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शादियों में दिखावे की होड़
आज शादियों में फिजूलखर्ची आम हो गई है। लोग समाज में अपना स्तर दिखाने के लिए आलीशान गार्डन, महंगी सजावट और जरूरत से ज्यादा व्यंजन बनवाते हैं। जबकि सादगी से शादी करना ही समझदारी है। सीमित मेहमान, साधारण भोजन और सामूहिक जनजागरूकता से इस प्रवृत्ति पर रोक लगाई जा सकती है। - निर्मला वशिष्ठ, राजगढ़ (अलवर)
सादगीपूर्ण विवाह का संकल्प
वैवाहिक कार्यक्रम एक दिवसीय और सरल हो। दोनों पक्ष संयुक्त रूप से धर्मशाला या सामुदायिक भवन में सादगी से विवाह करें। आतिशबाजी, दिखावे और खर्चीली परंपराओं से परहेज किया जाए। सीमित व्यंजन और सीमित लेनदेन से समाज में सादगी को बढ़ावा दिया जा सकता है। - बी. एल. शर्मा, उज्जैन
सादगी में ही सुंदरता
घर में शादी तय हो तो सबसे पहले न्यूनतम बजट तय करें। सजावट साधारण हो, मेहमान सीमित हों और व्यंजन कम हों। डिजिटल निमंत्रण का उपयोग करें। बचे हुए भोजन को जरूरतमंदों तक पहुंचाने की व्यवस्था रखें। सादगी, स्वच्छता और समझदारी से ही शादी का असली आनंद है। - लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़
पुरानी परंपराओं की ओर लौटें
आधुनिकता की चकाचौंध में विवाह समारोह अब सादगी से दूर हो गए हैं। भव्य सजावट और अनेक व्यंजनों ने खर्च बढ़ा दिया है। फिजूलखर्च रोकने के लिए सामुदायिक भवनों में आयोजन, सीमित मिठाइयां और सरल व्यवस्थाएं अपनानी चाहिए। यही पुरानी परंपरा आज फिर जरूरी है। - शक्ति सिंह चौहान, जोधपुर