International Tiger Day: देश में बाघों की आबादी बढ़ने के साथ फील्ड डायरेक्टरों को इस दिशा में गंभीरता से काम करने की जरूरत डब्ल्यूआइआइ और एनटीसीए (WII and NTCA) ने बाघ आवास के अनुकूल देश के करीब चार लाख वर्ग क्षेत्र का किया वैज्ञानिक सर्वे, रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा...
International Tiger Day: देश में बाघों की बढ़ती आबादी (Good News tiger Increased in India) के साथ ही उनके लिए बढ़ते भोजन की मांग को पूरा करना चुनौती (Big Challenge) बन रहा है। डब्ल्यूआइआइ और एनटीसीए (WII and NTCA Report) ने बाघ आवास के अनुकूल देश के करीब चार लाख वर्ग क्षेत्र का वैज्ञानिक सर्वे कर बाघ आवासों खुर वाले जानवरों की स्थिति शीर्षक से रिपोर्ट प्रकाशित कर शाकाहारी वन्यप्राणियों की कई राज्यों में घटती संख्या पर चिंता जताई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बाघों को बचाने के साथ ही उनके लिए भेाजन (शाकाहारी वन्यप्राणियों) का प्रबंध करना जरूरी है। शाहकारी वन्यप्राणियों की उपस्थिति ही बाघों का भविष्य तय करेगी।
दरअसल, देश में बाघों की आबादी बढ़ने के साथ ही शाकाहारी वन्यप्रणियों पर दबाव बढ़ा है। ऐसें में सभी फील्ड डायरेक्टरों को इस दिशा में गंभीरता से काम करने की जरूरत है। मप्र में अभी अन्य प्रदेशों की अपेक्षा शाकाहारी वन्यप्राणियों की उपस्थिति संतोषजनक है।
उत्तराखंड में शाकाहारी वन्यप्राणियों की अच्छी संख्या है पर सीमित क्षेत्र में ही पाये जा रहे हैं। जिम कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व में शाकाहारी वन्यप्राणी अच्छी स्थिति में हैं, लेकिन बाघों की टेरेटरी ही बहुत छोटी है। महाराष्ट्र मेें मिश्रित स्थिति ताडोबा-पेंच अच्छा, लेकिन विदर्भ के जंगलों में उपस्थिति कमजोर है। राजस्थान में सीमित मात्रा में, रणथंभौर में ठीक-ठाक स्थिति है। छत्तीसगढ़ में जंगलों में शिकार, पुनर्वास की समस्या के कारण शाकाहारी वन्य प्राणियों की उपस्थिति बहुत कमजोर है।