Bihar Election Result: एनडीए की बिहार में बड़ी जीत को केवल स्थानीय लहर मानना एक बड़ी भूल होगी, क्योंकि इस बार परदे के पीछे थी एमपी मॉडल की रणनीति, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की आक्रामक ग्राउंड मैनेजमेंट स्टाइल और बीजेपी के शीर्ष नेताओं की माइक्रो-इंजीनियरिंग ने मिलकर ऐसा राजनीतिक समीकरण गढ़ा जिसने, विपक्ष को चौंका दिया है...
Bihar Election Result 2025: बिहार के चुनावी रण में एनडीए की शानदार जीत ने न सिर्फ पटना की सियासत बल्कि, पूरे देश के पावर-सर्किट में हलचल बढ़ा दी है। माना जा रहा है कि इस जीत के पीछे मध्य प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव समेत बीजेपी के दिग्गज नेताओं की रणनीतिक पकड़ काम आई। जिसने बिहार के चुनावी मैदान में विपक्षी दलों को धूल चटा दी। बिहार के जनादेश में जो साइलेंट स्ट्राइक दिखी, उसकी धड़कनें एमपी की राजधानी भोपाल से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक महसूस की जा रही है। यही इस जीत का असली राजनीतिक संकेत है। खबर लिखे जाने तक एमपी के मंत्री और दिग्गज नेताओं के प्रचार वाली सीटों पर एनडीए और उसके सहयोगी दल आगे ही चल रहे थे।
सीएम मोहन यादव ने 16 अक्टूबर से प्रचार शुरू किया था और आखिरी सभा उन्होंने 9 नवंबर को की थी। जिन सीटों पर मोहन यादव ने बीजेपी का प्रचार किया उन सीटों पर अब तक भाजपा और उसके सहयोगी दल ही आगे चल रहे हैं। इस दौरान सीएम मोहन यादव का बयान भी सामने आया है, उन्होंने कहा है कि पूर्ववर्ती समय में हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली और अब बिहार यह बता रहा है कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भाजपा और एनडीए की लहर है। तथाकथित कांग्रेस और उनके गठबंधन के दलों की जो कुव्यवस्थाएं हैं, उन्हें देखकर जनता अपना मन बना चुकी है और एनडीए के साथ, विकास के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ना चाहती है।
शुक्रवार को सीएम मोहन यादव अचानक इंदौर के दौरे पर पहुंचे। वे यहां राजवाड़ा में स्थित गोपाल मंदिर पहुंचे और माथा टेका। इस दौरान उन्हें देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। लोग उन्हें बिहार चुनावों के रिजल्ट को लेकर बधाई देने लगे। इस दौरान सीएम मोहन यादव ने मंदिर के झरोखे से भीड़ का अभिवादन किया और बधाई को सहर्ष स्वीकार भी किया। माना जा रहा है कि सीएम का इस तरह अचानक गोपाल मंदिर जाकर माथा टेकना इशारा है कि उन्होंने मन्नत मांगी थी कि बिहार में एनडीए की जीत हो, इस मन्नत को पूरा होता देख ही उन्होंने अचानक ये प्रोग्राम बनाया है।
सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल देश के विकास बल्कि, सुरक्षा के लिए जो नीतियां लागू की हैं, वह वाकई हम सभी का मनोबल बढ़ाने वाली हैं। उन्होंने बिहार में जीत की ओर बढ़ते एनडीए गठबंधन के साथियों और प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाह को बधाई दी है।
सीएम मोहन यादव ने बिहार की तीन विधानसभा सीटों पर धुंआधार प्रचार किया था। माना जा रहा है कि एमपी सीएम की आक्रामक ग्राउंड मैनेजमेंट स्टाइल ने बिहार में एनडीए को बड़ी भारी मतों से जीतने में अहम भूमिका निभाई है। बता दें कि सीएम मोहन यादव यहां बगहा-सहरसा-सिकटा सीट पर प्रचार करने पहुंचे थे। उन्होंने बगहा से राम सिंह, सहरसा में आलोक रंजन झा और सिकटा में समृद्ध वर्मा के समर्थन में जनता से वोट देने की अपील की थी।
बिहार चुनाव के परिणाम आने के बाद सियासी गलियारों मेें चर्चा है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को शपथ लिए 17 दिसंबर को 2 वर्ष होने वाले हैं। और जिस समय मोहन यादव एमपी के सीएम बने तभी कहा गया था कि मोहन यादव को बिहार के चुनावों को देखते हुए सीएम बनाया गया है क्योंकि बिहार में यादव समाज के वोट हार-जीत में गेम चेंजर साबित होते हैं। सीएम बनने के बाद डॉ. मोहन यादव कई बार बिहार का दौरा भी कर चुके हैं।
मध्यप्रदेश भाजपा के संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा का अधिकांश समय बिहार में बीत रहा है। उन्हें वहां संगठन में कसावट लाकर उसे मजबूत करने की जिम्मेदारी की दी गई थी। हितानंद ने वहां 12 जिलों की 58 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी संभाली थी।
मध्यप्रदेश भाजपा के प्रभारी डॉ. महेंद्र सिंह को बिहार विधानसभा चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी मिली थी। दो बडे़ जोन मिथिला और तिरहुत का दायित्व डॉ. महेन्द्र सिंह को दिया गया था। बता दें कि यहां पर 12 जिलों की 58 विधानसभा सीटें और 10 लोकसभा सीटें आती हैं।
भाजपा मध्यप्रदेश के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल को सारण और चंपारण क्षेत्र की करीब 45 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उन्होंने पिछले दिनों बिहार के छपरा पूर्वी जिला के सोनपुर विधानसभा में बूथ क्रमांक 89 और 90 के कार्यकर्ताओं की बैठकें भी लीं।
मध्यप्रदेश भाजपा से 6 नेता पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और खजुराहो सांसद वीडी शर्मा को पटना और बेगूसराय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वहीं खेल मंत्री विश्वास सारंग को सिवान की, पूर्व मंत्री अरविंद भदौरिया को गोपालगंज, उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया को गया की, खरगोन सांसद गजेन्द्र पटेल को खगड़िया, पूर्व सांसद डॉ. केपी यादव को समस्तीपुर में चुनावी प्रबंधन का दायित्व सौंपा गया था।