पटना

Bihar Chunav: बिहार का एक ऐसा जिला जहां 10 में से 6 विधानसभा सीटों पर 20-35 वर्षो से है एक ही परिवार का कब्जा

बिहार के गया जिला के 10 विधानसभा सीटों में से छह विधानसभा पर पिछले दो से तीन दशक से एक ही परिवार का कब्जा है। कहीं बाप की जगह बेटे ने ले लिया है तो कहीं मां- बेटी का कब्जा है।

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Aug 21, 2025
गया में एक ही परिवार का छह विधानसभा सीटों पर कब्जा

बिहार का एक जिला है गया। गया जिला में दस विधानसभा हैं। दस विधानसभा में से छह पर पिछले 20 -35 वर्षो से एक ही परिवार का कब्जा है। हालांकि बेलागंज में हुए उप चुनाव में यह परंपरा टूटी है। लेकिन अन्य पर अभी भी एक ही परिवार का कब्जा है। राजनीतिक दल यहां से अपने जिताऊ उम्मीदवार बदलने का कोई खतरा नहीं लेना चाह रही है। इसी कारण कोई भी राजनीतिक दल किसी दूसरे उम्मीदवार को मौका नहीं दे रही है। राजनीतिक पार्टियां भी अपने इन जिताऊ उम्मीदवार को हटाने का कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती है। इसका नतीजा है कि एक-एक विधानसभा क्षेत्र में सात बार से एक ही विधायक हैं। सबसे पहले हम चर्चा गया शहरी विधानसभा की करते हैं।

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गया शहरी विधानसभा

गया शहरी विधानसभा सीट पर पिछले 35 वर्षो से एक ही पार्टी के एक ही व्यक्ति विधायक हैं। ये पिछले सात बार से गया शहरी क्षेत्र से विधायक हैं। प्रेम कुमार वर्ष 1990 से भाजपा के टिकट पर लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। इस सीट पर इस दफा कौन चुनाव लड़ेगा इसका अभी पार्टी ने फैसला नहीं किया है। वैसे इस सीट पर इस बार भी भाजपा से प्रेम कुमार को ही प्रबल उम्मीदवार माना जा रहा है।

बेलागंज विधानसभा

बिहार के बेलागंज विधानसभा सीट से सुरेंद्र यादव आठ बार से विधायक चुने गए हैं। वर्ष 2024 लोकसभा चुनाव में जीत के बाद वे इस सीट से इस्तीफा दिया था। उनके इस्तीफा के बाद हुए उप- चुनाव में जदयू प्रत्याशी मनोरमा देवी यहां से विश्वनाथ सिंह को पराजित कर इस सीट को अपने नाम किया है। सुरेंद्र यादव पहली बार वर्ष 1990 में अभिराम शर्मा को हरा कर जीत हासिल किया था। इसके बाद 1998-2000 की अवधि को छोड़कर वे लगातार यहां से विधायक रहे हैं।

अतरी विधानसभा

गया जिला के अतरी विधानसभा सीट पर राजेंद्र यादव और उनके परिवार का ही वर्ष 1995 से दबदबा रहा है। राजेंद्र यादव और उनका परिवार यहां से छह बार से विधायक हैं। वर्ष 2020 में राजेंद्र यादव के बेटे अजय यादव को राजद ने अपना प्रत्याशी बनाया था। उन्होंने यहां से जदयू प्रत्याशी मनोरमा देवी को पराजित कर इस सीट पर एक बार फिर से जीत हासिल किया था। राजेंद्र यादव खुद 1995 से 2005 तक विधायक रहे। अक्टूबर 2005 से 2020 तक उनकी पत्नी कुंती देवी विधायक रहीं। 2020 से अभी तक उनका बेटा अजय यादव विधायक हैं।

वजीरगंज विधानसभा

वजीरगंज विधानसभा सीट से 2015 में कांग्रेस के टिकट पर अवधेश कुमार सिंह यहां से चुनाव जीते थे। वर्ष 2020 में कांग्रेस ने उनके बेटे डॉ शशि शेखर को चुनावी मैदान में उतारा था। लेकिन वे चुनाव हार गए। इसके पूर्व वजीरगंज मुफस्सिल विधानसभा क्षेत्र में आता था। यहां से अवधेश सिंह 1985, 1990 और फरवरी 2005 और अक्टूबर 2005 के चुनाव में जीते थे। कुल मिला कर वह 20 साल तक विधायक रहे।

इमामगंज विधानसभा

इमामगंज विधानसभा सीट से उदय नारायण चैधरी पांच बार विधायक रह चुके हैं। पहली बार 1990 जीते थे। इसके बाद 2000, फरवरी 2005, अक्टूबर 2005 और 2010 में वे यहां से चुनाव जीता। 2020 में वे राजद के टिकट से चुनाव लड़े थे। लेकिन, वे हम पार्टी के प्रमुख जीतन राम मांझी से चुनाव हार गए थे। जीतन राम मांझी के 2024 में लोकसभा चुनाव जीतने पर उनकी पार्टी ने जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी को प्रत्याशी बनाया था। दीपा मांझी ने आरजेडी के रौशन मांझी को पराजित कर यह सीट अपने नाम कर लिया था।

बाराचट्टी विधानसभा

बाराचट्टी सीट पर भगवती देवी और उनके परिवार का सदस्यों लंबे समय से कब्जा रहा है। भगवती देवी यहां से तीन बार विधायक रहीं। उनके निधन के बाद 2015 में उनकी बेटी समता देवी राजद के टिकट पर यहां से निर्वाचित हुईं। भगवती देवी के पुत्र विजय कुमार जदयू के टिकट से गया सुरक्षित सीट से सांसद थे। वर्ष 2020 में आरजेडी ने समता देवी पर ही भरोसा जताते हुए उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया था। लेकिन, वे जीतन राम मांझी की समधन ज्योति देवी से चुनाव हार गईं।

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