बिहार में किसी भी दिन अब विधानसभा चुनाव की घोषणा हो सकती है। हालांकि सीट शेयरिंग पर किसी भी गठबंधन में अभी तक फैसला नहीं हो पाया है। लेकिन, सूत्रों का कहना है कि आपसी सहमति बन गई है।
बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी अपने एक दर्जन से ज्यादा विधायकों के इस दफा टिकट नहीं देगी। सूत्रों का कहना है कि पोलो रोड स्थित तेजस्वी यादव के आवास पर हुई बैठक में इसपर अन्तिम मुहर लग गई है। पिछले दो दिनों से तेजस्वी यादव अपने सरकारी आवास पर पार्टी के सीनियर नेताओं के साथ बैठक के बाद यह फैसला लिया है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी की ओर से किए गए सर्वे रिपोर्ट पर पार्टी ने यह फैसला लिया है। सबसे ज्यादा पार्टी के टिकट पर जीते कैमूर के विधायकों का नाम कटने की बात कही जा रही है।
आरजेडी सूत्रों का कहना है कि पार्टी की ओर से चुनाव को लेकर एक सर्वे कराया गया था। सर्वे रिपोर्ट में जिनको लेकर संतोषजनक फीडबैक नहीं मिला पार्टी उनको दोबार अपना प्रत्याशी नहीं बनाने का फैसला लिया है। इसके साथ ही पार्टी ने उनको भी इस दफा टिकट नहीं देगी जिनका क्षेत्र में काफी विरोध हो रहा है। उम्रदराज विधायकों को भी पार्टी इस बार टिकट नहीं देने का फैसला लिया है। कई-कई बार जनता द्वारा चुनकर आए इन विधायकों पर इस बार तलवार लटकी है। क्षेत्र में दूसरे कई दावेदार फील्डिंग करते नजर आ रहे हैं।
आरजेडी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से संभावित प्रत्याशियों को शुक्रवार को बुलाया गया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इनको अपनी तैयारी शुरू करने को लेकर संकेत दे दिया जायेगा। इनके नाम की घोषणा सीट शेयरिंग के बाद की जायेगी। लेकिन, जिनको पार्टी अपना प्रत्याशी बनाने का मन बना लिया है उनको इशारा कर दिया जायेगा। कहा जा रहा है कि सोमवार के बाद महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर अपनी अन्तिम मुहर लग सकती है। पार्टी इसके बाद अपने प्रत्याशियों के नाम की
घोषणा कर देगी।
आरजेडी सूत्रों के अनुसार पार्टी अपने गढ़ मगध में सबसे कम प्रत्याशी बदलेगी। सूत्रों का कहना है कि यहां पर उनके टिकट कटेंगे जिनका काम औसत से भी कम है। कहा जा रहा है कि सबसे ज्यादा कैमूर में पार्टी अपनी प्रत्याशी बदलेगी। पार्टी कैमूर, भोजपुर और मगध में इस दपा मजबूत प्रत्याशी उतारने का मन बना लिया है। हाल के दिनों में एनडीए की सक्रियता के बाद पार्टी ने हर एक सीट पर लंबी चर्चा करने के बाद अपना फैसला लिया है।