका नाम नहीं आता। जबकि अभी भी वह चौथाई हिस्से का मालिक है। ऐसी अन्य कई विसंगतियां सामने आ रही हैं।
आज बैठक में समाधान पर चर्चा
इस विसंगति के निवारण के लिए शुक्रवार को जयपुर में उच्च स्तरीय बैठक प्रस्तावित है। बैठक की अध्यक्षता राजस्व विभाग के प्रमुख शासन सचिव दिनेश कुमार करेंगे। बैठक में आईजी स्टांप, निबंधक राजस्व मंडल व आईटी सैल के तकनीकी अधिकारी भाग लेंगे।
पूर्व में अलग से रजिस्ट्री होने के बाद इसका दस्तावेज पटवारी को देने पर प्रोफोर्मा-21 जनरेट करने व दस्तावेजों की जांच के बाद म्यूटेशन खोला जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। बेचान का दस्तावेज पंजीयन होने के साथ उसका ऑटो म्यूटेशन भी खुल जाता है। इसके लिए पटवारी रिपोर्ट गिरदावर को न भेजकर तहसीलदार को भेजता है। तहसीलदार जियो मेपिंग के जरिए भूमि की वस्तुिस्थति की जानकारी लेने व दस्तावेजों की जांच के बाद म्यूटेशन खोल देता है।