राजस्थान में बारिश के बीच सड़कों के हालात खस्ता है। हर दिन लोगों को हादसों का शिकार होना पड़ रहा है।
राजस्थान में बारिश के बीच सड़कों के हालात खस्ता है। हर दिन लोगों को हादसों का शिकार होना पड़ रहा है। पांच साल में गड्ढों के कारण 5650 लोग हादसों में घायल हुए है। इनमें से 250 से अधिक लोगों की मौत हो गई। यह खुलासा है दुर्घटनाएं और स्वास्थ्य संकट की 2020 से 2024 तक की रिपोर्ट में। वहीं गड्ढों के कारण गर्भवती महिलाओं के जल्द प्रसव के मामले पांच साल में 900 से बढ़कर 1100 तक पहुंच गए। सबसे ज्यादा मामले ग्रामीण इलाकों में सामने आए। तनाव और सिरदर्द की शिकायतें 22,000 से बढ़कर 26,000 तक दर्ज की गई है। वहीं हर साल 15 हजार से ज्यादा लोग कमर दर्द का शिकार हो रहे है।
केस 1 - कालवाड़ रोड़ स्थित मंगलम सिटी निवासी पीड़ित पिता अंकित मिश्रा ने बताया कि सड़क पर गड्ढों का दर्द वह आज तक झेल रहे है। गड्ढों में रिक्शा गिरने के कारण उनके बच्चे प्रखर की दो अंगूलिया कट कर गिर गई थी। बाद में वह मौके पर भी गए, सड़क पर अंगूलियां भी ढूंढी, लेकिन नहीं मिली। जिसकी वजह से अब उनका बेटा बगैर अंगूलियों के है। यह दर्द जीवनभर रहेगा।
केस 2 - पीड़िता प्रियंका योगी ने बताया कि वह रिक्शा पर बैठकर आ रही थी। तभी बारिश के कारण हुए गड्ढों में रिक्शा पलट गया। उसका हाथ टूट गया। पांच दिन तक अस्पताल में भर्ती रहीं। इस दरम्यान उसका आपरेशन किया गया। अब तक हाथ में दर्द रहता है। गड्ढों से अब भी डर लगता रहता है।
राजस्थान में कुल 2 लाख 40 हजार किलोमीटर सड़क नेटवर्क है। जिसमें से लगभग 35 हजार किलोमीटर यानी 14.6% सड़कें जर्जर हैं। जिनमें गड्ढे और दरारें आम हैं। जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा और अजमेर सड़क खराबी के मामले में शीर्ष पांच शहर हैं। जयपुर में 1200 किमी (18% सड़कें), जोधपुर में 900 किमी (15%), उदयपुर में 700 किमी (12%), कोटा में 600 किमी (10%) और अजमेर में 500 किमी (9%) सड़कें जर्जर हैं।
दुर्घटनाएं और स्वास्थ्य संकट की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में सबसे ज्यादा सड़कों के हाल राजधानी जयपुर में खराब है। जिले में 1200 किलोमीटर से ज्यादा की सड़के खस्ताहाल है। मंगलम सिटी, रॉयल सिटी, सांगानेर, सीकर रोड सहित अन्य इलाकों में 50 से ज्यादा जगहों पर कॉलोनियों में इतने गड्ढे है कि आदमी का चलना मुश्किल है। इन गड्ढों के कारण हर दिन कई लोग हादसे का शिकार होते है।
हर साल सीवर, बिजली और पानी की लाइनों की खुदाई से करीब 5 हजार किलोमीटर सड़कें क्षतिग्रस्त होती हैं। इनमें से केवल 2500 किलोमीटर सड़कों की मरम्मत होती है, जबकि 2500 किलोमीटर सड़कें अनुपयोगी पड़ी रहती हैं।
जर्जर व खराब सड़कों के लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग, नगर निगम, और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण सड़क रखरखाव के लिए जिम्मेदार हैं। 2020-2024 में प्रतिवर्ष 6,500-7,000 करोड़ रुपए आवंटित हुए है। विशेषज्ञों का दावा है कि इसमे से 30-40% बजट भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी की भेंट चढ़ जाता है।