शराबबंदी को सही बताते हुए भी केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने बिहार के प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि गरीब पकड़े जा रहे हैं, बड़े तस्कर सत्ता और पैसों के सहारे बच निकल रहे हैं।
गयाजी में केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने बिहार की शराबबंदी को लेकर बड़ा और तीखा बयान दिया है। उन्होंने साफ कहा कि शराबबंदी का फैसला सही है और इससे समाज में कई सकारात्मक बदलाव आए हैं। घरेलू हिंसा में कमी आई है, पारिवारिक कलह घटी है और शराब के कारण होने वाली मानसिक बीमारियों पर भी असर पड़ा है। लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि कानून का अमल जिस तरह से हो रहा है, वह बेहद चिंताजनक है।
मांझी ने खुलकर प्रशासन पर आरोप लगाया कि आज गरीब मजदूर, छोटे किसान और जरूरत के नाम पर थोड़ी शराब रखने वाले लोग जेल भेजे जा रहे हैं, जबकि असली शराब तस्कर खुलेआम घूम रहे हैं। उन्होंने कहा कि शराबबंदी की तीसरी समीक्षा उन्हीं के कहने पर हुई थी, जिसमें स्पष्ट निर्देश दिया गया था—“तस्कर को पकड़ो, मजदूर को नहीं”, लेकिन हकीकत में इसका उल्टा हो रहा है।
मांझी ने चौंकाने वाले आंकड़े पेश करते हुए कहा कि बिहार में शराबबंदी से जुड़े अब तक करीब 6 लाख मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनमें से 4 लाख लोग ऐसे हैं जो पहली बार अपराध में फंसे हैं और वे अधिकतर गरीब तबके से आते हैं। उन्होंने कहा कि ये आदतन अपराधी नहीं हैं, फिर भी सालों तक जेल में सड़ने को मजबूर हैं। यह न्याय नहीं, प्रशासनिक विफलता है।
मांझी का सबसे बड़ा और विस्फोटक आरोप यह रहा कि आज शराब तस्कर 5 से 10 करोड़ रुपये खर्च कर चुनाव लड़ रहे हैं और जीत भी रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि वे खुद ऐसे लोगों को जानते हैं जो अवैध शराब के धंधे से राजनीति में पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि यह सब बिना अफसरों की मिलीभगत के संभव ही नहीं है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि आज बिहार के नदी किनारों, जंगलों, पहाड़ों और खेतों तक में हजारों लीटर शराब तैयार हो रही है, लेकिन बड़े नेटवर्क पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। उन्होंने कहा कि छोटे प्यादों को पकड़कर सिस्टम अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता।
मांझी ने कहा कि शराबबंदी को ईमानदारी से लागू करने की जिम्मेदारी प्रशासन की है, न कि सिर्फ सरकार की। उन्होंने दो टूक कहा, “नीतीश कुमार यह सब खुद पकड़ने नहीं आएंगे, यह काम अफसरों का है। अगर तस्कर नहीं पकड़े जा रहे हैं तो इसमें विभागीय मिलीभगत साफ दिखती है।” मांझी ने कहा कि शराबबंदी तभी सफल होगी जब कार्रवाई निष्पक्ष, पारदर्शी और बिना भेदभाव के होगी। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि यदि गरीबों को ही निशाना बनाया जाता रहा और बड़े गुनहगार सुरक्षित रहे, तो कानून की साख ही खत्म हो जाएगी।