पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली से लाहौर तक बस से यात्रा की थी। लाहौर यात्रा के दौरान एक महिला पत्रकार ने उनसे मुंह दिखाई में कश्मीर मांग लिया था, अटल जी की हाजिर जवाबी सुन सब ठहाके लगाने लगे।
भारत और पाकिस्तान तब तक तीन जंग लड़ चुके थे। रिश्तों पर पड़ी बर्फ पिघलाने के लिए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने साहसी फैसला लिया। फरवरी 1999 में दिल्ली से लाहौर तक मैत्री बस सेवा की शुरुआत की। खुद बस में सवार होकर भारत के प्रधानमंत्री लाहौर पहुंचे। उनका यह फैसला बस डिप्लोमेसी का प्रतीक बन गया।
उस दौरान PM अटल बिहारी के साथ कई प्रसिद्ध हस्तियां भी पाकिस्तान गए थे। उनमें बॉलीवुड अभिनेता देव आनंद, क्रिकेटर कपिल देव, गीतकार जावेद अख्तर और अन्य लोग शामिल थे। पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। दोनों नेताओं ने लाहौर डेक्लरेशन (लाहौर घोषणा पत्र) पर हस्ताक्षर किए।
इसमें कश्मीर सहित सभी विवादों के शांतिपूर्ण समाधान, परमाणु हथियारों के जिम्मेदार उपयोग और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की प्रतिबद्धता जताई गई। इसके साथ ही, भारत के प्रधानमंत्री मीनार ए पाकिस्तान भी गए। यह वही जगह है, जहां 23 मार्च 1940 को ऑल इंडिया मुस्लिम लीग ने लाहौर प्रस्ताव पारित किया था। जिसमें उन्होंने इस्लाम धर्म के आधार पर एक अगल देश पाकिस्तान की मांग की थी। अंततः 1947 में पाकिस्तान के निर्माण का आधार बना। यहां उन्होंने अपना महत्वपूर्ण संबोधन दिया था, "दोस्त बदल सकते हैं, पड़ोसी नहीं।"
इस यात्रा के दौरान लाहौर में उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। यहां एक पाकिस्तानी महिला पत्रकार ने मजाकिया अंदाज में वाजपेयी जी से कहा – "आप अविवाहित हैं, मैं आपसे शादी करने को तैयार हूं, लेकिन शर्त है कि मुंहदिखाई में कश्मीर देना होगा।"
यह सुनते ही भारत और पाकिस्तान के नौकरशाहों के पैरों के तले जमीन खिसक गई। उन्हें माहौल गर्म होने का डर सताने लगा। लेकिन वाजपेयी जी की मशहूर हाजिरजवाबी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की तस्वीर और मीडिया के हेडलाइन भी बदले। मुस्कुराते हुए उन्होंने जवाब दिया – "मैं भी शादी के लिए तैयार हूं, लेकिन मेरी शर्त है कि दहेज में पूरा पाकिस्तान चाहिए।" यह जवाब सुनकर पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा। महिला पत्रकार भी मुस्कुरा उठीं। यह किस्सा वाजपेयी जी की विनम्रता, ह्यूमर और कश्मीर पर भारत के अटल स्टैंड को मजेदार तरीके से उजागर करता है।
हालांकि, अटल जी की शांति की कोशिश ज्यादा दिन टिक नहीं सकी। कुछ ही महीनों बाद पाकिस्तान ने एक बार फिर रंग दिखाया और कारगिल की चोटियों पर बने भारतीय पोस्टों पर कब्जा कर लिया। इसके बाद शुरु हुआ ऑपरेशन विजय और 26 जुलाई 1999 को भारत ने चौथी बार पाकिस्तान को पटखनी दी।