किताब को शीश नवाते हुए धरम जी ने कहा, 'भगवान सदा मुझ पर मेहरबान रहे हैं।'
धर्मेंद्र भंडारी, वरिष्ठ सीए एवं पूर्व ओएसडी, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया
पिछले महीने ही मुझे धरम जी के साथ उनके घर पर मिलने का अवसर मिला। मैं उन्हें उनका ही एक केरिकेचर भेंट करने गया था, जो विख्यात कार्टूनिस्ट आर.के. लक्ष्मण ने बनाया था। इसे देखते ही बच्चे की तरह खुश होते हुए उन्होंने कहा वे बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं कि आर.के. लक्ष्मण ने उनका केरिकेचर बनाया। मेरे आग्रह करने पर इसकी कॉपी पर उन्होंने ऑटोग्राफ के साथ लिखा -'टू डियर धर्मेंद्र (मेरे हमनाम) विद लव -धर्मेंद्र'।मैंने उन्हें बताया कि मेरी मां प्रकाश ने 1960 में आई धर्मेंद्र की फिल्म देखने के बाद ही मेरा नाम भी धर्मेंद्र रखा था और मेरी बेटी का नाम हेमा है। आज मेरी मां होतीं तो वो 100 साल से ज्यादा उम्र की होतीं। इसलिए अपना संबंध सौ साल से ज्यादा का है। यह सुन भावुक उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर कहा- 'इसे कहते हैं मोहब्बत' और मोहब्बत पर बहुत-सी शायरी सुनाईं।
धरम जी ने पंजाब के साहेनवाल की शांत गलियों से लेकर कभी न सोने वाली मुंबई के सिनेमा जगत के अपने सफर के बारे में बातें कीं। उन्होंने यहां शुरुआती संघर्ष की बातें साझा कीं। रिजेक्शन, भूखे सोने से लेकर अकेलेपन से जूझते हुए उन्होंने कभी अपना आत्मविश्वास नहीं खोया। धरम जी से किस्से सुनते हुए ऐसा लग रहा था, जैसे मेरे सामने सिनेमा जगत के सुनहरे दशकों के पन्ने पलट रहे हों। मैंने उन्हें अपनी पुस्तक 'लॉर्ड गणेशा' भी भेंट की। इसके कवर पेज का आर्ट वर्क भी आर.के. लक्ष्मण ने ही बनाया है। किताब को शीश नवाते हुए धरम जी ने कहा, 'भगवान सदा मुझ पर मेहरबान रहे हैं।' छोटे से कस्बे से आए धरम जी को भारतीय दर्शकों ने 'ही मैन' का नाम दिया। बड़ा मुकाम हासिल करने के बावजूद धरम जी का डाउन टू अर्थ वाला सरल स्वभाव सबका दिल जीत लेता था।
सौभाग्य से मेरा संबंध धरम जी की पत्नी व बॉलीवुड अभिनेत्री व सांसद हेमामालिनी के साथ भी काफी अच्छा रहा। हमारा सम्पर्क दशकों पुराना है। उन्होंने अपना स्नेह बनाए रखते हुए मेरी लिखी कई पुस्तकों का लोकार्पण किया। जब मैं जयपुर निवास करता था, तब वे जब भी जयपुर आतीं, हमसे जरूर मिलती रहीं। यह संयोग ही है कि मेरा नाम भी धर्मेंद्र है तो वे मुझसे पारिवारिक सदस्य जैसी ही आत्मीयता रखती हैं और मुझे 'धर्मेंद्र जी' कहकर ही सम्बोधित करती हैं। मुझे देओल परिवार के बारे में जो बात सबसे खास लगती है, वह है कि धरम जी ने अपने दोनों परिवारों को बहुत ही गरिमापूर्ण तरीके से बनाए रखा। अपने दोनों बेटों सन्नी और बॉबी देओल के साथ उनका भावनात्मक जुड़ाव किसी से छिपा नहीं है। साथ ही हेमा जी और धरम जी का आपसी रिश्ता इतना समझदारी वाला रहा कि बॉलीवुड का हिस्सा रहते हुए भी कभी धरम जी के दोनों परिवारों को लेकर कोई गॉसिप नहीं हुई। आज भी लोग धरम जी को उनके सरल स्वभाव और आत्मीयता के लिए याद कर रहे हैं। दोनों परिवारों ने एक दूसरे का सम्मान बनाए रखा।
दिलीप साहब के साथ की शरारत: उस दिन की करीब दो घंटे चली मुलाकात में उन्होंने दिलीप कुमार साहब के साथ का अपना किस्सा साझा किया। धरम जी ने बताया एक बार उन्हें दिलीप साहब ने डिनर पर बुलाया तो उन्होंने कैसे दिलीप साहब को भी अपने शरारती अंदाज से इम्प्रेस कर दिया था। धरम जी ने एक और किस्सा याद करते हुए बताया कि एक बार उन्होंने खुशवंत सिंह जी को जाटों के बारे में लिखने के लिए आड़े हाथ लिया। खुशवंत जी थोड़े नाराज जरूर हुए, लेकिन उन्होंने धरम जी की बातों का बुरा न मानते हुए कहा कि मैं आपका बहुत बड़ा फैन हूं।
धर्मेंद्र जी बहुत ही सज्जन, दयालु और प्यारे इंसान थे, जो सबके प्रति प्रेम भाव रखते थे। यही प्यार, विनोदी स्वभाव और सादगी उन्हें खास शख्सियत बनाती थी। धरम जी का दुनिया को अलविदा कहना बहुत बड़ी क्षति है, बॉलीवुड के लिए ही नहीं, मेरे लिए भी यह व्यक्तिगत क्षति है। उनके जाने से एक खालीपन सा जरूर है लेकिन उनकी यादें, बातें, प्रेम सदा मेरे साथ रहेगा।