पीवी सिंधु के पिता पीवी रमन पुलेला गोपीचंद के उस बयान पर आपत्ति जताई है, जिसमें उन्होंने भारतीय अभिभावकों ये सलाह दी थी कि अमीर नहीं है या फैमिली बिजनेस नहीं है तो उन्हें अपने बच्चों को खेल में नहीं डालना चाहिए।
भारतीय शटलर पीवी सिंधु के पिता और वॉलीबॉल में एशियाई खेलों के पूर्व कांस्य विजेता पीवी रमन ने राष्ट्रीय बैडमिंटन के कोच पुलेला गोपीचंद के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वे मध्यमवर्गीय परिवारों को हतोत्साहित न करें। बच्चों को आगे बढ़ने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं 10 भाई-बहनों में सबसे छोटा था, लेकिन मुझे राष्ट्रीय स्तर पर वॉलीबॉल खेलते देख बड़े भाई-बहन खुश होते थे, क्योंकि मुझे खेल के कारण रेलवे में नौकरी मिली थी। उन्होंने कहा कि अगर कोई निम्न या मध्यम वर्ग से हैं तो किसी भी खेल में अच्छा होना, उसके लिए अवसर खोलता है। इसके साथ यह भी याद रखना चाहिए कि खेल बच्चे के समग्र विकास के लिए बहुत अच्छा होता है।
उन्होंने कहा कि प्रतिभा कभी भी धन की कैद में नहीं होती, वह हमेशा खुद को प्रकट करती है। एक अभिभावक के रूप में आपको संतुलन बनाए रखने की जरूरत होती है। उन्होंने सिंधु की रुचि का जिक्र करते हुए कहा कि हमें बच्चों पर भरोसा करना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि एक खिलाड़ी के रूप में किसी को भी दूसरों को खेल के प्रति हतोत्साहित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि खेल भी लोगों के लिए रोजगार के अवसर खोलता है। रेलवे हजारों एथलीटों को काम पर रख रहा है। खेलों में अच्छा होने पर प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश मिलता है। युवा खिलाडि़यों को नौकरी के अवसरों की उचित सूचना देकर मार्गदर्शन करना कोचों की जिम्मेदारी है।
पुलेला गोपीचंद ने भारतीय अभिभावकों को सलाह देते हुए कहा था कि अगर वह अमीर नहीं है या फैमिली बिजनेस नहीं है तो उन्हें अपने बच्चों को खेल में नहीं डालना चाहिए। बच्चों को खिलाड़ी बनने के लिए नहीं कहना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्रिकेट का मामला थोड़ा अलग है, लेकिन अन्य खेलों में खिलाडि़यों के सफल होने के चांस कम होते हैं।