Cyber Crime: SIM बॉक्स बनाकर साइबर ठगी करने वाले गैंग के खिलाफ जांच की कमान अब CBI ने संभाल ली है। अब तक बिहार पुलिस की EOU इस पूरे मामले की जांच कर रही थी। लेकिन अब बिहार सरकार की अनुशंसा पर CBI इस मामले में नई एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू करेगी।
Cyber Crime: बिहार के ग्रामीण इलाकों से पूरे देश में फैला सिम बॉक्स के जरिए साइबर ठगी का नेटवर्क अब CBI के रडार पर है। फर्जी कॉल, फर्जी पहचान, थोक में खरीदी गई सिम कार्ड और चोरी-छिपे चलाए जा रहे अवैध टेलीफोन एक्सचेंज के जरिए साइबर गिरोह लाखों रुपये का खेल कर रहे थे। राज्य सरकार की अनुशंसा के बाद CBI ने इस पूरे रैकेट की जांच अपने हाथ में लेने की तैयारी कर ली है। CBI की आर्थिक अपराध शाखा की टीम अगले हफ्ते पटना पहुंचेगी और सिम बॉक्स से जुड़े मामलों में नई FIR दर्ज कर जांच शुरू करेगी। इस मामले में अब तक EOU (आर्थिक अपराध इकाई) द्वारा जुटाए गए दस्तावेज, गिरफ्तारियां, सिम बॉक्स की बरामदगी और फर्जी बायोमेट्रिक डेटा सब कुछ CBI को सौंपा जाएगा।
साइबर फ्रॉड करने वाले SIM बॉक्स नाम की एक छोटी सी मशीन के ज़रिए अपना फ्रॉड करते हैं। इस बॉक्स में 32 से 64 स्लॉट होते हैं जिनमें अलग-अलग कंपनियों के SIM कार्ड डाले जाते हैं। यह मशीन विदेशी नंबरों से आने वाले इंटरनेट कॉल को लोकल मोबाइल नंबरों पर रीडायरेक्ट कर देती है। इसका मतलब है कि फ्रॉड करने वाला भारत से बात कर रहा होता है, लेकिन ऐसा लगेगा कि कॉल किसी विदेशी नंबर या बैकएंड IP कॉल से आपके पास आ रही है।
SIM बॉक्स की मदद से कॉल करने वाले का असली लोकेशन और असली पहचान पता नहीं चल पाता। ऐसे में पुलिस के लिए भी साइबर फ्रॉड करने वालों को ट्रेस करना मुश्किल हो जाता है। इस बॉक्स के ज़रिए दिन भर में हजारों कॉल किये जाते हैं। इससे टेलीफोन कंपनियों को भी रेवेन्यू का भारी नुकसान होता है।
इस फ्रॉड के लिए गैंग नकली बायोमेट्रिक्स का इस्तेमाल करके एक साथ हज़ारों SIM कार्ड खरीदता है। फिर, इन्हें SIM बॉक्स में डालकर अलग-अलग राज्यों से लोगों को कॉल करके ठगता है। कभी बैंक KYC अपडेट, कभी बिजली बिल का बकाया, तो कभी पार्सल अटकने के बहाने यह फ्रॉड किया जाता है। फ्रॉड करने वाले पहले लोगों का भरोसा जीतते हैं और फिर OTP, बैंक डिटेल्स और UPI पेमेंट डिटेल्स निकलवा लेते हैं।
इस साल जुलाई-अगस्त में सुपौल, भोजपुर, मोतिहारी, समस्तीपुर, पूर्णिया और यूपी के वाराणसी और देवघर में लगातार सिम बॉक्स मिले। कई गिरफ्तारियां भी हुईं, लेकिन गिरोह का सरगना अंजनी छापेमारी के दौरान फरार हो गया। मार्च 2024 में भी गोपालगंज में ऐसा ही मामला पकड़ा गया था। EOU की जांच में पता चला कि गैंग ने अपना नेटवर्क बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल तक फैला लिया था। इन फ्रॉड की शिकायतें कई राज्यों में साइबर हेल्पलाइन पर दर्ज कराई गई थी। SIM बॉक्स फ्रॉड केस की जांच में डार्क वेब और हवाला के जरिए हुए लेन-देन का भी पता चला है। पकड़े गए आरोपियों के पास से करोड़ों की क्रिप्टोकरेंसी भी बरामद हुई है।
बिहार के गृह विभाग और पुलिस हेडक्वार्टर ने आधिकारिक तौर पर CBI को पूरे केस की जानकारी दे दी है। SIM बॉक्स रैकेट के इंटरनेशनल कनेक्शन, टेलीकॉम कंपनियों से जुड़ी POS यूनिट्स की भूमिका, और नकली बायोमेट्रिक्स का इस्तेमाल करके SIM कार्ड खरीदने वाला नेटवर्क, ये सभी CBI की जांच का हिस्सा होंगे। ADG EOU नैयर हसनैन खान के मुताबिक, "सभी केस CBI को सौंप दिए गए हैं। उम्मीद है कि वह जल्द ही एक नई FIR दर्ज करेगी और अपनी इंडिपेंडेंट जांच शुरू करेगी।"