MP Foundation Day: मध्य प्रदेश का आज स्थापना दिवस, पत्रिका ने की स्वतंत्रता सेनानी प्रेमनारायण नागर से बात, कैसे अस्तित्व में आया मध्य प्रदेश? 1 नवंबर 1956 का वो ऐतिहासिक पल, जाना क्या-क्या हुआ था उस दिन... MP Foundation Day का रोचक किस्सा..
MP Foundation Day: 1 नवंबर 2025... आज का दिन मध्य प्रदेश का गौरव, एकता और प्रगति का उत्सव है, क्योंकि आज पूरा मध्य प्रदेश अपना स्थापना दिवस मना रहा है। कई बड़े आयोजन होने जा रहे हैं, जो एमपी के गौरवपूर्ण इतिहास की गौरव गाथा सुनाते हैं। एक विधेयक पास हुआ और 1956 में अस्तित्व में आया मध्य प्रदेश। राधानी भोपाल का मिंटो हॉल इतिहास रचने जा रहा था... इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बने उज्जैन के स्वतंत्रता सेनानी प्रेमनारायण नागर। आज 100 साल के हुए नागर ने आज मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस पर इतिहास की उस गौरवगाथा को कुछ यूं सुनाया....
'31 अक्टूबर 1956 की शाम ढल रही थी। भोपाल का मिंटो हॉल इतिहास रचने वाला था। मैं सभागार में था। मंच पर मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद हिदायतुल्लाह खान शपथ दिला रहे थे। मेरे कानों में पहली बार वह शब्द उतरा ‘मध्य प्रदेश’...ऐसा लगा मानों इस धरती ने नई सांस ली हो। वर्षों का तप, संघर्ष और बलिदान अब नई आकृति में सामने था। उस पल डॉ. वी. पट्टाभि सीतारमैया ने प्रथम राज्यपाल के रूप में शपथ ली। तुरंत मंच पर पं. रविशंकर शुक्ल आए और प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने।
तालियों की गड़गड़ाहट सिर्फ दीवारों से नहीं टकरा रही थी। वह मेरे सीने में भी उत्साह की बिजली बनकर दौड़ रही थी। उनके साथ तख्तमल जैन, शंभुनाथ शुक्ल, डॉ. शंकरदयाल शर्मा, मिश्रीलाल गंगवाल, भगवंतराव मंडलोई, शंकरलाल तिवारी, वीवी द्रविड़, राजा नरेशचंद्र सिंह, मौलाना तरजी मशरिकी, गणेशराम अनंत और रानी पद्मावती देवी ने मंत्री पद की शपथ ली। उपमंत्री के रूप में नृसिंहराव दीक्षित, राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह, केएल गुमास्ता, सज्जन सिंह विश्नार, अब्दुल कादिर सिद्दीकी, मथुरा प्रसाद दुबे, जगमोहन दास, सवाईसिंह सिसौदिया, दशरथ जैन, श्यामसुंदर नारायण मुशरान और शिवशंभु सिंह सोलंकी ने शपथ ली। यही चेहरे आगे बढ़ते मध्य प्रदेश की राह तय करने वाले थे।
यह सब कुछ उसी राज्य पुनर्गठन विधेयक का परिणाम था, जिसे संसद में 30 अप्रैल 1956 को पेश किया गया। 11 सितंबर को पारित किया गया। इसी का असर 1 नवंबर 1956 को तब सामने आया जब मध्यप्रदेश का जन्म हुआ। मेरे मन में एक ही विचार था कि यह सिर्फ नक्शे की लकीर नहीं, बल्कि लोगों के श्रम, ईमान और संस्कारों से बनी आत्मा है। हम सबने मिलकर इस प्रदेश को आजाद भारत का मजबूत स्तंभ बनाने की जिम्मेदारी ली।
मैंने मिंटो हॉल को तब से आज तक बदलते देखा है। जहां कभी इंटर कॉलेज की कक्षाओं की आवाजें आती थीं, वही भवन आज भी इतिहास की धरोहर बनकर खड़ा है।
-जैसा कि स्वतंत्रता सेनानी प्रेमनारायण नागर ने प्रवीण नागर को बताया...।