Bihar Voter List Revision मुद्दे पर जदयू में भी मतभेद सामने आने लगे हैं। CM नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले सांसद गिरधारी यादव बिहार ने तो कहा कि मुझे SIR के सारे दस्तावेज इकट्ठा करने में मुझे 10 दिन लग गए। किसान और आम जनता का दर्द समझा जा सकता है।
Bihar Voter List Revision: बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण काम जारी है। विपक्ष इसकी प्रक्रिया पर सवाल खड़ा कर रहा है। विपक्ष के साथ साथ अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी में भी इसका विरोध होने लगा है। संसद के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन जनता दल यूनाइटेड (JDU) के लोकसभा सांसद गिरधारी यादव ने SIR के मुद्दे पर चुनाव आयोग पर तंज कर सबको चौंका दिया है।
न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में गिरिधारी यादव ने चुनाव आयोग पर व्यवहारिक ज्ञान न होने का आरोप लगाते हुए कहा, “चुनाव आयोग को कोई व्यावहारिक ज्ञान नहीं है, उसे न तो बिहार का इतिहास पता है और न ही भूगोल। चुनाव आयोग जिस कागज की मांग कर रहा है वह सब सारे दस्तावेज को इकट्ठा करने में मुझे 10 दिन का समय लग गए तो फिर बरसात और खेती के दिन में किसान को कागज की जुगाड़ करने में कितनी परेशानी हो रही होगी। यह SIR हम पर जबरदस्ती थोपा गया है.” इधर, जेडीयू विधायक संजीव सिंह ने भी इसपर सवाल खड़ा किया।
ANI से बात करते हुए JDU सांसद गिरधारी यादव ने कहा कि SIR के लिए और अधिक समय की मांग किया। उन्होंने कहा कि “SIR पर चुनाव आयोग को कम से कम 6 महीने का समय दिया जाना चाहिए था। यह मेरा निजी विचार है। इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि पार्टी क्या कह रही है। पार्टी के साथ हम तब हैं जब हम वोट डालने जाएंगे। बाकी मेरा स्वतंत्र विचार भी है। उन्होंने आगे कहा कि यही सच है और अगर मैं सच नहीं कह सकता, तो मैं सांसद क्यों बना हूँ?” बिहार के CM नीतीश कुमार के करीबी नेताओं में गिरधारी यादव एक हैं। चार बार लोकसभा के सदस्य चुने जा चुके हैं। गिरधारी यादव के इस सवाल के बाद NDA और नीतीश कुमार को असहज कर सकता है।
इधर, बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण पर जेडीयू के विधायक संजीव सिंह ने बुधवार को कहा कि एसआईआर को लेकर कई प्रकार की समस्याओं का जिक्र किया। न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने आगे कहा कि इस मुद्दे पर मुझे अपने विधानसबा क्षेत्र में कई प्रकार के सवालों का सामना करना पड़ रहा है। जो व्यवहारिक है। मैं उसका जवाब नहीं दे पा रहा हूं तो "सवाल उठना लाजिमी है। उन्होंने आगे कहा कि जो मजदूर बाहर हैं जिनका कॉन्ट्रैक्ट है कि आपको छह महीने तक छुट्टी नहीं है, काम करना है। उनका नाम तो कटेगा तो ये बहुत दुखद है." संजीव सिंह ने कहा कि चुनाव आयोग को वैसे मजदूर जो प्रवासी हैं उनका नाम नहीं कटे इसको लेकर व्यवस्था करनी होगी। तब ही ये मुद्दा शांत होगा।
चुनाव आयोग की तरफ से 24 जून से शुरू किए गए विशेष गहन पुनरीक्षण 25 जुलाई को खत्म हो रहा है। चुनाव आयोग द्वारा कि कुल 52 लाख मतदाताओं का मतदाता सूची से हटाए जाने की बात कही जा रही है।