मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को उनकी अनूठी पहल के लिए साधुवाद! आज वे उज्जैन की पवित्र शिप्रा नदी के तट पर एक ऐसा आयोजन करने जा रहे हैं, जो ना सिर्फ समाज के सामने आदर्श रखेगा, बल्कि उसको एक नई दिशा भी देगा।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को उनकी अनूठी पहल के लिए साधुवाद! आज वे उज्जैन की पवित्र शिप्रा नदी के तट पर एक ऐसा आयोजन करने जा रहे हैं, जो ना सिर्फ समाज के सामने आदर्श रखेगा, बल्कि उसको एक नई दिशा भी देगा। यह आयोजन सामूहिक विवाह का होगा, जिसमें मुख्यमंत्री के चिकित्सक पुत्र सहित प्रदेश के 21 जोड़े परिणय सूत्र में बंधेंगे।
भारतीय समाज में विवाह केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं होता, बल्कि यह परिवारों और परम्पराओं का उत्सव होता है। समय के साथ शादी -समारोह में फिजूलखर्ची और दिखावा बढ़ता जा रहा है। विशेष तौर पर राजनीति और अफसरशाही के बड़े पदों पर बैठे लोग अपने पुत्र-पुत्रियों के विवाहों में करोड़ों रुपए खर्च कर देते हैं। कहते हैं- जैसा राजा, वैसी प्रजा। नेतृत्व कर रहे लोग जैसा करते हैं, उसका सीधा प्रभाव जनता पर पड़ता है। आम लोग भी उनके अनुसरण में ऐसे फिजूलखर्ची करने लग जाते हैं। शादियां अक्सर परिवारों पर अनावश्यक आर्थिक दबाव डाल देती हैं। ऐसे में जब कोई मुख्यमंत्री अपने पुत्र का विवाह सादगी से सामूहिक विवाह करने का निर्णय करता है तो निश्चित ही उनकी पहल स्वागत योग्य है। इसका असर दूर तक जाएगा।
इस विवाह की एक विशेषता यह है कि इसमें न किसी तरह की भव्यता का प्रदर्शन किया जा रहा है और न व्यवस्थाओं पर अनाप-शनाप पैसा खर्च किया जा रहा है। मात्र 12 रुपए की दर पर निमंत्रण पत्र छपवाया गया है। इसमें सभी 21 जोड़ों के नाम दिए गए हैं। ये जोड़े मध्यप्रदेश के विभिन्न अंचलों से हैं। विभिन्न जातियों के वर-वधुओं को शामिल किया गया है , जिनमे बड़ी संख्या पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति के जोड़ों की है। मुख्यमंत्री के परिवार ने इन सभी के विवाह का खर्च उठाने तथा मंगलसूत्र, घर-गृहस्थी का सामान आदि उपहार में देने की जिम्मेदारी भी ली है। विवाह के बाद जब ये जोड़े घर लौटेंगे तो पूरे समाज में यह सन्देश जाएगा कि सरकार जनता के निजी सुख-दुख में भी साथ खड़ी है। मुख्यमंत्री की इस पहल को सामाजिक सुधार की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम माना जाना चाहिए। इससे सामूहिक विवाह जैसे आयोजनों को बढ़ावा मिलेगा।
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