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प्रसंगवश: खेती-किसानी के समय खाद को लेकर जूझते अन्नदाता

खाद की कमी और कालाबाजारी की शिकायतें प्रदेशभर से, कार्रवाई भी...

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छत्तीसगढ़ में खाद की कमी और कालाबाजारी को लेकर जगह-जगह से शिकायतें आ रही हैं। खेती-किसानी के समय अन्नदाता अपनी कर्मभूमि के बजाय खाद के लिए चक्कर पर चक्कर काट रहे हैं। किसानों को पर्याप्त मात्रा में और उचित मूल्य पर खाद उपलब्ध कराने का दावा सरकार कर रही है। जबकि कई जिलों में खाद को लेकर किसान धरना-प्रदर्शन भी कर चुके हैं। जब छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र हुआ था, उसमें पहले दिन ही खाद की कमी और कालाबाजारी का मुद्दा गूंजा था। विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि प्रदेश भर में डीएपी और खाद को लेकर किसानों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। किसान 1300 रुपए में मिलने वाली डीएपी की बोरी बाजार में 2100 रुपए में खरीदने को मजबूर हैं। विपक्ष ने तब नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में विधानसभा परिसर में स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया था। इस पर सरकार की तरफ से जवाब आया था कि वैश्विक परिस्थितियों के चलते डीएपी खाद के विकल्प के रूप में 1,79,000 बॉटल नैनो डीएपी सहित एनपीके उर्वरक का लक्ष्य से 25 हजार मेट्रिक टन अधिक तथा एसएसपी का निर्धारित लक्ष्य से 50 हजार मेट्रिक टन का अतिरिक्त भंडारण किया गया है। खरीफ सीजन 2025 के लिए सभी प्रकार के रासायनिक उर्वरक सहकारी समितियों एवं निजी विक्रय केंद्रों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। मुख्यमंत्री ने भी कहा था कि हमारी सरकार ने किसानों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए प्रदेश में उर्वरकों की पर्याप्त और समय पर उपलब्धता सुनिश्चित की है। सरकार ने सख्त रूप अपनाया और कालाबाजारी के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके बाद प्रदेश में जहां से भी खाद की कालाबाजारी की सूचना आ रही है शासन-प्रशासन कार्रवाई कर रहा है। कई जगहों पर छापेमार कार्रवाई में अवैध भंडारण के साथ अमानक खाद मिली। सरकार को चाहिए कि खेती-किसानी के सीजन के शुरुआत में ही खाद-बीज की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करे, साथ ही व्यवस्था की नियमित निगरानी करे ताकि अन्नदाताओं को किसी तरह की परेशानी न उठाना पड़े। -अनुपम राजीव राजवैद्य anupam.rajiv@epatrika.com

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