बिहार विधानसभा चुनाव 2025: राहुल गांधी अति पिछड़ी जातियों को साधना चाह रहे हैं। इसको लेकर राहुल गांधी ने सीएम नीतीश कुमार से आगे निकलते हुए बुधवार को महागठबंधन की ओर से जारी किया गया। स्पेशल मेनिफेस्टो में पंचायत और नगर निकाय में अतिपिछड़ा का आरक्षण बढ़ाकर 30% करने का वादा किया गया है।
बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा में अब कुछ ही दिन बचे हैं। इससे पहले राजनीतिक दल अपने अपने स्तर से वोटरों को गोलबंद करने का प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में बिहार में राजनीतिक दलें अति पिछड़ी जातियों को साधने में जुट गई हैं। जदयू की ओर से अति पिछड़ी जातियों किए गए काम के आधार पर उनको गोलबंद करने का प्रयास कर रही है वहीं महागठबंधन अपना EBC एजेंडा जारी कर रहा है।
बिहार में 36% की आबादी अति पिछड़ों की है। जो कि बिहार में सबसे बड़ा समूह है। अभी तक ये पारंपरिक रूप से नीतीश कुमार के वोटर माने जाते हैं। महागठबंधन SC/ST एक्ट की तरह EBC एक्ट का वादा किया है। इसके साथ ही पंचायती राज नगरीय निकाय चुनाव में EBC आरक्षण की सीमा को 20 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी करने का ऐलान किया। मुंगेरीलाल कमीशन ने पिछड़ों में दो वर्ग की पहचान की थी। 35 जातियों को पिछड़ा और 93 जातियों को अति पिछड़ा माना गया था। इस कमीशन की रिपोर्ट को तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने लागू किया।
इसके आधार पर अति पिछड़ों को 12 फीसदी और पिछड़ों को 8 फीसदी आरक्षण मिलने लगा। इससे पिछड़ी जातियों के उस हिस्से को फायदा मिला जो भूमिहीन थे या मजदूर वर्ग से आते थे। नीतीश कुमार जब वर्ष 2005 में सीएम बने तो उन्होंने इस वर्ग के लोगों को पंचायती राज में 20% आरक्षण दिया। नगरीय निकाय चुनाव में भी इसे लागू किया। ऐसा करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बना। नीतीश कुमार के इस फैसले से इस वर्ग को काफी लाभ हुआ।
नीतीश कुमार ने इसके साथ ही प्री-मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप की शुरुआत किया। पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों के लिए जिलों में हॉस्टल भी खुलवाए। राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने के लिए अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले नेताओं को विधान परिषद और राज्यसभा में जगह दी। नीतीश कुमार JDU कोटे से रामनाथ ठाकुर, दामोदर रावत, हरि प्रसाद साह और विश्वमोहन कुमार को मंत्री बनाया। नीतीश के इस पहल से पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग जिसकी आबादी बिहार में सबसे ज्यादा है वह नीतीश कुमार का वोटर बन गया।
राहुल गांधी इसी वोटर को साधना चाह रहे हैं। यही कारण है राहुल गांधी ने नीतीश कुमार से आगे निकलते हुए बुधवार को महागठबंधन की ओर से जारी किया गया स्पेशल मेनिफेस्टो में पंचायत और नगर निकाय में अतिपिछड़ा का आरक्षण बढ़ाकर 30% करने का वादा किया गया है। इसके साथ ही प्रदेश में महागठबंधन की सरकार बनने पर ‘अतिपिछड़ा अत्याचार निवारण अधिनियम’ पारित किया जाएगा।
आबादी के अनुपात में आरक्षण की 50% की सीमा को बढ़ान हेतु विधान मंडल पारित कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची मे शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। नियुक्तियो की चयन प्रक्रिया में “Not Found Suitable” (NFS) जैसी अवधारणा को अवैध घोषित किया जाएगा। अतिपिछड़ा, अनुसूचित जाति, जन-जाति तथा पिछड़ा वर्ग के सभी आवासीय भूमिहीनों को शहरी क्षेत्रों मे 3 डेसिमल तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 5 डेसिमल आवासीय भूमि उपलब्ध करायी जाएगी।
25 करोड़ रुपयों तक के सरकारी ठेकों/ आपूर्ति कार्यो में अतिपिछड़ा, अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ी जाति के लिए 50% आरक्षण का प्रावधान किया जाएगा.‘शिक्षा अधिकार अधिनियम’ (2010) के तहत निजी विद्यालयो में नामांकन हेतु आरक्षित सीटो का आधा हिस्सा अतिपिछड़ा, पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति और जन-जाति के बच्चों हेतु निर्धारित किया जाएगा।आरक्षण की देखरेख के लिए उच्च अधिकार प्राप्त आरक्षण नियामक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा, और जातियो की आरक्षण सूची में कोई भी परिवर्तन केवल विधान मंडल की अनुमति से ही संभव होगा।
दअसल, कांग्रेस राज्य में ईबीसी की करीब 36 फीसदी वोटर और करीब 27 फीसदी आबादी ओबीसी बिरादरी को साधने में लगी है। कांग्रेस का मानना है कि इसमें अगर थोड़ा भी सेंघमारी करने में सफल हुए तो कांग्रेस के हाथ में बिहार का साथ आ सता है। राहुल गांधी ने बिहार में अपनी यात्रा के दौरान राज्य के ओबीसी और ईबीसी वोटरों को साधने का प्रया किया था। क्योंकि कांग्रेस को पता है कि बिहार में अगर कांग्रेस को अपनी जमीन मजबूत करनी है तो इस दो वर्ग को साधना बेहद जरूरी है। नीतीश कुमार के कारण यह वोटर एनडीए के साथ है।
कांग्रेस की सक्रियता के कारण बिहार का चुनाव काफी रोचक हो गया है। कांग्रेस राज्य में एक मजबूत प्लेयर बनने की कोशिश में है। कांग्रेस के प्लान का संभवत: एनडीए के घटक दलों को पता था। यही कारण था कि नीतीश ने आज विज्ञापन वाला दांव खेल कर अपने परंपरागत वोटरों को गोलबंद करने का प्रयास किया है। नीतीश कुमार ने इस विज्ञापन के सहारे बताने का प्रयास किया है कि कैसे 2005 से 2025 तक का साथ रहा है। नीतीश के इस दांव पर राहुल गांधी की कांग्रेस ने भी बड़ा दांव खेल दिया है। इससे साफ है कि बिहार का चुनाव इस दफा रोचक होने वाला है।