फास्ट व जंक फूड के स्वाद के चलते बच्चों की फलाहार से दूरी की समस्या का निकाला हल, केन्द्रीय विद्यालयों में पहले पीरियड के बाद शुरू होगा दस मिनट का फ्रूट पीरियर, बच्चों की फलों के सेवन में रूचि बढ़ाने का प्रयास
हनुमानगढ़. फास्ट व जंक फूड खाने की आदत के चलते बच्चों की फलों से दूरी की समस्या का हल निकाला गया है। नौनिहालों की जीभ को जंक फूड की जगह फलों का स्वाद लगाने के लिए पाठशालाओं में अब फ्रूट पीरियड शुरू किया गया है। इससे घर में मनुहार के बावजूद फल खाने में आनाकानी करने वाले बच्चों में फलाहार के प्रति रूचि जगाना आसान होगा।
क्योंकि इसे एक तरह से पढ़ाई का हिस्सा ही बना दिया गया है। केवीएस (केन्द्रीय विद्यालय संगठन) ने नए शिक्षा सत्र में यह प्रयास देश के सभी केन्द्रीय विद्यालयों में लागू कर दिया है। इसका दायरा बढ़ाए जाने की संभावना है। संभवत: जल्दी ही फ्रूट पीरियड का यह नवाचार सीबीएसई से जुड़े तमाम विद्यालयों में भी शुरू किया जा सकता है।
जानकारी के अनुसार केन्द्रीय विद्यालयों में अब पहले पीरियड के बाद दूसरा पीरियड किसी विषय का नहीं बल्कि फलाहार का होता है। यह पीरियड केवल दस मिनट का होता है। इसमें बच्चों को भोजन नहीं करना होता, बस साथ लाए गए किसी भी फल को खाना होता है। इसके बाद अगल पीरियड शुरू हो जाता है। भोजनावकाश के अतिरिक्त दस मिनट के फू्रट पीरियड का समय रिसर्च के पीरियड से निकाला गया है। 40 मिनट के इस पीरियड की समयावधि आधी कर दी गई है।
विशेषज्ञों की माने तो फलाहार के कुछ समय बाद बच्चों को अच्छी भूख भी लगेगी जिससे वे भोजनावकाश में टिफिन पूरा खाली कर सकेंगे। इससे अभिभावकों की दो चिंताएं दूर होंगी, एक तो बच्चों की फलाहार में रूचि बढ़ेगी और दूसरी यह कि टिफिन का पूरा भोजन खा लेंगे।
फल और सब्जियां विटामिन, खनिज और फाइबर जैसे पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत हैं, जो बच्चों की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक हैं। कई तरह के रोगों से बचाने में मदद कर सकती हैं। फलाहार बच्चों को ऊर्जा प्रदान करता है तथा पाचन क्रिया दुरुस्त कर कब्ज को रोकता है।
बच्चों में फलाहार के प्रति रूचि बढ़ाने के लिए नए सत्र में फ्रूट पीरियड शुरू हुआ है। अधिकांश अभिभावकों की शिकायत रहती है कि बच्चे फल खाने में बहुत आनाकानी करते हैंं या भोजन बहुत कम करते हैं। फ्रूट पीरियड से यह चिंताएं दूर हो सकेंगी। - आरसी देहडू, प्राचार्य, केन्द्रीय विद्यालय, हनुमानगढ़।