Dev Anand: देव आनंद एक ऐसे अभिनेता थे जिनके लिए लड़कियां ही नहीं लड़के भी पागल थे. देश-विदेश में उनकी पॉपुलैरिटी ऐसी थी कि उनकी शूटिंग देखने के लिए विदेशी भी आते थे।
Dev Anand: देव आनंद एक ऐसे कलाकार थे जिनको देखने के लिए सिर्फ भारतीय ही नहीं, विदेशी भी पागल थे। इसका सबसे बड़ा उदाहरण इंडोनेशिया के पूर्व राष्ट्रपति सुकर्णो थे जो देव आनंद के बहुत बड़े प्रसंशक थे और उनकी शूटिंग देखने के लिए भी आये थे। देव आनंद, वो एक्टर जिसको काले कोट में देखकर लड़कियां बेहोश हो जाती थीं। इसलिए देव आनंद के काले कोट पहनने पर बैन तक लगा दिया गया था। ये बात देव आनंद ने अपनी किताब ‘रोमांसिंग विद लाइफ’ (Romancing With Life) में लिखी थी। देव आनंद ने अपनी इस बुक में अपनी जिंदगी के कई किस्सों के बारे में बात की है। इन किस्सों में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से उनकी मुलाकात, फिल्म की शूटिंग के दौरान अभिनेत्री सुरैया से असली शादी की प्लानिंग, महान एक्टर-डायरेक्टर गुरुदत्त से उनकी दोस्ती की शुरुआत जैसे कई किस्सों का जिक्र किया गया है। इन्हीं किस्सों में से एक किस्सा है जब एक डाकू ने उनके कमरे के दरवाजा खटखटाया था। आइए जानते हैं क्या था पूरा माजरा?
देव आनंद ने अपनी किताब में फिल्म काला पानी के एक गाने की शूटिंग का भी जिक्र किया है। उन्होंने लिखा, 'बात उन दिनों की है जब हम अपनी फिल्म 'काला पानी' की शूटिंग कर रहे थे। और इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्णो शूटिंग देखने के लिए आए थे। हुआ यूं कि उस दिन फिल्म के गाने 'हम बेखुदी में तुमको पुकारे चले गए' की शूटिंग होनी थी, और हम सबको पहले से ही बता दिया गया था कि राष्ट्रपति सुकर्णों शूटिंग देखने आएंगे। हम लोग उनका इन्तजार कर रहे थे लेकिन 2-3 घंटे इंतजार करने के बाद भी जब वो नहीं आए तो हम लोगों ने गाने की शूटिंग कर ली। और शूट खतम होते ही वो आ गए। अब वो देश के मेहमान थे तो हम लोगों ने उनके सामने दोबारा गाने को शूट किया। वो गाने की शूटिंग के दौरान काफी खुश थे उन्होंने तालियां बजाकर हमारा अभिवादन भी किया।
अपनी इस किताब में जिक्र किया है कि ये बात साल 1957 की है, जब देव साहब अपनी फिल्म 'नौ दो ग्यारह' की मध्य प्रदेश के शिवपुरी इलाके में कर रहे थे। और आपको बता दें कि एक वक्त ऐसा बह था जब मध्य प्रदेश में डाकुओं का सिक्का बोलता था। अब हुआ यूं कि फिल्म एक दिन जब शूटिंग ख़तम हुई और सब अपने अपने कमरे में सोने के लिए चले गए। तब आधी रात को किसी ने देव आनंद के कमरे का दरवाजा खटखटाया। जब देव साहब ने पूछा कि कौन है? तो आवाज आई हम हैं अमर सिंह। दरवाजा खोलो। डरते हुए देव आनंद ने दरवाजा खोला तो सामने हाथ में बन्दूक लिए बड़ी-बड़ी मूंछों वाला एक डाकू खड़ा था। अब उसको देख कर देव आनंद की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। इससे पहले वो कुछ बोलते या किसी को मदद के लिए पुकारते, उस डाकू ने देव साहब की एक फोटो निकाली और कहा, 'आप इस तस्वीर पर अपने साइन कर दीजिये।' पहले तो उनको कुछ समझ नहीं आया फिर उन्होंने राहत की सांस ली और उस फोटो पर अपने ऑटोग्राफ दिए। इसके बाद डाकू अमर सिंह ने कहा- 'देव साहब आपको कभी भी किसी भी तरह की मदद चाहिए हो तो मुझे याद कीजियेगा और ये कहकर वो वहां से चला गया। तब देव आनंद की जान में जान आई।
अपने जमाने में देव आनंद इतने हैंडसम थे कि लड़किया तो लड़कियां लड़के भी उनके दीवाने थे। जहां लड़कियां उनको देखकर बेहोश हो जाती थीं, वहीं लड़के उनके लिए अपने दांत तुड़वा लेते थे। ऐसा ही एक और किस्सा है जिसके बारे में देव आनंद ने अपनी किताब ‘रोमांसिंग विद लाइफ’ में बताया है। उन्होंने बताया कि ये वो दौर था जब मैं मुंबई में नया-नया था और एक दिन मेरी मुलाकात फिल्म प्रोड्यूसर बाबूराव से हुई। जब उन्होंने मुझे देखा तो वो मुझसे अउ मेरी कद-काठी से काफी इम्प्रेस हुए और अपनी फिल्म ‘हम एक हैं’ का ऑफर दे दिया। ये फिल्म साल 1946 में रिलीज हुई थी। खैर, फिल्म की शूटिंग शुरू हुई और शूटिंग के दौरान ही मुझे मेरे दांतों के बीच के गैप को फिल करने के लिए कहा गया। मैंने हां कर दी लेकिन मुझे वो अटपटा लग रहा था तो मैंने उसको हटवाने के लिए कहा और उसको हटा दिया गया। फिल्म रिलीज हुई और लोगों ने फिल्म के साथ साथ मुझे भी पसंद किया। मैं जैसा था मुझे वैसा ही असंद किया गया इससे बड़ी और क्या बात हो सकती थी।'
इसके बाद देव आनंद साहब ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 'गाइड', 'ज्वेल थीफ', 'हम दोनों', 'सी.आई.डी.', 'काला पानी', 'बाजी', 'हरे रामा हरे कृष्णा', 'जॉनी मेरा नाम' जैसे ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं। इन फिल्मों में उनकी स्माइल के लड़के दीवाने थे, और उनके जैसा दिखने के लिए अपने दांतों के बीच में गैप करवाने के लिए अपने दांत तक तुड़वा लेते थे।
देव आनंद के फिल्मी सफर और जिंदगी से जुड़े अनेकों किस्से हैं जो समय हम आपके लिए लाते रहेंगे।