
Digital Eye Strain : आंखों को आराम देने का सबसे आसान तरीका, 20-20-20 नियम, जानें क्या है डिजिटल आई स्ट्रेन (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)
Digital Eye Strain : आज की भागदौड़ भरी दुनिया में हमारी आंखें जरूरत से ज्यादा काम कर रही हैं। सुबह-सुबह फोन पर स्क्रॉल करने से लेकर देर रात तक लगातार देखने तक, स्क्रीन रोजमर्रा की लाइफ स्टाइल का एक जरूरी हिस्सा बन गई हैं। लेकिन इस डिजिटल निर्भरता के साथ एक छिपी हुई कीमत भी जुड़ी है, आंखों की थकान। कभी इसे मामूली परेशानी समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता था लेकिन अब यह भारत में हर आयु वर्ग में सबसे तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है।
जब हम स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो हमारी पलकें झपकने की स्वाभाविक दर 66% तक कम हो जाती है। इससे आंखों को नमीयुक्त रखने वाली आंसू की परत कमजोर हो जाती है जिससे आंखों में सूखापन, जलन और धुंधली दृष्टि हो सकती है।
नीली रोशनी, स्क्रीन की चमक और तेज रोशनी के लगातार संपर्क में रहने से कंट्रास्ट कम हो जाता है और आंखों पर ज्यादा जोर पड़ता है। उपकरणों को गलत तरीके से रखने से बहुत पास, बहुत दूर, या गलत कोण पर रखने से भी सिरदर्द, गर्दन में अकड़न और पीठ दर्द होता है।
जब आप गलत पावर के चश्मे या लेंस लगाते हैं तो आपकी आंखों को देखने के लिए ज्यादा जोर लगाना पड़ता है। अगर चश्मा या लेंस अच्छी क्वालिटी का न हो, तो आंखों तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती, जिससे आंखें सूखने लगती हैं, उनमें जलन होती है और धुंधलापन भी महसूस होता है। बहुत से लोग यह जानते हुए भी कि ये नुकसानदायक ह गलत चश्मे या लेंस का इस्तेमाल करते रहते हैं।
ऑनलाइन शिक्षा और मनोरंजन, इन सभी ने स्क्रीन के इस्तेमाल को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा दिया है। 2024 में हैदराबाद में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 75% स्क्रीन उपयोगकर्ताओं ने सिरदर्द की शिकायत की जबकि आधे से ज्यादा लोगों ने खुजली, जलन या आंखों में पानी आने की शिकायत की।
लॉकडाउन के दौरान पूरे भारत में डिजिटल आंखों के तनाव में वृद्धि हुई। अध्ययनों से पता चला है कि लगभग 87% नियमित स्क्रीन उपयोगकर्ताओं को सूखी आंखें, धुंधली दृष्टि या सिरदर्द की समस्या हुई। प्रतिबंधों में ढील के बाद भी ये समस्याएं व्यापक रूप से फैली रहीं जिससे स्क्रीन थकान एक स्थाई स्वास्थ्य चुनौती बन गई।
हर 20 मिनट में 20 सेकंड का ब्रेक लें और कम से कम 20 फिट दूर किसी चीज को देखें। इससे आंखों की मांसपेशियों को आराम मिलता है और लंबे समय तक क्लोज अपनी स्क्रीन को एर्गोनॉमिक तरीके से सेट करें
स्क्रीन को हाथ की लंबाई पर और आंखों के स्तर से थोड़ा नीचे रखें। उचित प्रकाश व्यवस्था के साथ चमक को समायोजित करें और चकाचौंध को कम करें। सही ढंग से रखा गया सेटअप न केवल आंखों के तनाव को कम करता है, बल्कि गर्दन और कंधों के लिए बेहतर हो सकता है।
डिवाइस का इस्तेमाल करते समय पलकें कम झपकाने से आंखें सूख जाती हैं। विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, प्रिजर्वेटिव-मुक्त लुब्रिकेंट ड्रॉप्स का इस्तेमाल करने से डिजिटल डिवाइस पर लंबे समय तक काम करने के दौरान नमी और आराम बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
आंखों की रोशनी में हल्का-सा भी बदलाव होने पर आंखों पर जोर पड़ता है। इसलिए आंखों की सालाना जांच जरूर करवानी चाहिए ताकि चश्मे का नंबर सही रहे और अगर कोई और दिक्कत हो तो उसका भी समय पर पता चल सके।
जो लोग कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल करते हैं उनके लिए ऐसे विकल्प चुनना जरूरी है जो नमी बनाए रखें और प्राकृतिक आंसू की परत को सहारा दें, ताकि वे रोजमर्रा के आराम के लिए जरूरी हों। आजकल के नए कॉन्टैक्ट लेंस 16 घंटे तक आंखों में नमी बनाए रखते हैं जिससे जो लोग ज्यादा समय स्क्रीन के सामने बिताते हैं उन्हें बहुत आराम मिलता है।
डिजिटल आंखों का तनाव अब सिर्फ कभी-कभार होने वाली जलन नहीं रह गया है, बल्कि भारत में यह एक व्यापक स्वास्थ्य चिंता का विषय है। हालांकि स्क्रीन से बचना संभव नहीं हो सकता लेकिन आदतों में छोटे-छोटे बदलाव, नियमित जांच और सही नेत्र देखभाल समाधान चुनने से काफी फर्क पड़ सकता है। आज आंखों के स्वास्थ्य की रक्षा का मतलब है भविष्य के लिए तेज और आरामदायक दृष्टि।
Published on:
19 Aug 2025 11:05 am
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