Shani Vakri : नौ ग्रहकों में से एक शनि जब भी अपनी चाल बदलते है तो राशियों पर उसका बहुत प्रभाव पड़ता है। कर्मफलदाता और न्यायप्रिय शनिदेव ने 30 जून को चाल बदली थी ओर वक्री हो गए थे। वे अपनी स्वराशि व मूल त्रिकोण राशि कुंंभ मतें वक्री हुए है।
Shani Vakri : नौ ग्रहकों में से एक शनि जब भी अपनी चाल बदलते है तो राशियों पर उसका बहुत प्रभाव पड़ता है। कर्मफलदाता और न्यायप्रिय शनिदेव ने 30 जून को चाल बदली थी ओर वक्री हो गए थे। वे अपनी स्वराशि व मूल त्रिकोण राशि कुंंभ मतें वक्री हुए है। यह सबसे धीमी चाल वाले शनिदेव 139 दिन तक वक्री रहेंगे। इससे कुछ राशियों के जातकों के धन की वृदि्ध होगी। उनको सुख-समृदि्ध व वैभव मिलेगा। वहीं कुछ राशियों के लिए बेहतर परिणाम नहीं होंगे।
ज्याेतिषाचार्य शास्त्री प्रवीण त्रिवेदी ने बताया कि वक्री शनि अपने अंदर झांकने और खुद का ख्याल रखने के लिए मजबूर करने वाली भावना पैदा करता है। शनि केवल दर्द और पीड़ा का ग्रह नहीं है, बल्कि यह आपको जीवन के सभी सौभाग्य का आनंद लेने का आशीर्वाद भी दे सकता है। वक्री शनि उच्च पद प्राप्त करने के लिए धैर्य और दृढ़ता प्रदान करेगा। हालांकि शनि परिणाम प्राप्त करने में लंबा समय ले सकता है या विलंब कर सकता है। जिसके कारण व्यक्ति को निराशा हो सकती हैं, लेकिन जब यह काम करना शुरू करेगा, तो बहुत सारे आश्चर्यों से भरा होंगे।
इनको नहीं करना चाहिए नया कार्य
वक्री शनि धैर्य और गहन व स्थिर सोच की मांग करता है। जिन जातकों को शनि की साढ़े साती चल रही है, उन्हें वक्री शनि के दौरान कोई नया काम या परियोजना शुरू नहीं करनी चाहिए। शनि की वक्री ऊर्जा के कारण सफलता मिलने की संभावना कम होगी। वक्री अवधि के दौरान शनि व्यक्ति की परीक्षा लेते है। इसके बदले में वफादार, प्रतिबद्ध, मजबूत, धार्मिक और सही निर्णय लेने में सक्षम बनाते है।
यह भी करते है शनिदेव
वक्री शनि शिकायत करने वाली प्रवृत्ति को उत्पन्न कर सकते है। इसलिए इस समय अधिक जिम्मेदार होने और ईमानदार दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। यह अवधि सफल रिश्तों को बनाए रखने के लिए समर्पण, सहानुभूति, वफ़ादारी और प्यार की मांग करती है।