Anta Assembly by-election: राजस्थान के बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं।
Anta Assembly by-election: राजस्थान के बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। 11 नवंबर को होने वाले मतदान और 14 नवंबर को घोषित होने वाले नतीजों से पहले ही इस सीट पर मुकाबला रोमांचक हो चला है। इस बार उपचुनाव में युवा नेता नरेश मीणा की निर्दलीय उम्मीदवारी ने BJP और कांग्रेस दोनों के लिए चुनौती खड़ी कर दी है।
नरेश मीणा ने कांग्रेस से टिकट की मांग की थी, लेकिन टिकट न मिलने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। इससे अंता का सियासी समीकरण पूरी तरह बदल गया है और दोनों प्रमुख दलों की टेंशन बढ़ गई है।
नरेश मीणा ने हाल के वर्षों में अपनी मजबूत उपस्थिति और आक्रामक शैली से राजस्थान की राजनीति में अपनी पहचान बनाई है। खासकर 2024 में देवली-उनियारा उपचुनाव में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 60,000 वोट हासिल कर सबको चौंका दिया था। उस चुनाव में कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही, जबकि नरेश मीणा दूसरे नंबर पर रहे। इस प्रदर्शन ने उनकी लोकप्रियता को और बढ़ाया। अब अंता उपचुनाव में उनकी उम्मीदवारी ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है।
नरेश मीणा ने सोशल मीडिया के जरिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी से टिकट देने की अपील की थी। हालांकि, कांग्रेस ने इस सीट पर अपने कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को फिर से उतारा है। नरेश मीणा ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिला, तो भी वह निर्दलीय मैदान में उतरेंगे। उनकी यह घोषणा दोनों प्रमुख दलों के लिए खतरे की घंटी बन गई है, क्योंकि उनकी लोकप्रियता और मीणा समाज में मजबूत पकड़ वोटों का बंटवारा कर सकती है।
अंता विधानसभा सीट पर कुल 2,27,563 मतदाता हैं, जिनमें 1,16,405 पुरुष, 1,11,154 महिला और 4 थर्ड जेंडर वोटर शामिल हैं। इस सीट का जातीय समीकरण इसे और भी रोचक बनाता है। अंता माली समाज बहुल क्षेत्र है, जहां करीब 40,000 माली वोटर हैं। माली समाज के वोट किसी भी उम्मीदवार की जीत में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। इसके अलावा, 30,000 मीणा, 35,000 अनुसूचित जाति (SC), 8,000 मुस्लिम और धाकड़ समाज के वोटर भी महत्वपूर्ण हैं।
नरेश मीणा खुद मीणा समाज से हैं, इस समुदाय के वोटों पर मजबूत पकड़ रखते हैं। खासकर समरावता थप्पड़कांड के बाद उनकी लोकप्रियता और सहानुभूति में इजाफा हुआ है। दूसरी ओर, प्रमोद जैन भाया माली समाज के प्रमुख नेता हैं और इस समुदाय में उनकी गहरी पैठ है। BJP ने अभी अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, लेकिन वह भी इस जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर रणनीति बना रही है। नरेश मीणा की उम्मीदवारी से मीणा और अन्य समाजों के वोटों का बंटवारा तय माना जा रहा है जो BJP और कांग्रेस दोनों के लिए खतरा है।
अंता विधानसभा सीट का इतिहास BJP और कांग्रेस के बीच कड़े मुकाबले का रहा है। परिसीमन के बाद 2008 में बनी इस सीट पर अब तक हुए चुनावों में दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली है।
2008: कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया ने BJP के रघुवीर सिंह कौशल को 29,668 वोटों के बड़े अंतर से हराया।
2013: BJP के प्रभूलाल सैनी ने प्रमोद जैन भाया को 3,399 वोटों से मात दी।
2018: प्रमोद जैन भाया ने प्रभूलाल सैनी को 35,000 वोटों से हराकर शानदार वापसी की।
2023: BJP के कंवरलाल मीणा ने प्रमोद जैन भाया को 5,861 वोटों से हराया।
इस बार उपचुनाव में प्रमोद जैन भाया फिर से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, लेकिन नरेश मीणा की निर्दलीय उम्मीदवारी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।
उपचुनाव से पहले नरेश मीणा ने कांग्रेस के खिलाफ हमला बोला है। एक टीवी डिबेट में उन्होंने कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पर गंभीर आरोप लगाए। नरेश ने कहा कि डोटासरा BJP से मिले हुए हैं और उन्होंने फर्जी तरीके से सरकारी नौकरियां बांटी हैं। उन्होंने डोटासरा के बेटे पर भी फर्जी तरीके से RAS बनने का आरोप लगाया। दूसरी ओर, कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने नरेश मीणा को निशाने पर लेते हुए कहा कि ट्विटर से MLA पैदा नहीं होते। इस बयानबाजी ने उपचुनाव से पहले माहौल को और गर्म कर दिया है।
BJP और कांग्रेस दोनों ने अंता उपचुनाव के लिए कमर कस ली है। BJP ने अभी अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, लेकिन कंवरलाल मीणा के पिछले प्रदर्शन को देखते हुए वह मजबूत दावेदार उतारने की तैयारी में है। दूसरी ओर, कांग्रेस प्रमोद जैन भाया के अनुभव और माली समाज में उनकी लोकप्रियता पर भरोसा कर रही है। हालांकि, नरेश मीणा की निर्दलीय उम्मीदवारी ने दोनों दलों की रणनीति को प्रभावित किया है।
नरेश मीणा की मीणा समाज में मजबूत पकड़ और युवाओं के बीच लोकप्रियता के चलते वह मजबूत दावेदार हैं। उनके पिछले प्रदर्शन को देखते हुए, वह वोटों का बड़ा हिस्सा खींच सकते हैं, जिससे BJP और कांग्रेस दोनों को नुकसान हो सकता है। खासकर मीणा और SC वोटों का बंटवारा कांग्रेस के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि ये दोनों समुदाय परंपरागत रूप से कांग्रेस के वोट बैंक रहे हैं।