दे दी हमें आजादी: प्रदेश के सभी कॉलेजों में अनिवार्य व्हीलचेयर सुविधा के लिए कॉलेज शिक्षा विभाग से आदेश करवाए। राजस्थान में मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन करवाया, दिव्यांगों के अनुकूल परिवहन सुनिश्चित के प्रावधान लागू करवाए।
Dr. Vaibhav Bhandari: पाली के 35 वर्षीय डॉ. वैभव भंडारी ने साबित कर दिया कि दिव्यांगता कोई बाधा नहीं। स्वयं प्रगतिशील दिव्यांगता से संघर्षरत होते हुए डॉ. भंडारी ने अन्य दिव्यांगों को लड़ना सिखाया।
डॉ. वैभव ने ‘स्वावलंबन फाउंडेशन’ की नींव रखी, जो देश के 15 से अधिक राज्यों के दुर्लभ ( रेयर डिजीज) बीमारियों से पीड़ित मरीजों और दिव्यांगजनों को संबल प्रदान कर रहा है। ‘वॉइस ऑफ रेयर’ जैसे राष्ट्रीय अभियानों के माध्यम से दुर्लभ बीमारियों पर देशभर में जागरूकता फैलाई और नीति निर्माताओं तक उनकी आवाज पहुंचाई।
दुर्लभ मरीजों एवं उनके परिजन को नि:शुल्क मनोवैज्ञानिक परामर्श दे रहे हैं। दिव्यांगजनों के अधिकारों पर शोध करते हुए जब पीएचडी की, तब जमीनी स्तर पर कार्य करते हुए 15 से अधिक सार्वजनिक स्थलों, सरकारी भवनों में रैम्प बनवाए।
सिलिकोसिस के मरीजों के लिए हर जिले में मासिक शिविरों की व्यवस्था के लिए मानवाधिकार आयोग से आदेश करवाए।
अब तक 47,534 से अधिक दिव्यांग फाउंडेशन के माध्यम से लाभान्वित हो चुके हैं। राजस्थान के पहले व्यक्ति जिन्होंने इच्छा मृत्यु पर लिविंग विल बनाई। दिव्यांग बाल मेले का आयोजन किया जो एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ। सरकार ने डॉ. भंडारी को राष्ट्रीय पुरस्कार (2022), ‘सर्वश्रेष्ठ दिव्यांगजन’ के रूप में सम्मानित किया।
"रेयर डिजीज को लेकर लोगों में जागरूकता नहीं थी। इसी वजह से इन्हें सुविधाएं नहीं मिल रही थीं।"