पटना में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक होने वाली है। इस बैठक को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश हाई है। बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावारू ने इसे स्वतंत्रता की दूसरी लड़ाई बताई है।
CWC Meeting in Bihar: बिहार में आगामी महीने में विधानसभा चुनाव होना है। चुनाव से पहले सूबे में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की रैली से बिहार में कांग्रेस (Congress) को बूस्ट मिला है। पार्टी अब इसे चुनाव में भुनाना भी चाहती है। साथ ही, अपने सहयोगियों को भी संदेश देना चाहती है। लिहाजा, कल पटना में कांग्रेस का महाजुटान होने वाला है। 24 सितंबर को पार्टी की विस्तारित वर्किंग कमेटी की बैठक होने जा रही है। इसमें राहुल, खरगे, प्रियंका समेत कद्दावर नेता मौजूद रहेंगे।
84 साल बाद पटना में कांग्रेस की वर्किंग कमेटी की बैठक आयोजित की जा रही है। इससे पहले साल 1940 में कांग्रेस की पटना में वर्किंग कमेटी की बैठक हुई थी। उस समय यह बैठक द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सरकार के साथ सहयोग और भारत की स्वतंत्रता की मांग को लेकर रणनीति बनाने को लेकर की गई थी। उस समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद थे, जोकि बाद में भारत के पहले राष्ट्रपति बने।
बिहार में कल होने वाली दूसरी CWC की मीटिंग को लेकर कांग्रेस नेता उत्साहित हैं। बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावारू ने कहा कि बिहार में कांग्रेस ‘‘स्वतंत्रता की दूसरी लड़ाई’’ लड़ रही है। यही कारण है कि यह बैठक यहां बुलाई गई है। उन्होंने कहा कि बिहार अब राष्ट्रीय राजनीति का केंद्र बन गया है। हम बिहार की जनता के समर्थन से दूसरे स्वतंत्रता संग्राम की तैयारी कर रहे हैं। कांग्रेस जनता के हितों के लिए सरकार से लड़ने को तैयार है।
कृष्णा ने कहा कि CWC की मीटिंग में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और CWC के सभी मेंबर शामिल होंगे। वहीं, बिहार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि यह हमारे लिए ऐतिहासिक क्षण है कि सदाकत आश्रम सीडब्ल्यूसी की बैठक की मेजबानी कर रहा है, जहां महात्मा गांधी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद और जवाहरलाल नेहरू जैसे महान नेताओं ने विचार-विमर्श किया था।
वहीं, इंडिया गठबंधन में कांग्रेस इस बार भी 70 सीटों की मांग पर अड़ी हुई है। दरअसल, साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन महज 19 सीटों पर जीत मिली। लिहाजा, महागठबंधन में शामिल अन्य दल इस बार कांग्रेस को 70 सीट देने की मूड में नहीं है। राजद सुप्रीमो लालू यादव ने भी इस पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं, जबकि वामपंथी पार्टियों का कहना है कि इस बार राजद और कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाना होगा और वामदलों को सीट शेयरिंग में उचित हिस्सा देना होगा।
इधर, लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस के खाते में औपचारिक तौर पर 3 और निर्दलीय पप्पू यादव सहित 4 सांसद हैं। सीमांचल में कांग्रेस पहले की तुलना में काफी मजबूत हुई है। सीमांचल की चार लोकसभा सीटों (अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार) में से तीन इंडिया ब्लॉक के पास हैं। कटिहार से कांग्रेस के तारिक अनवर सांसद हैं, किशनगंज से कांग्रेस के डॉक्टर मोहम्मद जावेद और पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव हैं। इसके साथ ही, कदवा से बिहार विधानमंडल में कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान भी आते हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए फिलहाल सीमांचल उपजाऊ भूमि के जैसी है। लिहाजा पार्टी इन सब समीकरणों को देखते हुए अपनी मांग पर टिकी हुई है।