Bihar Politics: कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने बिहार चुनाव 2025 के परिणाम आने के बाद ही यह संकेत दिया था कि कांग्रेस‑आरजेडी का गठबंधन केवल चुनाव तक ही सीमित था।
Bihar Politics: बिहार चुनाव 2025 में करारी हार के बाद कांग्रेस फिर से संगठन को मजबूत करने और हार के कारणों की समीक्षा कर रही है। इस बीच, कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने प्रशांत किशोर की पार्टी के साथ संभावित गठबंधन पर बयान दिया, उनके इस बयान के बाद बिहार में राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। उनके इस बयान के बाद यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या आरजेडी‑कांग्रेस का पुराना गठबंधन टूट जाएगा?
कृष्णा अल्लावरु ने न्यूज़ लॉन्ड्री को दिए इंटरव्यू में कहा कि चुनाव के बाद हमारे पास सारे विकल्प खुले हैं। प्रशांत किशोर के साथ संभावित गठबंधन के सवाल पर उन्होंने दोहराया, “हमारे पास सभी विकल्प खुले हैं।” उन्होंने आगे कहा कि बिहार में संगठन को मजबूत करने के लिए जो भी उचित फैसला होगा, वह लिया जाएगा। इस बयान के बाद बिहार का राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है।
कृष्णा अल्लावरु के इस बयान को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम के बयान से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। चुनाव परिणाम आने के बाद राजेश राम ने कहा था, “आरजेडी की बातों से कांग्रेस का कोई लेना‑देना नहीं है; कांग्रेस‑आरजेडी का गठबंधन सिर्फ चुनाव तक ही सीमित था।” राजनीतिक विश्लेषकों ने दोनों बयानों को मिलाकर अपनी‑अपनी तरह से व्याख्या कर रहे है।
कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन के बारे में पूछे जाने पर सीनियर पत्रकार अरुण कुमार पांडेय ने कहा कि कांग्रेस ने इसकी तैयारी पहले से ही कर ली थी। राहुल गांधी की वोटर अधिकार की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इससे बिहार में राहुल गांधी ने एक सोशल इंजीनियरिंग बनाने का प्रयास किया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आरजेडी के साथ बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए गठबंधन किया था, लेकिन 2025 के चुनाव में वह काम नहीं आया। संभव है कि कांग्रेस अब अपने गठबंधन को लेकर पुनः विचार कर रही हो। शायद कृष्णा अल्लावरु इस बात को ध्यान में रखते हुए प्रशांत किशोर के साथ गठबंधन की चर्चा कर रहे हों, क्योंकि बिहार में बीजेपी के बाद यदि किसी के पास व्यवस्थित संगठन है तो वह जन सुराज के पास है। कांग्रेस जनसुराज के साथ मिलकर बिहार में अपनी संभावनाएँ तलाश रही है।
इधर, कांग्रेस के पास पिछले 10 वर्षों से प्रदेश कमेटी ही नहीं है। 2015 में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी के पार्टी छोड़ने के बाद से अभी तक प्रदेश कमेटी का गठन नहीं हुआ है। इस दौरान कई प्रदेश अध्यक्ष आए‑गए, पर कमेटी बन नहीं पाई। ऐसे में कांग्रेस को बिहार में खड़े होने के लिए एक सहयोगी की जरूरत है, जो वह जनसुराज में देख रही है।