Bihar assembly elections: औरंगाबाद की राजनीति में ओबीसी और ईबीसी फैक्टर अहम भूमिका निभाता है। जिले की कई सीटों पर महागठबंधन इस बार प्रभावी असर दिखा रहा है। पढ़ें रतन दवे की ये रिपोर्ट ...
Bihar assembly elections: दक्षिण बिहार का औरंगाबाद चुनावी जंग का केंद्र बन गया है। छह विधानसभा सीटों पर महागठबंधन का असर दिख रहा है, जहां जातिगत समीकरण जीत का प्रमुख आधार बने हुए हैं। एनडीए अब मोदी फैक्टर को मजबूत हथियार बनाकर मुकाबले में उतर रही है। मंगलवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रैली से जोश भरा, वहीं 7 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा तय है। दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा।
गया में भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का रोड शो और औरंगाबाद में राहुल गांधी की रैली से चुनावी हवा गरम है। कांग्रेस प्रत्याशी आनंद शंकर सिंह हैट्रिक की उम्मीद में हैं, जबकि भाजपा ने त्रिविक्रम नारायण सिंह को उतारा है। कांग्रेस उन्हें 'पैराशूट प्रत्याशी' कह रही है, तो भाजपा इसे कांग्रेस की 'बेचैनी' बता रही है। मेडिकल कॉलेज की मांग और रोजगार की कमी यहां प्रमुख मुद्दे हैं।
औरंगाबाद के सामाजिक समीकरण में महागठबंधन को पिछड़े, अति पिछड़े, अल्पसंख्यक और राजपूत समुदायों का समर्थन मिल रहा है। एनडीए के लिए यह जातिगत जोड़-तोड़ बड़ी चुनौती बना है। एनडीए ने छह में से दो सीटें भाजपा, दो जदयू, एक हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और एक लोजपा (आर) को दी हैं, जबकि महागठबंधन ने दो कांग्रेस और चार राजद प्रत्याशी उतारे हैं। पूरा गणित जातिगत संतुलन पर आधारित है।
अमस से सूगी गांव तक बेरोजगारी और गरीबी साफ झलकती है। बच्चे बिना जूते स्कूल जाते हैं और सरकारी स्कूल में मिलने वाले भोजन से खुश हैं। गरीबी की कहानी को पूरा करते हुए आगे सूगी गांव में सरिता और कविता दो महिलाओं ने बताया कि रोजगार नहीं होने से कमर टूटी हुई है। यहां बच्चे नाले में से मच्छी लेकर आ रहे थे, उन्हें दिखाते हुए कहती हैं, 'मच्छी खाकर गुजारा करना पड़ता है। 350 रुपए दिहाड़ी मिलती है,वो भी रोज कहां…। वोट में सब आते है, गरियाते हैं… पर वोट खत्म होने के बाद कोई खबर नहीं लेता है। रोजगार मिल जाए तो सभी समस्या का समधान हो।'
दक्षिण बिहार में वोटर बड़ा मुखर और खुला है। बात करने में न महिलाओं को झिझक है न बड़े-बुजुर्गों को। राहुल गांधी की सभा में आकर जो जहां बैठ गया, वहां बैठ गया। महिलाओं और पुरुषों की उपस्थिति समान रूप से देखी गई। लोगों ने नेताओं की बातों को ध्यान से सुना और शांतिपूर्वक लौट गई। सुरक्षा बल भी संयमित रहे। आम जनता में नेताओं से ज्यादा आकर्षण हेलीकॉप्टर देखने का था।