
राजेश खन्ना की महफिलों में धीरे-धीरे उनकी झूठी तारीफ करने वालों का जमावड़ा बढ़ गया था। (फोटो डिजाइन: पत्रिका)
Rajesh Khanna Birth Anniversary: राजेश खन्ना को हिन्दी सिनेमा का पहला सुपर स्टार कहा जाता है। उनके फैंस उन्हें आज भी उनकी फिल्मों के लिए याद रखते हैं, लेकिन उन्हें निजी तौर पर जानने वाले कई लोगों ने उनका अलग ही रूप देखा है। इस रूप में सुपर स्टार राजेश खन्ना को तारीफ सुनने का नशा हो गया था और इस नशे के चलते उन्हें जीवन में भरी नुकसान भी उठाना पड़ा। यासिर उस्मान ने अपनी किताब में इस बारे में बहुत कुछ लिखा है।
राजेश खन्ना को जो पसंद आ जाता था, उसे हर कीमत पर हासिल करके ही रहते थे। फिर वह किसी फिल्म का रोल ही क्यों न हो। ‘आनंद’ का उनका कालजयी किरदार भी उनके इसी जुनून का नतीजा था।
आनंद में हृषिकेश मुखर्जी सबसे पहले राज कपूर को लेना चाहते थे। दोनों बड़े गहरे दोस्त थे। इस दोस्ती की वजह से ही हृषिकेश दादा ने राज कपूर को लेने का विचार छोड़ दिया। असल में उन दिनों राज कपूर की तबीयत थोड़ी खराब थी। हृषिकेश मुखर्जी के मन में यह बात बैठ गई कि फिल्म में अगर वह अपने दोस्त (राज कपूर) को मरते दिखाएंगे तो शायद असल ज़िंदगी में राज कपूर पर इसका असर हो जाएगा। इसके बाद उन्होंने बांग्ला फिल्मों के स्टार उत्तम कुमार और शशि कपूर जैसे सितारों से बात की। पर किसी वजह से बात बनी नहीं।
इसी बीच राजेश खन्ना को गुलजार के जरिए खबर हुई कि हृषिकेश दादा 'आनंद' बनाने जा रहे हैं। उन्होंने जब फिल्म की कहानी सुनी तो तय कर लिया कि कुछ भी हो जाए 'आनंद' का किरदार वही करेंगे। वह सीधे दादा के दफ्तर पहुंच गए और कहा कि उन्हें आनंद का किरदार करना है।
राजेश खन्ना उस समय सुपरस्टार थे। उनकी 'आराधना' और 'दो रास्ते' जबरदस्त हिट रही थी। उस समय उनकी फीस आठ लाख रुपए थी। हृषिकेश मुखर्जी हैरान थे कि ऐसा सुपरस्टार उनकी फिल्म में कैसे काम करेगा! असल में फिल्म का बजट इतना नहीं था कि राजेश खन्ना को लेने का सोचा भी जाए। लेकिन, वह तो काम करने पर अड़े थे। सो, हृषिकेश दादा ने राजेश खन्ना से साफ-साफ कह दिया कि वह मेहनताना एक लाख रुपये से ज्यादा नहीं दे सकेंगे और एक साथ कई सारी डेट्स लेंगे।
राजेश खन्ना का वक्त मिलना आसान नहीं था। इसलिए हृषिकेश दादा ने डेट्स की भी शर्त रख दी। बक़ौल अन्नू कपूर, राजेश खन्ना ने तुरंत उनकी सारी शर्तें मान कर उनसे हां करवा ली।
इस तरह राजेश खन्ना 'आनंद' बने और वह कालजयी फिल्म बनी।
इस फिल्म में राजेश खन्ना के आने की कहानी ही दिलचस्प नहीं है, फिल्म के एक गीत के पीछे भी दिलचस्प किस्सा है। यह गीत है- कहीं दूर जब दिन ढाल जाए…। फिल्म का गीत खूब मशहूर हुआ। लेकिन यह गीत योगेश ने मूल रूप से इस फिल्म के लिए नहीं लिखा था। इसे प्रोड्यूसर एलबी लक्ष्मण की 'अन्नदाता' फिल्म के लिए लिखा गया था।
