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मामूली दूध वाले की बेटी ने ओलंपिक में किया कमाल, जानें कैसे फर्श से अर्श तक पहुंची अंकिता भकत

Ankita Bhakat Profiles: पेरिस ओलंपिक की महिला व्यक्तिगत रिकर्व तीरंदाजी स्पर्धा के क्वालिफिकेशन में अंकिता ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए 11वां स्थान हासिल कर सबको चौंका दिया। हालांकि अंकिता के ओलंपिक तक पहुंचने की राह इतनी आसान नहीं थी। आइये आपको भी बताते हैं उनके फर्श से अर्श तक पहुंचने की कहानी।

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Indian Archer Ankita Bhakat Profile: पेरिस ओलंपिक का आगाज हो चुका है, लेकिन इससे पहले भारतीय महिला तीरंदाज अंकिता भकत ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। पेरिस ओलंपिक की महिला व्यक्तिगत रिकर्व तीरंदाजी स्पर्धा के क्वालिफिकेशन में अंकिता ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए 11वां स्थान हासिल कर सबको चौंका दिया। हालांकि अंकिता के ओलंपिक तक पहुंचने की राह इतनी आसान नहीं थी। उनके पिता दूध बेचने का काम किया करते थे और परिवार का गुजारा उनकी आय से ही होता था। आर्थिक तंगी के बावजूद अंकिता ने तीरंदाजी के प्रति अपने लगाव को जुनून में बदला और आज ओलंपिक में भारत का परचम लहरा रही हैं।

10 साल की उम्र में शुरू की तीरंदाजी

कोलकाता की रहने वाली अंकिता ने महज 10 साल की उम्र में तीरंदाजी शुरू कर दी थी। कोलकाता के सर्कस मैदान में आयोजित एक स्थानीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में नन्ही अंकिता ने भाग लिया। हालांकि उस समय ना तो उनके पास सही उपकरण थे और ना ही अनुभव। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और स्थानीय क्लब से उपकरण उधार में लेकर तीरंदाजी का अभ्यास शुरू किया।

टाटा एकेडमी में मिला प्रवेश

अंकिता की मेहनत रंग लाई और 2014 में उन्हें टाटा तीरंदाजी एकेडमी में प्रवेश मिल गया। जमशेदपुर के कोच धर्मेंद्र तिवारी, पूर्णिमा महतो और राम अवधेश के नेतृत्व में उन्होंने अपने हुनर को निखारा। साल 2015 में 18 साल की उम्र में अंकिता ने भारतीय टीम की ओर से अमरीका के यांकटन में विश्व तीरंदाजी युवा चैंपियनशिप में हिस्सा लिया।

तीन बार की एशियन चैंपियन

अंकिता अपने प्रदर्शन के दम पर एक के बाद एक सफलता अर्जित करती गईं। उन्होंने तीन बार एशियन चैंपियनशिप भी जीती। 2015 में उन्होंने सियोल इंटरनेशनल यूथ आर्चरी फेस्ट में रजत और कांस्य पदक जीते। अंकिता 2017 में एशिया कप और भारतीय सीनियर नेशनल चैंपियनशिप के फाइनल तक पहुंचीं। 2022 में उन्होंने खेलो इंडिया महिला नेशनल रैंकिंग तीरंदाजी टूर्नामेंट में हिस्सा लिया और अपना पहला स्वर्ण पदक जीता। हांगझाऊ एशियाई खेलों में टीम ने रिकर्व वर्ग में कांस्य पदक जीता था।

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