Anta Assembly By Election 2025: राजस्थान के बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा के साथ ही क्षेत्र में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं।
Anta Assembly By Election 2025: राजस्थान के बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा के साथ ही क्षेत्र में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। 11 नवंबर 2025 को होने वाली वोटिंग के लिए अब 33 दिन शेष हैं और मतदाता अपने नए विधायक का चयन करने को तैयार हैं। यह सीट 2008 में अस्तित्व में आई थी और तब से अब तक चार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं।
खास बात यह है कि इस सीट ने तीन बार राजस्थान सरकार को मंत्री दिए हैं। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही इस सीट पर दो-दो बार जीत हासिल कर चुके हैं और अब पहली बार इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। इस उपचुनाव ने दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर की स्थिति पैदा कर दी है।
अंता विधानसभा सीट का गठन 2008 में हुआ था। इस सीट पर पहला चुनाव 2008 में हुआ, जिसमें कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रमोद जैन भाया ने जीत हासिल की और मंत्री बने। इसके बाद 2013 में बीजेपी ने बाहरी नेता प्रभुलाल सैनी को मैदान में उतारा, जिन्होंने जीत दर्ज की और वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री बने। 2018 में प्रमोद जैन भाया ने फिर से इस सीट पर कब्जा जमाया और अशोक गहलोत सरकार में मंत्री बने।
हालांकि, 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने झालावाड़ जिले के कंवरलाल मीणा को उम्मीदवार बनाया, जिन्होंने प्रमोद जैन भाया को हराया। लेकिन कंवरलाल की विधायकी ज्यादा समय तक नहीं टिक पाई।
बताते चलें कि 2023 में बीजेपी की जीत के बाद कंवरलाल मीणा को 2005 के एक पुराने मामले में सजा सुनाई गई। उन पर उपसरपंच चुनाव के दौरान एसडीएम पर पिस्तौल तानने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप था। इस मामले में कोर्ट ने उन्हें तीन साल की सजा सुनाई और सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी।
इसके बाद कंवरलाल ने मनोहर थाना कोर्ट में सरेंडर किया और 1 मई 2025 को उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई। कंवरलाल ने सजा माफी के लिए राज्यपाल के पास दया याचिका दायर की, लेकिन इसमें कई कानूनी अड़चनें हैं। अब चुनाव आयोग ने इस सीट पर उपचुनाव का ऐलान कर दिया है।
अंता सीट का इतिहास बताता है कि कोई भी पार्टी लगातार दो बार यहां जीत हासिल नहीं कर पाई है। ऐसे में कांग्रेस इस उपचुनाव को जीतकर 2023 में हारी हुई सीट को वापस लेने की कोशिश में है। दूसरी ओर, बीजेपी इस सीट पर अपनी पकड़ बनाए रखना चाहती है। दोनों पार्टियों के लिए यह उपचुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।
कांग्रेस की ओर से पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया इस सीट पर सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। भाया का इस क्षेत्र में मजबूत जनाधार है और वह पहले भी दो बार इस सीट से जीत चुके हैं। दूसरा नाम रामचरण मीणा का है, जो अंता विधानसभा क्षेत्र के भटवाडा गांव के रहने वाले हैं और पूर्व जिला प्रमुख रह चुके हैं।
इसके अलावा, नरेश मीणा ने भी कांग्रेस नेतृत्व से टिकट की मांग की है। नरेश ने प्रियंका गांधी और राहुल गांधी से टिकट देने की अपील की है और अपने लंबे समय तक पार्टी के प्रति समर्पण का हवाला दिया है। नरेश मीणा ने कहा कि मेरे पिता 2000 में बारां में कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष थे। मैंने 2002 में राजस्थान विश्वविद्यालय में एनएसयूआई के टिकट पर छात्रसंघ महासचिव का चुनाव जीता।
उन्होंने कहा कि 2023 में मैंने छबड़ा विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ा और 45,000 वोट हासिल किए। 2024 में दौसा लोकसभा और देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव में भी टिकट मांगा, लेकिन नहीं मिला। अब मैं अंता उपचुनाव के लिए टिकट मांग रहा हूं। उन्होंने प्रमोद जैन भाया पर कोटा संभाग में कांग्रेस को कमजोर करने का आरोप भी लगाया।
बीजेपी में टिकट के लिए दावेदारों की लंबी सूची है। स्थानीय कार्यकर्ता चाहते हैं कि इस बार स्थानीय नेता को टिकट दिया जाए। हालांकि, अंता सीट पर अब तक पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके बेटे सांसद दुष्यंत सिंह की पसंद के नेता ही उम्मीदवार बने हैं। बीजेपी के प्रमुख दावेदारों में आनंद गर्ग, पूर्व जिला प्रमुख नंदलाल सुमन, अंता प्रधान प्रखर कौशल, बारां प्रधान मोरपाल सुमन, पूर्व राज्यमंत्री प्रेम नारायण गालव के बेटे जयेश गालव और कोटा विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष प्रवीण गालव शामिल हैं।
इसके अलावा, बीजेपी कंवरलाल मीणा की पत्नी भगवती मीणा को भी टिकट दे सकती है। पार्टी कंवरलाल की सजा के बाद सहानुभूति फैक्टर का फायदा उठाने की रणनीति बना सकती है। वहीं, पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी का नाम भी चर्चा में है, हालांकि उनके चुनाव लड़ने की संभावना कम बताई जा रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अंता उपचुनाव को लेकर आत्मविश्वास जताया है। उन्होंने कहा कि हम अंता का चुनाव जीतेंगे। प्रमोद जैन भाया पहले भी उम्मीदवार रहे हैं। अब प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा आ रहे हैं और जल्द ही उम्मीदवार के नाम पर फैसला हो जाएगा। इसके बाद पूरी पार्टी एकजुट होकर काम करेगी और हम यह सीट जीत लेंगे। नरेश मीणा के बारे में गहलोत ने कहा कि नरेश को थोड़ा धैर्य रखना चाहिए। उनका लंबा करियर है, लेकिन उन्हें गुस्से पर काबू रखना होगा। शांत दिमाग से काम करेंगे तो उनका भविष्य उज्ज्वल है।
अंता विधानसभा सीट पर कुल 2,27,563 मतदाता हैं, जिनमें 1,16,405 पुरुष, 1,11,154 महिला और 4 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं। हाल ही में मतदाता सूची में 1,336 नए मतदाता जोड़े गए हैं। यह बढ़ी हुई मतदाता संख्या उपचुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
अंता सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच एक कॉमन फैक्टर रहा है- दोनों पार्टियों ने इस सीट पर कई बार बाहरी नेताओं को उतारा है। बीजेपी ने प्रभुलाल सैनी और कंवरलाल मीणा जैसे बाहरी नेताओं को मैदान में उतारा, जबकि कांग्रेस ने प्रमोद जैन भाया जैसे मजबूत स्थानीय चेहरों पर दांव लगाया। इस बार भी बीजेपी बाहरी नेता को उतार सकती है, जबकि कांग्रेस स्थानीय चेहरों पर भरोसा जता रही है।
यह उपचुनाव न केवल अंता के लिए बल्कि पूरे राजस्थान की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण है। बीजेपी इस सीट को बचाकर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है, जबकि कांग्रेस इसे जीतकर 2023 की हार का बदला लेना चाहती है। दोनों पार्टियां अपनी पूरी ताकत झोंक रही हैं, और कार्यकर्ता जमकर प्रचार में जुट गए हैं।