बिहार चुनाव 2025 में मिली करारी हार के बाद आरजेडी ने भोजपुरी गायकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई को लेकर नोटिस भेजा है।
बिहार चुनाव कैंपेन में “मरब सिक्सर के, छह गोली छाती में” और “आएगी भैया की सरकार, बनेंगे रंगदार” जैसे भोजपुरी गानों ने पूरे चुनाव में धूम मचा रखी थी। आरजेडी समर्थकों को इसपर मूक समर्थन मिला, जबकि पीएम मोदी ने इस गाने को राजनीतिक माहौल बना दिया, जो पार्टी की हार का मुख्य कारण माना गया। आरजेडी की समीक्षा बैठक में सीनियर नेता सवाल उठा रहे हैं। पार्टी ने 14 भोजपुरी गायकों को नोटिस भेजकर पूछा है कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए। सीनियर नेता इस कदम को देर से उठाया गया कदम बता रहे हैं।
आरजेडी के सीनियर नेता अब्दुल बारी सिद्दकी ने कहा कि पार्टी की करारी हार के कई कारण हैं, जिनमें से एक भोजपुरी गायकों के गाने भी हैं। इन गानों का उपयोग प्रधानमंत्री ने अपनी चुनावी सभा में पार्टी के खिलाफ एक नैरेटिव बनाने के लिए किया। समीक्षा बैठक में भी यह सवाल उठाया गया। कांग्रेस नेता असित नाथ तिवारी ने कहा कि आरजेडी के गायकों ने ऐसा कंटेंट तैयार किया, जिससे न केवल पार्टी नेतृत्व का मज़ाक उड़ा, बल्कि “जंगल राज” का डर भी पैदा हुआ। गानों के कारण लोगों में गलत संदेश गया। तिवारी ने कहा कि महिला रोजगार योजना से अधिक “मरब सिक्सर के, छह गोली छाती में” और “आएगी भैया की सरकार, बनेंगे रंगदार” ने नुकसान पहुँचाया। एनडीए ने इस मुद्दे को उठाया, जिसके कारण महिलाएँ गोलबंद हो गईं।
चुनाव में करारी हार के बाद RJD ने अब तक 14 गायकों को कारण‑बताओ नोटिस भेजा है, जिन्होंने पार्टी के झंडे या निशान का इस्तेमाल किया या बिना अनुमति के नेताओं के नाम लिये। RJD प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि अगर उनके जवाब से पार्टी संतुष्ट नहीं हुई तो सभी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सीनियर पत्रकार प्रवीण बागी इसे देर से उठाया गया कदम मानते हैं; उनका कहना है कि गानों की धूम के दौरान पार्टी को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए थी, पर RJD चुप रही। इस बीच, पीएम मोदी और एनडीए के नेताओं ने इसे मुद्दा बनाकर यह नैरेटिव तैयार किया कि RJD की सरकार बनने पर बिहार में फिर से जंगल राज लौट आएगा।
सीनियर पत्रकार लव कुमार कहते हैं कि “RJD सरकार बनाओ” जैसे गाने और “यादव रंगदार बनाओ” जैसे नारे का मतलब था कि यदि RJD की सरकार बनती है तो वसूली करने वालों का दबदबा बढ़ेगा। यह संदेश तेज़ी से गांव के साउंड सिस्टम, WhatsApp ग्रुप और लोकल मेलों से लेकर राष्ट्रीय टेलीविज़न डिबेट तक पहुंच गया। आरजेडी के राजनीतिक विरोधियों के हाथों में ये गाने उनके इरादे का सबूत बन गए और चुनावी सभाओं में इसकी कहानी बनाकर हथियार के रूप में इस्तेमाल किए।