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दादा-दादी की वो 5 बड़ी गलतियां, जो डालती हैं बच्चों की परवरिश पर असर, जानिए एक्सपर्ट की राय

Common Mistakes Grandparents Make: दादा-दादी का अपने बच्चों के बच्चों के प्रति जो प्यार होता है उसकी तुलना नहीं की जा सकती। इसी प्यार की वजह से परिवार में कई बार दूरियां बढ़ जाती हैं। और इन दूरियों की वजह होती है सामान्य सी दिखने वाली गलतियां। आइये जानते हैं ग्रैंडपेरेंट्स की ऐसी गलतियों के बारे में।

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Nov 20, 2025
फोटो डिजाइन: पत्रिका (फोटो सोर्स: Pixabay)

Common Mistakes Grandparents Make: देश, सरहदें, विदेश यहां तक कि ब्रह्मांड की भी बात की जाए तो दादा-दादी, नाना-नानी के प्यार की कोई तुलना नहीं है। अपने बच्चे को माता-पिता बनते देखना और अपने नाती-पोतों की देखभाल करना, जिंदगी की सबसे बड़ी खुशियों में से एक है। वहीं, दादा-दादी या नाना-नानी अकसर माता-पिता के फैसलों पर, उनके सोने के समय, खाने के समय को लेकर या लगभग हर किसी भी दूसरी चीज पर, बिना मांगे राय दे देते हैं। दादा-दादी, नाना-नानी का यही प्यार उनके बच्चों के बीच विचारों की दीवार खड़ी कर देता है, जो नए मां-बाप बने हैं। इस प्यार के चलते बहुत सारे मतभेद हो जाते हैं, जो एक-दूसरे की परवरिश पर सवाल खड़ा करते हैं और यहीं से होती है हंसते-खेलते परिवारों में मतभेद की शुरुआत।

द वॉशिंगटन पोस्ट के आर्टिकल के मुताबिक, पेरी क्लास, जो 30 सालों से बाल रोग विशेषज्ञ (Paediatrician) हैं ने दादा-दादी, माता-पिता और उनके बच्चों की परवरिश पर अपनी राय दी है। उन्होंने बताया, 'एक दादा-दादी होने के नाते मैं समझता हूं कि हम अपनी पारी खेल चुके हैं और अब हमको अपने अनुभव की बातें अपने बच्चों जो नए-नए माता-पिता बने हैं पर थोपना नहीं चाहिए। भले ही ये हमको अच्छा लगता हो लेकिन समझदारी इसी में है कि हम इंतजार करें और सलाह तभी दें जब इसके लिए कहा जाए।' इसके आगे उन्होंने ये भी बताया कि जब हम अपने बच्चों की परवरिश कर रहे थे तो हमें हर फैसला लेना पड़ा, और बच्चों की परवरिश हमने अपने तरीके से की।

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हालांकि, देखा जाए तो अपने बच्चे को माता-पिता बनते देख सबसे ज्यादा खुशी दादा-दादी या नाना-नानी को ही होती है। मगर कुछ गलतियों के चलते दोनों में मतभेद आ जाते हैं। आइए उन्हीं गलतियों के बारे में बात करते हैं और उसका समाधान भी निकालते हैं।

ये न मानना कि पालन-पोषण के तरीके समय के साथ बदलते हैं

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पालन-पोषण के तरीकों में समय के साथ बदलाव आते हैं। इन्हीं बदलावों के चलते ग्रैंड पेरेंट्स और पेरेंट्स एक-दूसरे को समझ नहीं पाते हैं। अगर किसी बात पर आज के पेरेंट्स बच्चों को मार दें तो ग्रैंड पेरेंट्स पूरे घर को सिर पर उठा लेते हैं, जबकि देखा जाए तो जब वो मां-बाप होंगे तो उन्होंने भी अपने बच्चों को मारा होगा। एक बात जो उन्हें समझनी पड़ेगी वो ये है कि आज के बच्चों और 90 के दशक के बच्चों में अंतर है। वो अपनी फोन की दुनिया में खो गए हैं और सारा दिन घर में रहते हैं जिसकी वजह से पेरेंट्स उनकी शैतानी को बर्दाश्त नहीं करते, जबकि आज से 20-25 साल पहले तक के बच्चों के पास आउटडोर गेम्स इतने थे कि घर पर पेरेंट्स के साथ उन्हें टाइम कम मिलता था और जितना मिलता था वो अच्छा ही होता था।

    हर बार गलती मां की या बाप की ही नहीं होती

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    ग्रैंड पेरेंट्स अपने पोते-पोतियों को लेकर अपने बच्चे से झगड़ा नहीं करते हैं। हर वक्त सिर्फ मां को दोषी ठहराते रहते हैं चाहे वो दवाई की बात हो या फिर बच्चे को पालने की। उन्हें ये समझना पड़ेगा कि आजकल जैसा लाइफस्टाइल और खान-पान है उसमें बच्चे बीमार पड़ जाते हैं और उनकी सेहत के लिए सिर्फ नजर उतारना काफी नहीं है, डॉक्टर से सलाह मशविरा भी करना पड़ता है और दवाइयां भी खिलानी पड़ती हैं। आज के पेरेंट्स बच्चों की परवरिश मिल कर करते हैं और बच्चे की हर जरूरत के लिए मिल कर फैसला करते हैं। वो वक्त दूसरा था जब घरों में डॉक्टर से ज्यादा नजर उतारने पर जोर दिया जाता था और अब समय बदल चुका है और बात आपको समझनी चाहिए और अपने बच्चों की उस समझ के लिए खुश होना चाहिए।

