Bihar Politics: बिहार की राजनीति में महागठबंधन के अंदर तनाव खुलकर सामने आ गया है। कांग्रेस नेता शकील अहमद के बयान के बाद RJD ने पलटवार करते हुए कांग्रेस पार्टी को बोझ बताया और कहा कि कांग्रेस ने जो छह सीटें जीती हैं, वे RJD के वोटों की वजह से जीती हैं।
Bihar Politics: बिहार की राजनीति में महागठबंधन के भीतर जारी खींचतान अब खुलकर सामने आ गई है। कांग्रेस नेता शकील अहमद के बयान के बाद राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने तीखा पलटवार करते हुए कांग्रेस को बोझ बता दिया है। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने साफ शब्दों में कहा कि बिहार में कांग्रेस को जो भी सीटें मिलती हैं, वह पूरी तरह राजद के वोट बैंक की बदौलत होती हैं। अगर कांग्रेस अकेले चुनाव लड़े, तो उसका अस्तित्व ही संकट में पड़ जाएगा।
दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शकील अहमद ने हाल ही में बयान दिया था कि बिहार विधानसभा चुनाव में राजद के साथ गठबंधन कांग्रेस के लिए घाटे का सौदा साबित हुआ। उन्होंने तेजस्वी यादव के नेतृत्व और चुनावी रणनीति पर भी सवाल उठाए थे। इसी बयान को लेकर राजद ने कड़ा रुख अपनाया है।
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि चुनाव हार के बाद कांग्रेस अपनी विफलताओं की जिम्मेदारी लेने के बजाय सहयोगी दल पर ठीकरा फोड़ रही है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस को आत्ममंथन करना चाहिए। बिहार में उसका जनाधार लगातार घट रहा है। जो भी छह सीटें कांग्रेस को मिली हैं, वह राजद के वोटों की वजह से मिली हैं।”
मृत्युंजय तिवारी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस गठबंधन में रहते हुए सिर्फ ज्यादा सीटों की मांग करती है, लेकिन जब प्रदर्शन की बारी आती है तो पूरी तरह फेल हो जाती है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस सीट ले लेती है और फिर उन्हें बर्बाद कर देती है। राजद को गठबंधन से फायदा नहीं, बल्कि नुकसान ही होता है।”राजद प्रवक्ता ने यह भी कहा कि बिहार में जनता का भरोसा आज भी राजद के साथ है। सबसे ज्यादा वोट राजद को मिले हैं। जनता का गठबंधन राजद के साथ है, किसी और के साथ नहीं।
कांग्रेस द्वारा गठबंधन तोड़ने के संकेतों पर प्रतिक्रिया देते हुए राजद प्रवक्ता ने दो टूक कहा कि अगर कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ने का फैसला करती है, तो कुछ ही समय में वह बिहार की राजनीति से विलुप्त हो जाएगी। उन्होंने ने तंज कसते हुए कहा कि जो लोग ऐसे बयान दे रहे हैं, वे कहीं न कहीं अपना दूसरा ठिकाना तलाश रहे हैं।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि गठबंधन का उद्देश्य सांप्रदायिक ताकतों को रोकना होता है और इस दिशा में लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने हमेशा सहयोगियों का सम्मान किया है। लेकिन सहयोग का मतलब यह नहीं कि कोई दल अपनी कमजोरियों को छिपाने के लिए निराधार आरोप लगाए।
राजद नेताओं का कहना है कि हालिया विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन पहले से कमजोर जरूर रहा, लेकिन इसके लिए सिर्फ राजद को जिम्मेदार ठहराना गलत है। आंकड़ों का हवाला देते हुए राजद ने कहा कि कांग्रेस ने जिन सीटों पर चुनाव लड़ा, वहां उसका प्रदर्शन बेहद खराब रहा, जबकि राजद आज भी बिहार की सबसे बड़ी विपक्षी ताकत बना हुआ है।
कांग्रेस नेता शकील अहमद खान ने राजद के साथ गठबंधन को 'घाटे का सौदा' बताते हुए तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि राजद के साथ रहने से कांग्रेस को अपना वोट बैंक नहीं मिल पा रहा है और अब बिहार में महागठबंधन पूरी तरह खत्म हो चुका है। उन्होंने तेजस्वी की गैर-मौजूदगी पर तंज कसते हुए कहा कि हार के बाद नेता प्रतिपक्ष को दिल्ली के बजाय बिहार की जमीन पर संघर्ष करना चाहिए था।