बिहार की सियासत में सरकारी बंगले को लेकर जारी घमासान अब और तेज हो गया है। राबड़ी देवी के आवास से सामान हटाए जाने पर जदयू के हमले के बाद अब राजद ने पलटवार किया है। राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रोफेसर नवल किशोर ने इस संबंध में भवन निर्माण विभाग को पत्र लिखा है।
बिहार की सियासत में एक बार फिर सरकारी आवास और विशेषाधिकार को लेकर घमासान तेज हो गया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने जनता दल (यूनाइटेड) के दो सांसदों पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए आरोप लगाया है कि लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य बनने के बावजूद वे अब भी बिहार सेंट्रल पुल (Central Pool) के सरकारी आवास पर काबिज हैं। राजद का कहना है कि यह न सिर्फ नियमों की अनदेखी है, बल्कि रसूख के दुरुपयोग का भी मामला हो सकता है।
राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रोफेसर नवल किशोर प्रसाद ने इस संबंध में बिहार सरकार के भवन निर्माण विभाग के प्रधान सचिव को एक विस्तृत पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने स्पष्ट सवाल उठाया है कि राज्यसभा सांसद संजय झा और सीतामढ़ी से लोकसभा सांसद देवेश चन्द्र ठाकुर को मंत्री अथवा सभापति रहते हुए बिहार सेंट्रल पुल के तहत जो आवास आवंटित किए गए थे, वे सांसद बनने के बाद अब भी किस नियम के तहत रखे गए हैं।
राजद का तर्क है कि दोनों सांसदों को दिल्ली में सरकारी आवास आवंटित है। ऐसे में पटना के सेंट्रल पुल के बंगले पर बने रहना स्वाभाविक नहीं है। पत्र में सवाल किया गया है कि यदि नियमों के तहत आवास खाली नहीं किया गया है, तो क्या इसके बदले दस गुना अधिक किराया वसूला जा रहा है, या फिर यह सिर्फ रसूख का मामला है?
पत्र का सबसे विवादित और चर्चित हिस्सा वह है, जिसमें राजद ने आशंका जताई है कि क्या इन बंगलों के अंदर कोई गुप्त तहखाना है, जिसकी वजह से इन्हें खाली करने में टालमटोल हो रही है। राजद प्रवक्ता ने लिखा है कि अगर ऐसा कुछ नहीं है, तो विभाग को पूरी पारदर्शिता के साथ स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए, ताकि किसी भी तरह के भ्रम और राजनीतिक विवाद से बचा जा सके।
राजद ने भवन निर्माण विभाग से यह भी पूछा है कि सेंट्रल पुल के आवास किन परिस्थितियों में रखे जा सकते हैं और सांसद बनने के बाद भी वहां बने रहने की अनुमति किस प्रावधान के तहत दी गई है। पार्टी का कहना है कि यदि नियमों का उल्लंघन हुआ है, तो विभाग की जिम्मेदारी बनती है कि वह तत्काल कार्रवाई करे और यह भी बताए कि अब तक कितना अतिरिक्त शुल्क वसूला गया है।
पत्र में राजद ने जीतन राम मांझी का भी जिक्र किया है। सवाल उठाया गया है कि केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद वे किस हैसियत से पटना के सेंट्रल पुल के बंगले में रह रहे हैं। साथ ही यह भी पूछा गया है कि क्या उनके परिवार के किसी सदस्य को यह बंगला आवंटित किया जा सकता है और क्या वरिष्ठता या नियम इसकी इजाजत देते हैं।
राजद का कहना है कि यह मुद्दा सिर्फ आवास का नहीं, बल्कि समान नियम, जवाबदेही और पारदर्शिता का है। पार्टी ने भवन निर्माण विभाग से मांग की है कि वह पूरी वस्तुस्थिति सार्वजनिक करे, कब तक बंगले खाली होंगे, कितनी वसूली हुई है और किन नियमों के तहत यह सब हो रहा है।