      पोता-पोती को कुछ होने पर ये मान लेना कि माता-पिता की गलती है

      जब बच्चा बीमार या नाखुश होता है तो पेरेंट्स वैसे ही बहुत ज्यादा परेशान हो जाते हैं। ऐसे में उन्हें उनकी गलतियां बताना या ये कहना कि, 'तुमसे पहले ही कहा था ऐसा मत करो वरना गलत होगा' सही नहीं है। यही वो समय होता है जब आप अपने बच्चों और अपने बीच तालमेल बिठा सकते हैं। उन्हें सपोर्ट करके उनका साथ देकर, उन्हें उनकी गलती बताने से अच्छा है उस समस्या के समाधान पर मिलकर बात की जाए।

        किसी भी बातचीत को बहस का रूप दे देना

        फोटो डिजाइन: पत्रिका (फोटो सोर्स: Pixabay)

        बात कोई भी हो उसे बहस का नहीं बातचीत का रूप दें। चाहे वो बच्चे के खाने को लेकर हो या दवा को या उसके रोजमर्रा के छोटे-छोटे कामों को लेकर। आज के घरों में सबसे बड़ी बहस डायपर को लेकर है जो शायद गलत है क्योंकि आजकल के दौर में जो सुविधाएं हैं उन्हें इस्तेमाल करना गलत नहीं है। डायपर पहन कर बच्चा आराम से सोता है और उसको गीले होने पर त्वचा सम्बंधित कोई समस्या होने का डर नहीं रहता है। पेरेंट्स वर्किंग हैं तो उन्हें भी एक अच्छी नींद की जरूरत होती है ऐसे में बच्चे का डायपर बदलना मां और बाप दोनों की जिम्मेदारी होनी चाहिए किसी एक की नहीं। ऐसा करना दोनों के ही लिए बेहतर होता है। आज ग्रैंड पेरेंट्स को इस बात को मान लेना चाहिए कि जब-जब दौर बदलता है तब-तब तरीके भी बदलते हैं।

          दवाइयों की बात हो तो आजकल वैक्सीन हर बीमारी के लिए जरूरी होती है, जो बच्चे के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है। खाने-पीने के तरीके भी अब पहले से अलग हो चुके हैं, जो आपको बिना बहस के अपनाने और समझने चाहिए जो परिवार के सदस्यों के आपसी रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए भी मददगार साबित होंगे।

          जहां जरूरी न हो वहां भी सलाह देना

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          आप जब ये समझ लेंगे कि सलाह वहीं देनी चाहिए जहां जरूरी हो तब आपकी बात सुनी भी जाएगी और समझी भी। उस बात को तवज्जो भी दी जाएगी।

            आपको तो पहले से पता है कि बच्चों के पालन-पोषण के लिए सबसे जरूरी होता है, चुनौतियों को स्वीकार करना। हर छोटे बच्चे के माता-पिता यह बात अपने अनुभवों से ही सीखते हैं। पालन-पोषण के इस सफर में कुछ तकलीफें, कुछ समस्याएं आ सकती हैं, लेकिन उनका समाधान आपको सोच-समझकर ही निकलना होगा और अपने शब्दों के चयन पर भी ध्यान देने के साथ ही सावधानी भी बरतनी होगी।

            इसका उद्देश्य आपके प्यारे पोते-पोती को एक जिम्मेदार इंसान बनाने में मदद करना है जो अच्छे फैसले ले सके। आप अपने बच्चे को एक बेहतर इंसान बना चुके हैं, इसलिए आपको पता है कि यह आसान नहीं है, मगर नामुमकिन नहीं। वहीं, आप जितना ज्यादा अपने बच्चे के फैसलों का सम्मान करेंगे, उतना ही ज्यादा आप दादा-दादी के रूप में अपना सम्मान करेंगे। साथ ही दूसरों को भी परिवार और परवरिश के बारे में अच्छी और सार्थक सलाह दे पाएंगे।

            ये सभी बातें आपको और आपके बेटे-बहू दोनों के रिश्ते को बेहतर करेगी। उस बच्चे को भी बेहतर इंसान बनाएगी जिसकी परवरिश के लिए आप लोगों के बीच में मतभेद आ रहे हैं। क्योंकि जिस घर में लड़ाइयां होती हैं, वहां बच्चे कभी-भी अच्छा नहीं सीख पाते हैं। इसलिए इन लड़ाइयों को कम करके एक-दूसरे को समझें और बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनायें।

            (वाशिंगटन पोस्ट का यह आलेख पत्रिका.कॉम पर दोनों समूहों के बीच विशेष अनुबंध के तहत पोस्ट किया गया है।)

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            Updated on:
            20 Nov 2025 03:36 pm
            Published on:
            20 Nov 2025 06:00 am
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