एक दिन हृषिकेश मुखर्जी किसी काम से एलबी लक्ष्मण के यहां गए। वहां राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन भी बैठे थे। लक्ष्मण संगीतकार सलिल चौधरी के साथ 'अन्नदाता' के इस गीत पर काम कर रहे थे। हृषिकेश दादा, राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन ने गीत के बोल सुने। सुनते ही हृषिकेश दादा ने अपनी फिल्म के लिए गीत मांग लिया। लक्ष्मण जी ने मना कर दिया। राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन ने भी मनाने की कोशिश की, पर वह नहीं माने। तब सलिल ने समझाया।
उन्होंने कहा कि अभी 'अन्नदाता' में देरी है, हम इसके लिए दूसरा गाना बना लेंगे। यह गाना 'आनंद' के लिए ज्यादा मुफीद है। इसलिए हृषिकेश दादा को यह दे दिया जाए। लक्ष्मण ने फिल्म की कहानी और सिचुएशन सुनी तो उन्हें भी लगा कि उनका गाना 'आनंद' फिल्म में फिट बैठेगा। तब वह मान गए।
किरदार पसंद आ जाए तो राजेश खन्ना उसे छोड़ते नहीं थे। 'अमर प्रेम' के आनंद के लिए भी राजेश खन्ना ने ऐसा ही किया था। शक्ति सामंत इस फिल्म के लिए राजकुमार को हीरो लेना चाहते थे। उन्हें लगा कि यह महिला प्रधान फिल्म है तो राजेश खन्ना की इसमें दिलचस्पी नहीं होगी। लेकिन, 'काका' को पता चला तो उन्होंने शक्ति सामंत को राजी कर लिया।
उन दिनों राजेश खन्ना की फिल्मी दुनिया में तूती बोलती थी। उनका फिल्म में होना एक तरह से कामयाबी की गारंटी मान ली जाती थी। तभी फिल्म ‘अंदाज’ में उन्हें कुछ पल के लिए लाया गया था। जीपी सिप्पी इसके निर्माता थे और उनके बेटे रमेश सिप्पी इस फिल्म से निर्देशन की दुनिया में कदम रख रहे थे। 'अंदाज' में शम्मी कपूर और हेमा मालिनी मुख्य किरदार में थीं। शम्मी के चेहरे पर बढ़ती उम्र की झलक दिखने लगी थी। इसलिए जीपी सिप्पी ने फिल्म में राजेश खन्ना का एक छोटा सा रोल रखा, ताकि बॉक्स ऑफिस पर फिल्म को खन्ना की स्टारडम का फायदा मिले।
फिल्म की स्क्रिप्ट सचिन भौमिक ने लिखी थी, लेकिन राजेश खन्ना का रोल सलीम-जावेद ने लिखा। सलीम-जावेद ने उन्हीं दिनों सिप्पी के प्रॉडक्शन हाउस में 700 रुपये की पगार पर बतौर लेखक काम शुरू किया था।
राजेश खन्ना की कामयाबी उनके सिर चढ़ कर बोलती थी। वह अपने दोस्तों से भी फैंस जैसी दीवानगी की उम्मीद करते थे। यासिर उस्मान ने अपनी किताब 'कुछ तो लोग कहेंगे' में बताया है कि राजेश खन्ना अपने बंगले 'आशीर्वाद' पर देर रात तक महफिलें जमाते थे। उनके उठने से पहले कोई उठ कर चला जाए या कोई बहुत दिनों तक इस महफिल से गैर हाजिर रहे तो 'काका' को यह नागवार गुजरता था।
उनके साथ काम करने वाला कोई भी कलाकार किसी और के साथ काम करे, यह भी उनको पसंद नहीं आता था। उनके साथ काम कर चुकीं एक अभिनेत्री के हवाले से यहां तक कहा गया है कि वह गलत लोगों पर विश्वास करते थे और अगर आपकी कोई बात उन्हें बुरी लगे तो वह बदला लेने पर उतारू हो जाते थे।
वह अपने संपर्क में रहने वाले किसी भी व्यक्ति पर अपना पूरा हक जताते थे। उनका स्वभाव ही यही था। निजी जीवन में अंजू महेंद्रू के साथ भी उन्होंने यही किया। वह फिल्मों में काम करना चाहती थीं, राजेश खन्ना नहीं चाहते थे। उनकी कई फिल्मों की शूटिंग उन्होंने बंद करवा दी। उनका यह स्वभाव आगे चल कर उनकी निजी ज़िंदगी में काफी परेशानी खड़ी कर गया।
Updated on:
29 Dec 2025 04:08 pm
Published on:
29 Dec 2025 03:08 pm
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