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पटना एयरपोर्ट पर लैंडिंग और टेक ऑफ की समस्या का होगा समाधान, AAI कर रहा बड़ी तैयारी

पटना एयरपोर्ट के रनवे पर विजिबिलिटी बढ़ाने के लिए 12 हाई मास्ट पोल लाइट लगाने की योजना बनाई गई है। इसके लिए पटना चिड़ियाघर से ज़मीन मांगी गई है।

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Sep 15, 2025

पटना एयरपोर्ट पर विमानों के सुरक्षित टेकऑफ और लैंडिंग को लेकर बड़ी परेशानी खत्म हो सकती है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने का फैसला किया है। रनवे पर विजिबिलिटी बढ़ाने के लिए कुल 12 हाई मास्ट पोल लाइट लगाने का प्रस्ताव है। इससे धुंध, कोहरा या खराब मौसम में भी फ्लाइट ऑपरेशन प्रभावित नहीं होगा।

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फ्लाइट ऑपरेशन सुधार के लिए हाई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल

पटना एयरपोर्ट पर अब तक विजिबिलिटी 1000 मीटर से कम होने पर उड़ान भरने और लैंडिंग की समस्या आती थी। नई व्यवस्था के अनुसार, इन हाई मास्ट पोल लाइट के लगने के बाद 550 मीटर की विजिबिलिटी में भी विमान सुरक्षित रूप से उड़ान भर सकेंगे। हर पोल में लगभग 40 लाइटें होंगी और कुल 900 मीटर के रनवे क्षेत्र में ये लगाए जाएंगे। पोलों के बीच की दूरी लगभग 3 मीटर होगी, जिससे रनवे पर प्रकाश का पूर्ण कवरेज मिलेगा।

जमीन की मांग और जू प्रशासन की शर्तें

एयरपोर्ट अथॉरिटी ने इस काम के लिए पटना जू से जमीन मांगी है, जो रनवे किनारे है। हालांकि, पटना जू प्रशासन ने पेड़ों की कटाई को लेकर चिंता जताई है और जमीन देने से पहले वन विभाग से मंजूरी लेना जरूरी बताया है। इसके अलावा जमीन के बदले जमीन देने की प्रक्रिया भी पूरी करनी होगी। AAI ने डीजीसीए को डिमांड रिपोर्ट भेज दी है और मंजूरी मिलते ही काम शुरू होगा।

कोहरे और खराब मौसम में फ्लाइट कैंसिलेशन की समस्या खत्म

हाई मास्ट लाइट लगने से कोहरे वाले मौसम में फ्लाइट के कैंसिलेशन की समस्या लगभग 99 प्रतिशत तक कम हो जाएगी। इससे यात्रियों को देरी, उड़ानों के डायवर्जन और कैंसिलेशन से राहत मिलेगी। साथ ही, एयरपोर्ट की सुरक्षा मानक भी बढ़ेंगे और पटना एयरपोर्ट क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए और अधिक आकर्षक बन जाएगा।

प्रमुख बातें

  • कुल 12 हाई मास्ट पोल लगाए जाएंगे, हर पोल में लगभग 40 लाइटें होंगी।
  • रनवे के 900 मीटर लंबे क्षेत्र को कवर किया जाएगा।
  • पोलों की दूरी लगभग 3 मीटर होगी।
  • पटना जू से जमीन परमिट मिलने के बाद कार्य शुरू होगा।
  • कोहरे या खराब मौसम में विजिबिलिटी घटने पर भी फ्लाइट ऑपरेशन बाधित नहीं होगा।
  • करीब 99% तक फ्लाइट कैंसिलेशन की समस्या खत्म होगी।

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