Bihar News: लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग में लापरवाही पर नीतीश सरकार सख्त हो गई है। मंत्री संजय सिंह ने अफसरों और ठेकेदारों को एक महीने का अल्टीमेटम देते हुए साफ कर दिया है की काम नहीं हुआ तो वेतन रुकेगा, भुगतान बंद होगा और ठेकेदार ब्लैकलिस्ट किए जाएंगे।
Bihar News: बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने अब लंबे समय से पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट (PHED) में अटके प्रोजेक्ट्स, बकाया पेमेंट और लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाया है। विभाग के मंत्री संजय सिंह ने साफ कहा है कि बिना काम के कोई पेमेंट नहीं होगा। मंत्री ने अधिकारियों और ठेकेदारों को एक महीने की डेडलाइन दी है और चेतावनी दी है कि अगर निर्देशों का पालन नहीं किया गया, तो सैलरी रोक दी जाएगी, ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा और उन्हें भविष्य के टेंडरों से बाहर कर दिया जाएगा।
विभागीय समीक्षा बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए मंत्री संजय सिंह ने कहा कि पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट (PHED) के कई प्रोजेक्ट लंबे समय से अटके हुए हैं। खासकर, हर घर नल का जल योजना के तहत कई इलाकों में काम अधूरा है, या उसके संचालन में लापरवाही बरती जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने फैसला किया है कि कोई भी नया काम देने से पहले मौजूदा प्रोजेक्ट्स को पूरा किया जाएगा। जो ठेकेदार तय समय सीमा में प्रोजेक्ट पूरे नहीं करेंगे, उन्हें नए टेंडर के लिए बोली लगाने से रोक दिया जाएगा।
मंत्री ने बताया कि विभाग के साथ काम करने वाले कई ठेकेदारों पर बिजली के बिल बकाया हैं। एग्रीमेंट के अनुसार, पानी सप्लाई स्कीम चलाने में लगने वाली बिजली का खर्च देना ठेकेदारों की जिम्मेदारी है। सरकार ने साफ कर दिया है कि अगर एक महीने के अंदर बिजली के बिलों का पेमेंट नहीं किया गया, तो इन ठेकेदारों को भविष्य के किसी भी टेंडर में हिस्सा लेने से रोक दिया जाएगा। लापरवाही करने वाले ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट करने के भी निर्देश जारी किए गए हैं।
PHED मंत्री ने कहा कि सिर्फ़ ठेकेदार ही नहीं, बल्कि अधिकारी भी ज़िम्मेदार होंगे। जो अधिकारी अपने-अपने इलाकों में बकाया वसूली और पेंडिंग काम पूरा करने में नाकाम रहेंगे, उनकी सैलरी रोक दी जाएगी। मंत्री ने साफ किया कि अब ध्यान सिर्फ कागजी काम पर नहीं, बल्कि ज़मीन पर ठोस नतीजों पर होना चाहिए। जिन इलाकों में एक महीने के अंदर काम पूरा नहीं होगा, वहां संबंधित अधिकारियों के खिलाफ डिपार्टमेंटल कार्रवाई की जाएगी।
सरकार ने मॉनिटरिंग सिस्टम को और मजबूत करने का फैसला किया है। चीफ इंजीनियर और सुपरिटेंडिंग इंजीनियर हफ्ते में कम से कम एक बार अचानक इंस्पेक्शन करेंगे। चीफ इंजीनियर मौके पर ही एग्जीक्यूटिव और सुपरिटेंडिंग इंजीनियरों के काम का रिव्यू करेंगे। सुपरिटेंडिंग इंजीनियर असिस्टेंट और जूनियर इंजीनियरों के काम का फील्ड इंस्पेक्शन करेंगे। जो अधिकारी ऑफिस या काम की जगह से गैर-हाजिर पाए जाएंगे, या जिनके काम में लापरवाही दिखेगी, उनके खिलाफ एडमिनिस्ट्रेटिव कार्रवाई की जाएगी।
जलापूर्ति से जुड़ी शिकायतों को लेकर भी विभाग ने बड़ा फैसला लिया है। अब केवल फोन पर शिकायत निपटाने की परंपरा खत्म की जा रही है। मुख्यालय स्तर पर विशेष टीमें गठित की जाएंगी, जो मौके पर जाकर शिकायतों के निष्पादन की सत्यता की जांच करेंगी। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कागजों में नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर समस्या का समाधान हुआ है।
बैठक में जिलावार डेडलाइन भी तय की गई है। नवादा, बिहारशरीफ और सासाराम में लंबित कार्य एक महीने में पूरे करने होंगे। शेरघाटी, आरा और जहानाबाद में 15 दिन की समय-सीमा तय की गई है। निर्धारित अवधि में काम पूरा नहीं होने पर वेतन रोकने का निर्देश दिया गया है।
मंत्री संजय सिंह ने बताया कि सात निश्चय-2 के तहत चल रही सभी योजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने का आदेश दिया गया है। सरकार चाहती है कि जनता को योजनाओं का लाभ समय पर और पूरी गुणवत्ता के साथ मिले।
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