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Birth Rate in India : 1.46 बिलियन आबादी वाले भारत में घटते जन्मदर का महासंकट! एक्सपर्ट ने बताया ये ‘बीमारी’ हैं कारण

Birth Rate in India : यूएनएफपीए के अनुसार, भारत में बर्थ रेट 1.9 बच्चे प्रति महिला है। ये आंकड़ा भारत के लिए चिंता का विषय है। डॉ. शुभ्रा सिंह, सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट ने इसके कारण व नुकसान को समझाया है।

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Aug 31, 2025
birth rate in india 2025 | Photo- Patrika.com

Birth Rate in India declining : यह सुनकर आप हैरान होंगे आबादी के मामले में चीन को पछाड़ने वाला हमारा देश जन्मदर के मामले में पिछड़ रहा है। भारत के लिए ये अच्छा संकेत नहीं है। भारत में बर्थ रेट 1.9 प्रति महिला है। यह सामान्य से भी कम बताया जा रहा है। उदाहरण के लिए जापान ऐसी परिस्थिति से जूझ रहा है। चीन में भी बच्चा पैदा करने को लेकर सरकार प्रोत्साहित कर रही है। चलिए, एक्सपर्ट के जरिए समझते हैं कि आखिर घटता जन्मदर भारत के लिए खतरे की घंटी क्यों है और इसके पीछे का कारण क्या है?

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Birth rates declining in India | भारत में घटता जन्मदर

UNFPA के अनुसार, भारत में बर्थ रेट 1.9 प्रति महिला है। बताया जा रहा है कि ये रिप्लेसमेंट लेवल 2.1 से भी कम है। ये वाकई चिंता का विषय है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर भी बर्थ रेट घट रही है। इसका जिक्र World Fertility Report 2024 में किया गया।

भारत में घटता जन्म दर – अच्छा या बुरा?

अगर अभी के हिसाब से देखा जाए तो सही मालूम होता है। लेकिन, आने वाले समय के लिए ये चिंता का विषय है। इसलिए जापान, जर्मनी जैसे देश में युवा आबादी कम हो गई है। इसका दुष्प्रभाव भी दिख रहा है। निम्नलिखित कारणों से ये चिंता का विषय है-

  • बुज़ुर्ग होती आबादी
  • यूथ की आबादी में कमी

अगर लंबे समय के लिए सोचा जाए तो यह बहुत तेजी से घटा तो भारत में युवाओं की संख्या कम हो जाएगी। इसका असर देश के कई चीजों पर दिखेगा।

Global Birth Rate | वैश्विक बर्थ रेट

ग्लोबल बर्थ रेट डेटा | डिजाइन- पत्रिका

भारत में बर्थ रेट कब से चिंताजनक!

यूएनएफपीए की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2005 में भारत में जन्मदर 2.9 बच्चे प्रति महिला के हिसाब से था। इसके बाद वर्ष 2021 में ये आंकड़ा 2.0 यानी रिप्लेसमेंट के लेवल पर आ गया। इसके बाद साल 2025 में 1.9 में संख्या पहुंच गई है।

भारत में जन्म दर के आंकड़े | डिजाइन- पत्रिका

Expert Tips : डॉ. शुभ्रा सिंह, सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट के साथ पत्रिका की बातचीत

यूएनएफपीए ने अपनी रिपोर्ट में इस बात को बताया कि भारत में फर्टिलिटी क्राइसिस है। इस कारण से जन्म दर घटता जा रहा है। इस पर डॉ. शुभ्रा सिंह कहती हैं, भारत में जन्म दर में गिरावट एक महत्वपूर्ण जनसांख्यकीय बदलाव का संकेत है। इस पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो ये संकट पैदा कर सकती है। इससे युवा पीढ़ि की संख्या कम हो सकती है।

घटते जन्म दर के पीछ ये बीमारी हैं कारण

  • महिला और पुरुषों में बांझपन (Infertility In Male and Female)
  • असुरक्षित यौन संबंधित बीमारियां (STD)
  • यौन संबंधी समस्याएं (यौन इच्छा में कमी, स्तंभन)
  • हार्मोनल बीमारियां (Hormonal imbalance)
  • अनियमित मासिक धर्म (Irregular Periods)

ये प्रचलन भी हैं जिम्मेदार

  • देर से विवाह
  • करियर पर अधिक फोकस
  • छोटे परिवारों का बढ़ता प्रचलन
  • देर से बच्चा पैदा करने का ट्रेंड
  • डिस्पेर्यूनिया (यौन संबंध बनाते समय दर्द)

महिलाओं में बांझपन के लक्षण

डॉ. शुभ्रा कहती हैं कि महिलाओं में बांझपन के कई लक्षण हो सकते हैं जैसे अनियमित या अनुपस्थित मासिक धर्म होना, माहवारी का बहुत लंबा या बिल्कुल ना होना, ओव्यूलेशन या अंडोत्सर्ग से जुड़ी समस्याओं का लक्षण हो सकता है। इनको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसके अलावा डिसमैनोरिया अर्थात माहवारी के दौरान अत्यधिक दर्द होना, एंडोमेट्रियोसिस या रसौली की गांठ होने का लक्षण हो सकता है।

इसके अलावा डिस्पेर्यूनिया अर्थात यौन संबंध बनाते समय दर्द होना भी एक कारण हो सकता है। हॉर्मोनल असंतुलन के संकेत जैसे शरीर या चेहरे पर बालों का बढ़ना, सिर पर बालों का पतला होना, वजन में अचानक वृद्धि या कमी, चेहरे या शरीर के अन्य अंगों पर मुहांसे होना एवं यौन इच्छा में कमी होना भी बांझपन के लक्षण हो सकते हैं। इनमें से कोई भी लक्षण होने पर डॉक्टर से परामर्श एवं अपनी जांच जरूर करवाएं।

सरकार भी दे ध्यान!

जिस तरह से सरकार ने परिवार नियोजन के लिए जागरूकता अभियान चलाया। उसी तरह से बच्चे जन्म देने को लेकर भी प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। साथ ही यौन दिक्कतों आदि को नजरअंदाज करने की बजाय डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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