मचान पर उगाई लौकी के दाम भी अच्छे मिलते हैं। लौकी की लंबाई के अलावा चिकनाई तथा रंग, अन्य लौकियों की अपेक्षा बेहतरीन होता है। बाजार में वह आसानी से बिक भी जाती है।
जयपुर। राजस्थान के अलवर जिले में माधोगढ गांव के किसान जयराम गुर्जर लौकी की बेहतरीन उपज ले रहे है। वे मचान विधि से खेती कर रहे हैं। इससे लौकी की न केवल गुणवत्ता में सुधार हुआ है बल्कि उनका मुनाफा भी अब दोगुना हो गया है। किसान जयराम ने बताया कि मचान लगाने से उत्पादन गुणवत्ता पूर्ण हो रहा है जो लाभप्रद है। मिट्टी से होने वाले खराबे से भी बचा जा सकता है। मचान बनाने में 20 से 30 हजार का खर्चा आता है। एक बार बनाए गए मचान और स्ट्रक्चर 5 वर्ष तक सुरक्षित बना रहता है।
मचान विधि में बांस की लकड़ियों को जमीन से ऊपर मजबूती से गाड़कर जालीनुमा संरचना बनाई जाती है। बेलें इस संरचना पर चढ़ती हैं। पौधों को हवा, धूप व जगह मिल जाती है।
इस विधि से लौकी को प्रतिदिन तोड़ा जा सकता है। हां, ठंड के दिनों में चार दिन तक इंतजार करना होता है। जबकि भूमि पर तैयार होने वाली लौकी को गर्मी में तीन व सर्दियाें में दस दिन में लिया जा सकता है।
मचान पर उगाई लौकी के दाम भी अच्छे मिलते हैं। लौकी की लंबाई के अलावा चिकनाई तथा रंग, अन्य लौकियों की अपेक्षा बेहतरीन होता है। बाजार में वह आसानी से बिक भी जाती है।
किसान जयराम ने बताया कि इस लौकी की मांग थानागाजी, मालाखेड़ा, अलवर, जयपुर, हरियाणा व दिल्ली तक है। आसपास के गांवों में सोहनपुर, धोलापलास, बिजवाड, नरूका, पूनखर, सुमेल, अकबरपुर, माधोगढ़ आदि में भी मचान विधि से लौकी की पैदावार की जा रही है।
अग्रणी किसानों को आत्मा योजना के तहत प्रदेश व अन्य राष्ट्रीय स्तर पर भ्रमण कराकर उच्च तकनीक का प्रशिक्षण भी दिलाया जाता है तथा जिले में प्रदेश स्तर पर उन्हें सम्मानित भी किया जाता है।
किसानों को समय-समय पर विभिन्न योजनाओं की जानकारी प्रदान कर उनके आर्थिक उत्थान के लिए प्रशिक्षण भी दिलाए जाते हैं।