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Allergic Rhinitis Treatment : नाक की एलर्जी के साथ सूजन, जानिए क्यों है खतरनाक और कैसे करें बचाव

Hay Fever Symptoms in Hindi : जानें एलर्जिक राइनाइटिस (हे फीवर) का सही इलाज, दवाएं और घरेलू उपाय। समय पर उपचार से नाक की एलर्जी और सूजन से राहत मिल सकती है।

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Aug 19, 2025
Allergic Rhinitis Treatment : नाक की एलर्जी के साथ सूजन, जानिए क्यों है खतरनाक और कैसे करें बचाव (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)

Allergic Rhinitis Treatment : एलर्जिक राइनाइटिस (हे फीवर) हवा में मौजूद एलर्जेन नामक सूक्ष्म कणों से होने वाली एलर्जी की प्रतिक्रिया है। जब आप अपनी नाक या मुंह से एलर्जेन सांस के जरिए अंदर लेते हैं तो आपका शरीर हिस्टामाइन नामक एक प्राकृतिक रसायन छोड़ता है। हे फीवर कहे जाने के बावजूद हे फीवर से हे फीवर नहीं होता और ज्यादातर लोगों को बुखार नहीं होता। जानते हैं ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. भीम सिंह पांडेय से एलर्जिक राइनाइटिस के प्रमुख कारण और बचाव के तरीके ।

डॉ. भीम सिंह पांडेय ने कहा, हे फीवर (Hay Fever) के लक्षणों में छींक आना, नाक बंद होना और नाक, गले, मुंह और आंखों में जलन शामिल हैं। एलर्जिक राइनाइटिस (Allergic Rhinitis) संक्रामक राइनाइटिस जैसा नहीं है, जिसे सामान्य सर्दी-ज़ुकाम भी कहा जाता है। हे फीवर संक्रामक नहीं होता। साथ ही सभी राइनाइटिस एलर्जिक नहीं होते। कई लोग नॉन-एलर्जिक राइनाइटिस से पीड़ित होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप समान लक्षण दिखाई देते हैं। सूजन राइनाइटिस का कारण बनती है, न कि एलर्जेन या हिस्टामाइन का स्राव।

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Allergic Rhinitis Symptoms : नाक की एलर्जी के सामान्य लक्षण हैं:

Allergic Rhinitis Symptoms : (फोटो सोर्स : Freepik)
  • बार-बार छींक आना
  • नाक से पानी बहना
  • आंखों और नाक में खुजली होना
  • खांसी आना
  • त्वचा पर चकत्ते निकलना
  • थकान या हल्का बुखार आना

यह कोई बैक्टीरिया या वायरस से होने वाला संक्रमण नहीं है, बल्कि शरीर की कुछ विशेष एलर्जेन्स (Allergens) के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाने या इम्यून सिस्टम की ओवरएक्टिविटी के कारण होता है।

एलर्जेन्स क्या हो सकते हैं?

डॉ. भीम सिंह पांडेय ने कहा, ये सामान्यतः वातावरण में पाए जाने वाले कण होते हैं, जैसे:

  • धूल-मिट्टी
  • हाउस डस्ट माइट्स(घर की धूल में मौजूद छोटे कीड़े)
  • परागकण (Pollens)
  • फंगस
  • पालतू जानवरों के बाल
  • कपड़ों में मौजूद कॉटन डस्ट
  • परफ्यूम या केमिकल्स की गंध
  • लकड़ी का बुरादा

सबसे सामान्य एलर्जेन्स में पोलेंस, हाउस डस्ट माइट्स और एनिमल डैंडर शामिल हैं। ये सांस के साथ नाक में जाकर वहां की झिल्लियों में सूजन पैदा करते हैं और नाक की ग्रंथियों को उत्तेजित करते हैं, जिससे नाक बहना और छींक आना शुरू हो जाता है।

एलर्जी के प्रकार

सीजनल एलर्जी – यह विशेष मौसम या मौसम में बदलाव के समय होती है, जैसे बारिश या फसल कटाई के समय।
पेरिनियल एलर्जी – यह पूरे साल रहती है और हाउस डस्ट माइट्स, नमी वाले वातावरण, पालतू जानवरों या खाद्य पदार्थों जैसे कारणों से होती है।

रिस्क फैक्टर

  • अनुवांशिकता
  • अस्थमा या त्वचा की एलर्जी का होना
  • अधिक प्रदूषित, नमी वाले या पेड़-पौधों से भरपूर क्षेत्र में रहना
  • वेंटिलेशन की कमी वाले बंद स्थानों में अधिक समय बिताना

रोकथाम के घरेलू उपाय (Allergic Rhinitis Home Remedies)

Allergic Rhinitis treatment and prevention
  • बिस्तर, तकिए और चादरें हफ्ते में 1–2 बार धोकर धूप में सुखाएं।
  • कमरे का तापमान धीरे-धीरे बदलें, अचानक ठंडी या गर्म हवा में न निकलें।
  • एयर कंडीशनर और कूलर की नियमित सफाई करें।
  • धूल भरे या प्रदूषित स्थान पर मास्क पहनें।
  • घर में वेंटिलेशन अच्छा रखें और अगरबत्ती, धूपबत्ती या तेज खुशबू से बचें।

निदान क्या है

एलर्जेन की पहचान के लिए ब्लड टेस्ट या स्किन प्रिक टेस्ट किया जाता है।
स्किन प्रिक टेस्ट खास एलर्जेन्स के लिए किया जाता है, जबकि ब्लड टेस्ट व्यापक रूप से संवेदनशीलता का पता लगाता है।

डॉक्टर की सलाह से दवाएं लें।

डॉ. भीम सिंह पांडेय ने कहा, स्थायी इलाज के लिए इम्यूनोथेरेपी (Desensitization therapy) उपयोगी हो सकती है, जो इंजेक्शन या सबलिंगुअल ड्रॉप्स के रूप में 6 महीने से 1 साल तक दी जाती है।

लंबे समय तक एलर्जी रहने पर नाक में पॉलिप्स बन सकते हैं, जिन्हें जरूरत पड़ने पर एंडोस्कोपिक सर्जरी से हटाया जाता है।
संभावित जटिलताएं

अस्थमा या ब्रोंकाइटिस के साथ स्थिति गंभीर हो सकती है।

पॉलिप्स से सांस लेने में कठिनाई और नाक से लगातार डिस्चार्ज होना।

फंगल साइनसाइटिस, जो हड्डी को नुकसान पहुंचा सकती है और गंभीर मामलों में आंखों व मस्तिष्क को प्रभावित कर सकती है।

एलर्जिक राइनाइटिस को हल्के में न लें। समय पर डॉक्टर की सलाह और उचित इलाज से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। जीवनशैली में बदलाव और सावधानियों से इसके प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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Updated on:
19 Aug 2025 02:16 pm
Published on:
19 Aug 2025 02:07 pm
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